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जैविक खेती से दोगुनी आमदनी कर रहे सैकडों किसान

मधुबनी । किसानों में जैविक खेती की ओर रुझान बढ़ा है। सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 11:27 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 11:27 PM (IST)
जैविक खेती से दोगुनी आमदनी कर रहे सैकडों किसान
जैविक खेती से दोगुनी आमदनी कर रहे सैकडों किसान

मधुबनी । किसानों में जैविक खेती की ओर रुझान बढ़ा है। सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। जैविक खेती करने वाले जिले के 500 से अधिक किसान जैविक खाद बना रहे हैं। इसे खुद भी अपने खेत में इस्तेमाल करते हैं और बडे पैमाने पर इसका उत्पादन कर बड़ी संख्या में किसानों को मुहैया भी करा रहे हैं। समय के साथ कृषि क्षेत्र में जैविक खेती में जिला काफी उन्नति की ओर बढ़ रहा है। जैविक तरीके से तरह-तरह के फसलों से होने वाले आय से किसानों की आमदनी दोगुनी होने का सपना साकार हो रहा है।

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जैविक तरीके से लेमनग्रास की खेती में कामयाबी :

राजनगर प्रखंड रांटी सीमा टोल निवासी प्रमोद कुमार यादव जैविक तरीके से लेमनग्रास की खेती में कामयाबी हासिल कर रहे हैं। प्रमोद को लेमनग्रास की खेती में मिली सफलता से गांव के योगेंद्र यादव सहित एक दर्जन से अधिक युवाओं ने लेमनग्रास की खेती का मन बनाया है। गांव में दो बीघा जमीन लीज पर लेकर लेमनग्रास की खेती करने वाले प्रमोद इसकी खेती से प्रतिवर्ष डेढ़ लाख रुपये की आमदनी कर रहे हैं। तकरीबन 35 हजार लागत पर प्रतिवर्ष डेढ़ लाख की आमदनी कर रहे प्रमोद ने बताया कि लेमनग्रास की एक बार फसल लगाने के बाद वर्ष में चार बार इसकी फसल लेते हैं। प्रमोद ने बताया कि आने वाले वर्षों में लेमनग्रास की खेती बृहद पैमाने पर करने के लिए योजना बनाई है। लेमनग्रास की खेती से आकर्षित गांव के करीब एक दर्जन युवा किसान लेमनग्रास की खेती की योजना बनाई है। इसके लिए युवा किसानों का एक ग्रुप बनाया है। जिसके माध्यम से लेमन ग्रास की खेती को आगे बढ़ाएंगे। लेमनग्रास फसल की अच्छी कीमत और मांग होने से इसकी खेती की शुरुआत की है। अपनी फसल बेचने के लिए बाजार की जरूरत नहीं पड़ती। इसके खरीदार खेत पर पहुंचकर ही फसल की खरीदारी कर लेते हैं। दो वर्ष पूर्व दो बीघा में खस की खेती कर चुके हैं। लेमनग्रास की फसल को किसी मवेशी से नुकसान का खतरा नहीं होता है।

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औषधीय पौधों की खेती से लाखों की आमदनी :

कोरोना संक्रमण के बाद औषधीय पौधों की बढ़ती मांग से इलाके अनेकों किसानों की जैविक तरीके से औषधीय खेती की ओर रूचि बढ़ी है। जिले के बाबूबरही प्रखंड के छौरही गांव के युवा किसान अविनाश कुमार के करीब दस बीघा खेत में जैविक तरीके से औषधीय फसलों की खेती कर रहे हैं। अविनाश छह वर्षों से तुलसी, ब्राह्मी, वच, अर्जुन सहित अन्य औषधीय पौधों की खेती कर प्रतिवर्ष ढाई-तीन लाख रुपये की आमदनी कर रहे है। सालोंभर औषधीय पौधों की खेती कर रहे अविनाश इसके अन्य किसानों को निशुल्क प्रशिक्षण भी देते हैं।

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जैविक खेती से तरक्की की राह पर खजौली के 267 किसान :

खजौली प्रखंड के कन्हौली, चतरा बेलदरही, बिरौल, हरीशवारा सहित एक दर्जन गांव के करीब 267 किसान जैविक खेती कर प्रतिवर्ष प्रति किसान एक लाख से अधिक की आमदनी कर रहे है। कन्हौली गांव के किसान बिलट प्रसाद सिंह ने बताया कि वर्ष 2012 से खजौली कृषक प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के माध्यम से प्रखंड में जैविक खेती की जा रही है। काला धान, काला गेहूं, काला चना सहित तरह-तरह के फसलों की खेती कर रहे 267 किसानों की आय दोगुनी हो चुकी है। जिला उद्यान पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि जैविक खेती के लिए विभागीय स्तर पर किसानों को कई तरह से लाभ मुहैया कराई जा रही है। जिले के किसानों ने जैविक खेती की ओर तेजी से आगे आ रहे हैं।

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