ई-कचरा की अनदेखी हो सकती जानलेवा
ई-कचरा का नियमत: निस्तारण नहीं होने से कई प्रकार की खामियों को बढ़ावा दे रहा है। कचरा से वस्तुएं बटोरकर आमदनी करने वाले लोगों के लिए ई-कचरा खतरनाक बना रहता है।
मधुबनी। ई-कचरा का नियमत: निस्तारण नहीं होने से कई प्रकार की खामियों को बढ़ावा दे रहा है। कचरा से वस्तुएं बटोरकर आमदनी करने वाले लोगों के लिए ई-कचरा खतरनाक बना रहता है। प्रावधानों की परवाह किए बगैर इसके खुलेआम जलाने से इसकी धूआं पर्यावरण के साथ आम लोगों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। कचरा, ई-कचरा या फिर मेडिकल कचरा का उचित रखरखाव तथा निस्तारण की व्यवस्था यहां अबतक बहाल नहीं हो सका है। शहर में कचरा निस्तारण की योजना लागू नहीं किया गया है। यहां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कायार्लय नहीं होने से जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप पर रोक की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है।
ई-कचरा के प्रकार में शामिल ये वस्तुएं
ई-कचरा के प्रकार में शामिल ¨प्रटेड सर्किट बोर्ड, मदर बोर्ड, कैफोड ट्यूब, स्वीच फ्लैक स्क्रीन मानिटर, कम्प्यूटर बैट्री, केबल इंसूलेशन को¨टग, प्लास्टिक हाउ¨सग, मोबाइल टेलीफोन्स, पर्सनल कम्प्यूटर्स, कैमरा, टेलीवीजन, एलसीडी, रेफ्रीजरेटर, आईटी एसोसीरिज सहित अन्य वस्तु होते हैं।
ई-कचरा में करीब 38 अलग-अलग प्रकार के रासायनिक तत्व
ई-कचरा के निस्तारण के प्रावधान की उपेक्षा से यहां पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। ई-कचरा में करीब 38 अलग-अलग प्रकार के रासायणिक तत्व शामिल होते हैं। टीवी व पुराने कम्प्यूटर में लगी सीआरटी को रिसाइल करना मुश्किल होता है। इस कचरे में लेड, मरक्यूरी, केडमियम जैसे घातक तत्व होता है। प्लास्टिक व कई तरह के तत्वों से लेकर अन्य पदार्थ रहते हैं। शहरी क्षेत्र में कूड़ा-करकट में पाए जाने वाले ई-कचरा हवा, मिट्टी और भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहा है। केडमियम से फेफड़े, किडनी प्रभावित होते हैं।
मेडिकल कचड़ा में शामिल निडिल, टूटे दवाओं की शीशी सहित अन्य वस्तु होता जानलेवा
कचरा से कुछ आमदनी के लिए वस्तुओं को एकत्रित करने वालों के लिए मेडिकल कचरा जानलेवा साबित होता है। मेडिकल कचड़ा में शामिल निडिल, टूटे दवाओं की शीशी सहित अन्य वस्तु इसकी साफ-सफाई करने वालों के लिए भी नुकसानदेह होता है। विभिन्न हिस्सों में चल रहे निजी क्लीनिकों से निकलने वाले मेडिकल कचरा का निष्पादन में नियमों की अनदेखी हो रही है। अधिकांश क्लिनिकों संचालकों द्वारा मेडिकल कचरा को निकट ही सार्वजनिक स्थलों पर खुले में फेक दिया जाता है। कचरों में अपना भोजन तलाश रही आवारा पशुओं के लिए भी खतरनाक होता है। इसकी साफ-सफाई करने वाले कर्मियों के लिए भी जानलेवा साबित होता है।
इलेक्ट्रानिक्स वेस्ट को अवैज्ञानिक तरीके से निष्पादन से वायु प्रदूषण का होता कुप्रभाव
इलेक्ट्रानिक्स वेस्ट को अवैज्ञानिक तरीके से निष्पादित किए जाने यानी कि खुले में जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण से मानव पर कई कुप्रभाव पड़ता है। कारर्सेनोजेन्स-डाईबेंजो पैरा डायोक्सिन (टीसीडीडी) एवं न्यूरोटॉक्सिन्स जैसी विषैले जैसे उत्पन्न होती है। इससे मानव शरीर में प्रजनन क्षमता, शारीरिक विकास एवं प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। हार्मोनल असंतुलन व कैंसर जैसी खतरा बढ़ जाता है। अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड तथा क्लोरो-फ्लोरो कार्बन भी जनित होती है। जो वायुमंडल व ओजोन परक के लिए नुकसानदायक होता है।
कबाड़खानों में देखा जा सकता ई-कचरा का ढेर
ई-कचरा का भंडारण किया जाना कानून अपराध माना गया है। शहर के कूड़ा-कचरा से निकालकर लाए गए ई-कचड़ा स्थानीय कबाड़खाना में बेच दिया जाता है। कबाड़खाना में बड़े पैमाने पर ई-कचरा का ढेर देखा जा सकता है। जानकारों के अनुसार ई-कचरा जलाने वाले बच्चों के परिवार के मुखिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। ई-कचरा का निस्तारण के संदर्भ में कई विधि बताए गए हैं। जिसमें सुरक्षित विधि से ई-कचड़ा को भूमि में जलाना, एसिड के द्वारा मैटल की रिकवरी आदि शामिल है।
कचरे की ढेर से होती परेशानी
शहरी क्षेत्र के चौक-चौराहों से कचरे का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। शहर के विभिन्न हिस्सों में जगह-जगह कचड़े का ढेर देखा जा रहा है। इससे ई-कचरा की मात्रा देखी जा सकती है। शहर में नालाओं की सफाई कर कचरा को सड़क पर छोड़ देने से आमलोगों को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ता है। शहर के कई हिस्सों में सड़क पर कचरों का ढेर रहता है। इसकी सफाई की गति धीमी देखी जाती है।
'नगर परिषद क्षेत्र में कचरा निस्तारण के प्रावधान को लागू करने के दिशा में विभागीय स्तर पर प्रयास चल रहा है। शहरी क्षेत्र में किसी भी प्रकार का कचरा सरेआम फेंकने वालों को चिन्हित कर विधिसंवत कार्रवाई की जाएगी।'
- जटाशंकर झा, कार्यपालक पदाधिकारी, नप
'शहर के तालाबों का जल दूषित होने से तालाबों में स्नान से चर्म रोग सहित अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। धमाकेदार बम-पटाखों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए आम लोगों को ध्यान देना चाहिए।
- डा. आरके दास
'प्रतिबंध के बाद भी पालिथीन के प्रयोग से प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है। मरे हुए पशुओं को यत्र-तत्र फेंक देने के अलावा तेज हार्न तथा धुआं उगलने वाले वाहनों से प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है।'
- तेजनाथ मिश्रा