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लोकगाथाओं को साहित्य में प्रभावी ढंग से उकेरा

जिले के बेनीपट्टी अनुमंडल अंतर्गत मकिया गांव निवासी व डीबी कॉलेज, जयनगर के प्रधानाचार्य डॉ. फूलो पासवान अंग्रेजी, ¨हदी, मैथिली साहित्य जगत के नामचीन लेखक हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 05:30 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 05:30 PM (IST)
लोकगाथाओं को साहित्य में प्रभावी ढंग से उकेरा
लोकगाथाओं को साहित्य में प्रभावी ढंग से उकेरा

मधुबनी। जिले के बेनीपट्टी अनुमंडल अंतर्गत मकिया गांव निवासी व डीबी कॉलेज, जयनगर के प्रधानाचार्य डॉ. फूलो पासवान अंग्रेजी, ¨हदी, मैथिली साहित्य जगत के नामचीन लेखक हैं। इनकी पहली पुस्तक 'मैथिली मूल गाथा- सलहेस' है। साहित्य अकादमी नई दिल्ली से प्रकाशित इस पुस्तक से इन्होंने खूब ख्याति अर्जित की। लोक साहित्य पर इन्होंने अपनी अच्छी पैठ बना ली है। दीनाभद्री लोक नाटक पर भी इनकी लिखी पुस्तक आ चुकी है। कहा कि पहली पुस्तक प्रकाशित हुई तो उस समय मैथिली साहित्य के स्थापित लेखक डॉ. महेंद्र नारायण राम ने लोकगाथा की तथ्यात्मक विषय वस्तु को सुंदर ढंग से अपनी भूमिका में ही विस्तृत चर्चा की थी। प्रभासक कथाशिल्प में समाजिक चित्रण पर पीएचडी डिग्री प्राप्त डॉ. फूलो ने मैथिली भाषा साहित्य के संव‌र्द्धन व संरक्षण में सराहनीय योगदान दिया है। पमर से पमरिया सहित यहां की लोकगाथ पर कार्य किया जो पहली पुस्तक के प्रकाशन के बाद ही संभव हो पाया। पहली पुस्तक प्रकाशित हुई तो उस समय डॉ. रामदेव झा, डॉ. भीमनाथ झा, डॉ. जयधारी ¨सह, अमरेश पाठक व प्रो. आनंद मिश्र ने पुस्तक की उपादेयता को प्रतिपादित किया था।

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