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वर्षा जल संचय से रुकेगा भमिगत जल का दोहन, तालाब व कुएं की बड़ी महत्ता

मधुबनी। प्राचीन व्यवस्था में जल स्त्रोत के रूप में तालाबों व कुएं की बड़ी महत्ता हुआ करती थी। इनकी उपेक्षा और अतिक्रमण से साल दर साल जल संकट की समस्या बढ़ती चली गई। जल संकट से निजात पाने में प्राचीन जल स्त्रोतों में तालाब व कुआं को फिर से उपयुक्त बनाया जा सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 11:40 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 06:31 AM (IST)
वर्षा जल संचय से रुकेगा भमिगत जल का दोहन, तालाब व कुएं की बड़ी महत्ता
वर्षा जल संचय से रुकेगा भमिगत जल का दोहन, तालाब व कुएं की बड़ी महत्ता

मधुबनी। प्राचीन व्यवस्था में जल स्त्रोत के रूप में तालाबों व कुएं की बड़ी महत्ता हुआ करती थी। इनकी उपेक्षा और अतिक्रमण से साल दर साल जल संकट की समस्या बढ़ती चली गई। जल संकट से निजात पाने में प्राचीन जल स्त्रोतों में तालाब व कुआं को फिर से उपयुक्त बनाया जा सकता है। कुआं को विकसित कर उससे जल निकासी के लिए मोटर का सहारा लिया जाय तो लोगों के घरों तक पेयजल की आपूर्ति काफी आसान हो जाएगा। पूर्व में बड़ी संख्या में लोगों के आवासीय परिसर के अलावा धार्मिक परिसरों से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के लिए जल सहित अन्य कार्यों के लिए भी कुआं ही मुख्य सहारा होता था। इसकी बदहाली और अतिक्रमण से शहरी क्षेत्र में कदम-कदम पर कुआं का अवशेष ही देखने को मिलता है। शहर में नगर परिषद प्रशासन के तहत सार्वजनिक स्थलों पर पूर्व में निर्मित दो दर्जन तालाब लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। शहर के तालाबों की हालत बदतर शहर के कई तालाब के चहुंओर गंदगी इसकी सूरत बदलकर रख दी है। लोग तालाब तक पहुंचने पर नाख-भौं सिकोरने लगते हैं। तालाबों के चहुंओर गंदगी व उबड़-खाबड़ भिडा के कारण तालाबों की हालत बदतर बन गई है। शहर के शहर के तिलक चौक, कीर्तन भवन व गंगासागर तालाब के भिडा पर अतिक्रमण की समस्या बनी है। तालाब घाट के निकट गंदगी का अंबार से लोगों को परेशानी होती है। कई तालाबों के मात्र एक भाग ही खुला नजर आ रहा है। शेष तीन भाग लोगों के घरों से ढक गया है। तालाब किनारे मृत पशुओं को फेंकने से परेशानी गंदगी व दूषित जल के कारण पर्यावरण को प्रदूषित करने जैसा साबित हो रहा है। 'हर घर नल जल योजना के लिए वाटर मीनार का निर्माण कुआं स्थल पर बनाए जाने से कुआं के माध्यम से वाटर मीनार को आसानी से पानी की आपूर्ति संभव हो सकता है। विभाग को वाटर मीनार बनाने के साथ भूमिगत जल निकासी पर खर्च भी कम आएगा। अतिक्रमित कुआं का जीर्णोद्धार भी संभव होगा।'

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- डॉ. साकेत कुमार महासेठ, व्यवसायी

फोटो 1 एमडीबी 5 'अमृत समान वर्षा का जल संचय से जल किल्लत पर काबू पाया जा सकता है। वर्षा जल संचय के साथ इसकी बर्बादी भी रुकेगी। प्रकृति का अनुपम उपहार जल संचय के प्रयास को अमल में लाना होगा। जमीन पर गिरे बगैर वर्षा जल का संचय कर उसे पेयजल के रुप में प्रयोग किया जा सकता है।'

- गुरु शरण सर्राफ, समाजसेवी

फोटो 1 एमडीबी 7 'तालाबों, कुआं के उड़ाही की जरूरत है। आमतौर पर एक व्यक्ति को प्रतिदिन तकरीबन 40 से 50 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। गर्मी के दिनों में जल की खपत अधिक बढ़ जाती है। जिले के 10 हजार 747 तालाबों में से बदहाल तालाबों के जीर्णेद्धार के लिए कारगर कदम उठाना होगा।'

- प्रशांत कुमार, जल संरक्षक

फोटो 1 एमडीबी 8 'पुराने कुआं का जीर्णोद्धार के लिए अभियान के रूप में आम लोगों को इस कार्य से जोड़ा जा सकता है।'कुआं से मोटर जोड़कर जलापूर्ति आसान हो सकता है। किसी कुआं को जीवित करने के साथ उससे मोटर के सहारे नल के द्वारा कुआं के आसपास के घरों में जलापूर्ति की जा सकती है।'

- वशिष्ठ नारायण झा, पूर्व सैनिक

फोटो 1 एमडीबी 39 प्राचीन काल से ही चली आ रही परम्परा के अनुरूप विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों के क्रम में आज भी कुआं की पूजा या फिर कुआं के निकट अनुष्ठान अनिवार्य होता है। कुआं, तालाबों को बचाने के लिए आगे आना ही होगा।

- अरुण कुमार राय, समाजसेवी

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तालाबों की बदहाली, अतिक्रमण, उनकी अस्तित्व समाप्ति पर आप अपने विचार वाट्सएप नंबर 9472591165 पर अवगत करा सकते है।


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