नहर बना तो नौ गांवों के किसानों के सामने होगी भुखमरी
लखनौर प्रखंड के आधा दर्जन गांव के किसान अपने गांव से होकर नहर नहीं बनने देने पर आमादा हैं। किसानों ने अब आंदोलन की राह भी पकड़ ली है।
मधुबनी । लखनौर प्रखंड के आधा दर्जन गांव के किसान अपने गांव से होकर नहर नहीं बनने देने पर आमादा हैं। किसानों ने अब आंदोलन की राह भी पकड़ ली है। शुक्रवार को लखनौर प्रखंड कार्यालय परिसर में किसानों ने नहर पीड़ित किसान मोर्चा के बैनर तले धरना दिया। धरना सभा की अध्यक्षता मोर्चा के अध्यक्ष राजेंद्र लाल दास नवल एवं राजेन्द्र रमण कवि ने की। किसानों ने कहा कि 1970 के दशक में झंझारपुर-मधेपुर के बीच बनने वाली पश्चिमी कोसी नहर का एलाइनमेंट लखनौर गांव होकर बना था। राजनीतिक कारणों से तब के कद्दावर नेताओं ने उक्त गांवों की जमीन को बचाने के उद्देश्य से नहर का रूख ही परिवर्तित करा दिया। अब सरकार यह नहर लखनौर के छारापट्टी, कोरियापट्टी, हरभंगा, कटमाखोईर, महादेवचौड़ी, रूपौली, बेला,लौफा तथा मधेपुर के पचही गांव होकर बनाना चाहती है। किसानों ने साफ कहा कि इस गांव में अधिकतर कुशवाहा जाति के लोग निवास करते हैं, जिनका मुख्य पेशा सब्जी उत्पादन कर परिवार का भरण पोषण करना है। किसानों के पास जमीन कम है। नहर बनाने से अधिकांश लोगों की जमीन नहर में चली जाएगी। किसान नहर बनने से खुशहाल होने के बजाए भुखमरी के शिकार होंगे। किसानों ने कहा कि उनलोगों ने परमेसरा गांव में नहर निर्माण का कार्य वर्षो से रोक रखा है। किसान नहर के निर्माण का मूल नक्शा यानी 1970 के दशक के नक्शा से चाहते हैं। किसानों ने मांग रखी कि सरकार किसानों को भूमि अधिग्रहण से मुक्त कर दे। प्रत्येक पंचायत में एक कोल्ड स्टोर की व्यवस्था करे। किसानों के लिए मुफ्त बिजली की व्यवस्था हो तथा गांव में कैंप लगाकर मिट्टी जांच की जाए।
धरना सभा को किसान सूर्य नारायण महतो, शंकर प्रसाद, शिव प्रसाद सिंहा, उदय कुमार महतो, कृष्ण कुमार प्रसाद, नंद कुमार महतो, योगेंद्र महतो, रामअवतार महतो, जीवछ महतो, सत्यनारायण महतो, बैद्यनाथी महतो, अर्जुन कुमार, राम प्रसाद महतो, ब्रह्मादेव सिंह, राधेश्याम महतो, केदार महतो सहित अन्य ने संबोधित किया।