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प्रसव के लिए महिला चिकित्सकों की टकटकी

सदर अस्पताल सहित विभिन्न अनुमंडलीय अस्पतालों के अलावा अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव वार्ड में महिला डाक्टरों की कमी है।

By Edited By: Published: Fri, 17 Feb 2017 02:10 AM (IST)Updated: Fri, 17 Feb 2017 02:10 AM (IST)
प्रसव के लिए महिला चिकित्सकों की टकटकी
प्रसव के लिए महिला चिकित्सकों की टकटकी

मधुबनी। सदर अस्पताल सहित विभिन्न अनुमंडलीय अस्पतालों के अलावा अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव वार्ड में भर्ती होने के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं पर निजी क्लीनिक के बिचौलियों की नजर लगी रहती है। सामान्य प्रसव जैसी स्थिति में भी चिकित्सकों द्वारा सीजेरियन का भय दिखाकर गर्भवती महिलाओं को निजी क्लीनिकों में भेजने को उकसाने की परम्परा बढ़ती जा रही है। जाहिर है कि सामान्य प्रसव से चिकित्सकों को अतिरिक्त आमदनी की गुंजाइश नहीं होती। जबकि ऐसे चिकित्सकों के द्वारा संचालित निजी क्लीनिकों में सीजेरियन से मोटी रकम की आमदनी तय मानी जाती है। सदर अस्पताल के महिला चिकित्सकों द्वारा अस्पताल के आसपास निजी क्लीनिक का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। हालांकि इसके अलावा शहर में एक दर्जन से अधिक निजी क्लीनिकों का संचालन हो रहा है। इन क्लीनिकों में खासकर प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं की भीड़ होती है।-----------------------------

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महिला चिकित्सकों की भारी कमी

वैसे तो सदर अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी बनी है लेकिन महिला चिकित्सकों की संख्या मात्र स्वीकृत पद आठ की जगह वर्तमान में तीन महिला चिकित्सक ही कार्यरत हैं। इसी तरह जयनगर व फुलपरास अनुमंडलीय अस्पताल में महिला चिकित्सकों के स्वीकृत पद दो की जगह वर्तमान में एक भी महिला चिकित्सक कार्यरत नहीं हैं। झंझारपुर अनुमंडीय अस्पताल में स्वीकृत पद दो की जगह वर्तमान में एक महिला चिकित्सक कार्यरत हैं। इसी तरह जिलें के 21 प्रखंडों के पीएचसी में महिला चिकित्सकों की स्वीकृत पद एक की जगह वर्तमान में बासोपट्टी, हरलाखी पीएचसी को छोड़कर अन्य पीएचसी में महिला चिकित्सक कार्यरत नहीं हैं।

महिला चिकित्सकों की कमी से प्रसव वार्ड सहित जेनरल वार्ड में भर्ती महिला रोगियों को इलाज के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में सामान्य प्रसव की संख्या तो संतोषजनक मानी जा सकती है लेकिन ऑपरेशन कर शिशु जन्म की संख्या नगण्य होती है। ऑपर शन के लायक गर्भवती महिलाओं का अस्पताल में सीजेरियन नहीं करने की अनेक कारण बताकर उसे निजी क्लीनिक में भर्ती कराने पर विवश कर दिया जाता है।


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