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संसाधनों के अभाव में झंझारपुर पीएचसी बना रेफरल अस्पताल

-हाल झंझारपुर पीएचसी का झंझारपुर(मधुबनी)संस अनुमंडल मुख्यालय से सटे झंझारपुर आरएस स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संसाधनों के कमी के कारण मात्र रेफर अस्पताल के रुप में कार्य कर रहा है। तकरीबन 2 लाख 50 हजार की आबादी को स्वास्थ्य लाभ देने के उद्देश्य से निर्मित इस अस्पताल में अब मात्र ओपीडी इलाज ही किसी तरह चल रहा है। यहां प्रत्येक दिन आने वाले रोगियों का औसत 50 से 60 बताया गया है। इस अस्पताल की स्थिति पूर्व में ऐसी नहीं थी। कहा जाता है कि जब से झंझारपुर अनुमंडल मुख्यालय में अनुमंडल अस्पताल कार्य करने लगा है। यहां की इलाज व्यवस्था चौपट हो गया है। अस्पताल में मौके पर मौजूद प्रखंड चिकित्सा प्रभारी डॉ

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 11:15 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 06:33 AM (IST)
संसाधनों के अभाव में झंझारपुर पीएचसी बना रेफरल अस्पताल
संसाधनों के अभाव में झंझारपुर पीएचसी बना रेफरल अस्पताल

मधुबनी। झंझारपुर अनुमंडल मुख्यालय से सटे झंझारपुर आरएस स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संसाधनों के कमी के कारण मात्र रेफरल अस्पताल के रूप में कार्य कर रहा है। तकरीबन 2.50 लाख की आबादी को स्वास्थ्य लाभ देने के उद्देश्य से निर्मित इस अस्पताल में अब मात्र ओपीडी इलाज ही किसी तरह चल रहा है। यहां प्रत्येक दिन आने वाले रोगियों का औसत 50 से 60 बताया गया है। इस अस्पताल की स्थिति पूर्व में ऐसी नहीं थी। कहा जाता है कि जब से झंझारपुर अनुमंडल मुख्यालय में अनुमंडल अस्पताल कार्य करने लगा है। यहां की इलाज व्यवस्था चौपट हो गई है। अस्पताल में मौके पर मौजूद प्रखंड चिकित्सा प्रभारी डॉ. मुकेश कुमार ने कहा कि जहां भी अनुमंडल अस्पताल उपलब्ध है। उसके पांच किलो मीटर के दायरे में स्थित पीएचसी में अमूमन इलाज चरमरा गया है। इस अस्पताल के बारे में उनका कहना था कि अस्पताल के पास पर्याप्त जमीन उपलब्ध है। यहां के अधिकांश भवन जर्जर हो चुका है। किसी प्रकार ओपीडी एवं सप्ताह में दो दिन बंध्याकरण ऑपरेशन किया जा रहा है। 6 बेड वाले इस अस्पताल में एक भी बेड उपलब्ध नहीं है। बंध्याकरण ऑपरेशन के बाद रोगियों को बेड के बदले गद्दा बिछा कर सोने का स्थान दिया जाता है। उनका कहना था मात्र नेशनल प्रोग्राम जैसे पोलियो, टीकाकरण, मलेरिया, फायलेरिया, टीबी आदि के लिए ही यह अस्पताल कार्य कर रहा है। इमरजेंसी इलाज के लिए यहां से रोगियों को रेफर कर दिया जाता है। यहां एक्सरे की व्यवस्था नहीं है।

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यहां होने वाली जांच: सूगर, खखार, हेमोग्लोबिन, प्रिग्नेंसी, एचआईवी आदि।

अस्पताल में पदों की स्थिति: यहां चिकित्सकों के 8 पदों में 2, एएनएम के 26 पदों में 14, क्लर्क के 4 पदों में 3, एमएफपीडब्लू के 3 पदों में 1, स्पेशल कोलरा वर्कर के 2 पदों में 1, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के 13 पदों में 9, हेल्थ एजुकेटर के 2 पदों में 1 कार्यरत हैं। जबकि कम्प्यूटर टेक्निशियन का 1ए बीएचडब्लू का 8, हेल्थ निरीक्षक का 1, एलएचवी का 2, लैव टेक्निशियन का 4,निगरानी निरीक्षक का 2, फर्मासिस्ट का 3 एवं ड्रेसर का 3 पद खाली पड़ा है। अस्पताल में एक चालक भी है। संविदा पर एक दंत चिकित्सक भी मौजूद हैं। यहां 14 एएनएम में से 13 को अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों पर लगाया गया है। अस्पताल में 45 ओपीडी दवाओं में 29 उपलब्ध है। इस अस्पताल की वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो यहां की इलाज की व्यवस्था तकरीबन नगन्य हो चुकी है। अस्पताल में पर्याप्त भूमि होने के कारण या तो सरकार इस अस्पताल को पूर्ण संसाधन उपलब्ध करा कर इसे बेहतर इलाज की क्षमता प्रदान करेंगे अथवा यहां की भूमि को किसी उपयोगी कार्य कर इसको उपयोगी बनाया जाए। इलाज के लिए पहुंचे रोगियों में रानी देवी, लक्ष्मण प्रसाद, विनय झा, लालो देवी आदि बताते हैं कि यहां मात्र जड़ बुखार आदि का ही इलाज किया जाता है। इमरजेंसी के लिए रोगियों को अनुमंडल अस्पताल अथवा निजी क्लिनिक में इलाज कराना पड़ता है।


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