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महाकवि विद्यापति आज भी मैथिल ललनाओं के कंठ में करते वास

मधुबनी। मिथिलांचल सर्वांगीण विकास संस्थान बेनीपट्टी के द्वारा आयोजित 35वां तीन दिवसीय मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह के दूसरे दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता पद्मभूषण से सम्मानित पूर्व सांसद हुक्मदेव नारायण यादव ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 10:49 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 06:29 AM (IST)
महाकवि विद्यापति आज भी मैथिल ललनाओं के कंठ में करते वास
महाकवि विद्यापति आज भी मैथिल ललनाओं के कंठ में करते वास

मधुबनी। मिथिलांचल सर्वांगीण विकास संस्थान बेनीपट्टी के द्वारा आयोजित 35वां तीन दिवसीय मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह के दूसरे दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता पद्मभूषण से सम्मानित पूर्व सांसद हुक्मदेव नारायण यादव ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। अपने संबोधन में कहा कि मिथिला की संस्कृति अद्भुत है। महाकवि विद्यापति लोक भाषाओं के आदि रचनाकार के रूप में जाने जाते हैं। मिथिला ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है। मिथिला में विद्वान व विभूतियों का भंडार है। महाकवि विद्यापति आज भी मैथिल ललनाओं के कंठ में वास करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की सरकार में मैथिली को अष्टम सूची में दर्जा देकर मिथिला का सम्मान बढ़ाया गया। अपनी प्रतिभा को जगाए रखने के साथ ही मिथिलांचल की संस्कृति व संस्कार को बचाने के प्रति आगे आने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महाकवि विद्यापति की रचना बाल विवाह व समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने में सार्थक साबित हुई। विद्यापति मिथिला की पहचान है साथ ही महाकवि विद्यापति हमारे संस्कृति के आदर्श पुरूष व राष्ट्र के विभूति हैं। भाषा के सहारे रोजगार एवं मैथिली में कार्यालय में आवेदन दें।

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इस अवसर पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रो. शीतलांबर झा ने कहा कि मिथिला विद्वानों की धरती प्राचीन काल से है। मिथिला की संस्कृति का विश्व में अलग पहचान है। मैथिली भाषा दुनिया की मधुरतम भाषा है। मिथिलांचल के सर्वांगीण विकास व मातृ भाषा के विकास भाषण से नहीं होगा। मैथिली को संवैधानिक दर्जा तो मिला है लेकिन शिक्षक की बहाली नहीं हो रही है। मैथिली के साथ दोहरी राजनीति की जा रही है। हर वर्ष मिथिला बाढ़ सुखाड़ का दंश झेलने को विवश हैं। रोजगार के अभाव में लोगों पलायन कर रहे हैं। मिथिलांचल में बंद पड़े उद्योग धंधे को चालू किए जाने के प्रति सरकार गंभीरता नहीं दिखा रही है। मिथिला राज्य के बिना मिथिलांचल के विकास संभव नहीं है। कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मनोज मिश्र ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में मैथिली को हटाकर सरकार मैथिली भाषा के साथ भेदभाव कर रही है। मिथिला में रहने वाले सभी मैथिल है। मैथिली शिक्षकों की बहाली एवं मिथिलांचल के विकास के प्रति सरकार संवेदनशील नहीं है। इस अवसर पर भाजपा नेता रंधीर ठाकुर ने कहा कि महाकवि विद्यापति लोक भाषाओं के आदि रचनाकार हैं। विद्यापति मिथिला के ही नहीं बल्कि राष्ट्र के विभूति है। मैथिली भाषा विश्व की मधुरतम भाषा है। मिथिला ऐसे संत महात्मा ऋषि मुनियों का भूमि है।

कार्यक्रम में संस्था के अध्यक्ष अमरनाथ झा भोलन, जिला परिषद मिलन देवी, उपाध्यक्ष डॉ. एमटी रेजा, कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. नवीन झा, ललित कुमार झा, शत्रुघ्न झा, महासचिव संजीव चौधरी, भाग्य नारायण झा, प्रो. ब्रह्म कुमार झा, कालीशचंद्र झा कन्हैया, रौशन मिश्रा, धर्मेंद्र कुमार, मोहन मिश्र, सुनील कुमार मिश्र, डॉ. बागीशकांत झा, अमरेश कुमार वर्मा, अमरनाथ प्रसाद, कमल कुमार झा, विनय कुमार झा सहित अन्य लोगों ने विचार प्रकट किए। आगत अतिथि को संस्था के अध्यक्ष अमरनाथ झा ने पाग दोपटा से सम्मानित किया।

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रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में मंत्रमुग्ध हुए श्रोता रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में मिथिला के सुप्रसिद्ध कलाकार व गायक एवं गायिका ने अपने मधुर गीतों के बीच श्रोताओं को रातभर झुमाते रहे। सुप्रसिद्ध गायक अनुष्का साक्षी, श्रृष्टि श्रुति, प्राची कुमारी, प्रिया झा, रमेश रंजन, डोली सिंह, विकास झा, राहुल सुमन, अर्जुन झा, लालदेव साह, आलोक भारती, नेहा निखिल, गोपाल झा सहित अन्य कलाकारों ने गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध करते रहे। सुप्रसिद्ध गायिका डॉली सिंह, विकास झा, अनुष्का साक्षी, श्रृष्टि श्रुति, प्राची कुमारी के मधुर गीतों के बीच श्रोताओं ने जमकर आनंद उठाया। डोली सिंह के मधूर गीत मिथिल के बोल अनमोल छै गे बहिना, ब्राम्हण बाबू यौ कनियो कनियो होइयो न सहाय एवं विकास झा के भाषा हमर अछि मैथिली हम मैथिल छी जैसे गीतों पर श्रोता झूमते रहे।


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