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नहीं पढ़े जा रहे शिलालेख

जिले में पुरातात्विक स्थलों की भरमार है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Mar 2017 03:03 AM (IST)Updated: Thu, 09 Mar 2017 03:03 AM (IST)
नहीं पढ़े जा रहे शिलालेख
नहीं पढ़े जा रहे शिलालेख

मधुबनी। जिले में पुरातात्विक स्थलों की भरमार है। ऐसे में कई अति प्राचीन स्थलों पर शिलालेख भी मौजूद है। जिसमें कई तो पठनीय है तो कई आज भी अपठनीय रहकर वास्तविक काल को गुमनामी में डाल रखा है। जिस कारण उस जगह का वास्तविक काल की गणना करना अभी तक संभव नहीं हो सका है।

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कहां-कहां हैं शिलालेख

जिले के कलुआही प्रखंड के राजराजेश्वरी मंदिर अति प्राचीन है। इसका अंदाजा इसके छह फुट नीचे गर्भगृह का होना है। यहां शिवगौरी की विलासमुद्रा में अति प्राचीन प्रतिमा है। इसी मंदिर के मुख्य द्वार पर एक शिलालेख है। अंधराठाढ़ी प्रखंड मुख्यालय के कुछ ही दूरी पर कमलादित्य स्थान है। जहां एक भग्न सूर्य मूर्ति के पादपृष्ठ पर शिलालेख अंकित है। लखनौर प्रखंड के मैवी गांव में एक विशाल परिसर में मां काली की अछ्वूत लक्षणा प्रतिमा है। जिसके नीचे शिलालेख है। रहिका प्रखंड के सौराठ में माधवेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर दोनो बगल संस्कृत व मिथिलाक्षर में शिलालेख है। इसके अलावे लदनियां में प्राप्त प्राचीन विष्णु प्रतिमा के पाद पृष्ट पर एक नाम अंकित है। जो मिथिलाक्षर में है। भीठ भगवानपुर में भी विष्णु प्रतिमा के पादपृष्ट पर शिलालेख है। जिस पर मल्लदेव लिखा हुआ है। जमुथरि में घुमने वाले गौरी मुख शिव¨लग पर भी शिलालेख है।

कहां-कहां नहीं अपठनीय हैं शिलालेख

वैसे तो कमलादित्य स्थान से प्राप्त शिलालेख को आज से 20 साल पूर्व पुरातत्व प्रेमी सह संस्कृत के विद्वान स्व. पं सहदेव झा ने साफ कर पठनीय बना दिया। यह शिलालेख मिथिलाक्षर में है। लेकिन सही तरीके से रख रखाव नहीं होने के कारण अब घिस का इसका अक्षर मिट रहा है। जिस कारण इसे अब पढ़ना मुश्किल हो रहा है। वहीं राजराजेश्वरी मंदिर में लगा शिलालेख अब तक अपठनीय है। मैवी काली का अभिलेख भी अभी तक अपठनीय है। इसके अलावे जमुथरि गौरी मुख शिव¨लग में खचित शिलालेख धीरे-धीरे रख रखाव के अभाव में अपठनीय होता जा रहा है। यही हाल माधवेश्वर शिवालय में स्थित शिलालेख का है। जो भी उचित संरक्षण नहीं हो पाने के कारण अपठनीय की हालत में पहुंच गया है। यह शिलालेख दस साल पूर्व तक सुरक्षित था। जिस कारण खोज करने वाले इसे सुलभता से पढ़ कर इसके काल का पता जान लेते थे। राजराजेश्वरी स्थान काफी प्राचीन है। इसके गर्भगृह के द्वार पर खचित अभिलेख अब तक अपठनीय है।

क्या कहते हैं पुरात्वविद

' मिथिला में प्र्राप्त शिलालेख को पढ़ने का प्रयास जारी है। हां राजराजश्वरी का अभिलेख काफी पुराना है। अन्य कई जगहों से भी कई प्राचीन प्रतिमाओं पर शिलालेख मिले हैं। हमारी नजर में जो भी शिलालेख आता है उसे पढ़वाने का काम करते हैं। '

--शिव कुमार मिश्र, बिहार रिसर्च सोसाइटी पटना संग्रहालय


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