कोर्ट परिसर की सुरक्षा के नाम पर महज खानापूरी
व्यवहार न्यायालय, मधुबनी परिसर की सुरक्षा के नाम पर महज खानापूरी ही की जा रही है।
मधुबनी। व्यवहार न्यायालय, मधुबनी परिसर की सुरक्षा के नाम पर महज खानापूरी ही की जा रही है। पर्याप्त संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती नहीं होने के कारण कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता नहीं माना जा रहा है। हालांकि वर्षों पूर्व की तुलना में मौजूदा समय में कोर्ट परिसर की सुरक्षा हेतु कई उपाय किए गए है। न्यायालयों को चहारदीवारी से सुरक्षित किया गया है। कई जगहों पर गेट की व्यवस्था की गई है। पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। लेकिन सभी सुरक्षाकर्मियों को मेटल डिटेक्टर से लैस नहीं किया गया है। जिस कारण कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी प्रतीत हो रहा है। फिलहाल कोर्ट परिसर की सुरक्षा हेतु महज नौ सुरक्षा कर्मी तैनात : बताया जा रहा है कि करीब तीन माह पहले तक कोर्ट परिसर की सुरक्षा में 20 पदाधिकारियों-सिपाहियों को तैनात किया गया था। लेकिन विगत तीन माह से कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था में महज 09 पदाधिकारी-सुरक्षाकर्मी ही तैनात हैं। इनमें एक पुलिस अवर निरीक्षक, दो सहायक अवर निरीक्षक, तीन हवलदार, दो सिपाही एवं एक महिला सिपाही शामिल हैं। पुलिस अवर निरीक्षक मो. अंसारुल हक के नेतृत्व में इन सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।
कोर्ट परिसर की सुरक्षा हेतु तैनात किए गए सुरक्षा कर्मियों में से महज एक के पास ही मेटल डिटेक्टर है। शेष सुरक्षा कर्मियों के पास मेटल डिटेक्टर नहीं रहता है। इतना ही नहीं पहले डीजे न्यायालय के पास एक बडी स्कैनर की भी रहता था, लेकिन अब यहां भी बडी स्कैनर नहीं है। मधुबनी व्यवहार न्यायालय परिसर में भी हो चुकी है एक विचाराधीन बंदी की हत्या : यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मधुबनी व्यवहार न्यायालय परिसर में भी एक विचाराधीन बंदी की हत्या वर्षों पूर्व की जा चुकी है। वर्ष 1995 में न्यायालय में पेशी के दौरान एक विचाराधीन बंदी की हत्या गोली मारकर कर दी गई थी। कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को और भी अधिक पुख्ता करने की दरकार : इधर मंगलवार को न्यायालय प्रशासन ने कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। कोर्ट परिसर की सुरक्षा में लगे पदाधिकारियों एवं सुरक्षा कर्मियों को बुलाकर पुख्ता सुरक्षा के बाबत न्यायालय प्रशासन द्वारा कई आवश्यक निर्देश भी दिया गया। वहीं अधिवक्ता महेश्वर प्रसाद ¨सह व राम केवल साहु का मानना है कि कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को और भी अधिक सु²ढ़ किया जाना चाहिए। हालांकि कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में पुलिस अधीक्षक से पक्ष लेने का प्रयास विफल रह