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सूखी होली की परंपरा कई मायनों में बेहतर और लाभकारी

रंगों का त्योहार होली पर पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सूखी होली की परम्परा कई मायनों में बेहतर व लाभकारी साबित होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 10:43 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 10:43 PM (IST)
सूखी होली की परंपरा कई मायनों में बेहतर और लाभकारी
सूखी होली की परंपरा कई मायनों में बेहतर और लाभकारी

मधुबनी। रंगों का त्योहार होली पर पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सूखी होली की परम्परा कई मायनों में बेहतर व लाभकारी साबित होगी। आमतौर पर होली त्योहार के बाद क्षेत्र में जल संकट की समस्या विकराल बनती चली जाती है। आम लोगों के अलावा पशुओं के समक्ष भी पेयजल की किल्लत होने लगती है। तालाब सूखने लगते हैं। चापाकल पानी देना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में जल के दुरुपयोग को रोकना ही सार्थक होगा। पानी की बचत को लेकर गंभीर नहीं हुए तो भविष्य में जल संकट की विकराल समस्या से आने वाले पीढि़यों को सामना करना पर सकता है। जल संरक्षण के लिए सूखी होली को बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए। जागरुक लोग पानी की दुरुपयोग को रोकने के लिए सूखी होली की परम्परा का संकल्प भी व्यक्त करने लगे हैं। जल ही जीवन है। रंगों का त्योहार होली पर पानी की बचत के लिए सूखी होली मनाया जाना चाहिए। इसके लिए औरों को भी प्रेरित करूंगा। सूखी होली को बढ़ावा देकर जलसंकट पर काबू पाने की कोशिश चलती रहेगी।

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- देवेन्द्र चौधरी जल का संरक्षण जरूरी है। जल को बचाना हम सभी का कर्तव्य होता है। जल के बगैर हमारी जिदगी खतरे में पड़ जाएगी। जल के दुरुपयोग को रोकने का हर संभव प्रयास जरूरी है। सूखी होली मनाकर जल को बचाएं।

- डॉ. साकेत महासेठ पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सूखी होली समय की मांग है। इस दिशा में सभी को गंभीरता से पहल करनी होगी। सूखी होली का रूप देने का संकल्प लें। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है।

- किसलय चौधरी मानव जीवन से रंगों का गहरा जुड़ाव रहा है। रगों का त्योहार होली पर रंग की जगह गुलाल के प्रयोग से पानी की बचत की जा सकती है। सूखी होली को बढ़ावा के लिए आगे आने की जरूरत है। पानी की बर्बादी रोकना जरूरी है।

- जयकुमार झा ------------------ होली करीब होने के साथ बाजार की बढ़ी चहलपहल रंगों का त्योहार होली करीब होने के साथ बाजार की चहलपहल बढ़ गई है। होली को लेकर लोग विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी के लिए बाजार निकल पड़े हैं। अधिकांश खाद्य वस्तुओं की दरों में पिछले वर्ष के भांति कोई उछाल नही देखी जा रही है। खासकर विभिन्न किस्म के दाल, मसाला के दर में पिछले साल के अपेक्षा इस साल मामूली गिरावट का फायदा लोगों को हो रहा है। अन्य वस्तुओं के मूल्यों में मामूली उतार-चढ़ाव का खरीदारों पर कोई असर नहीं देखा जा रहा है। कुल मिलाकर इस होली पर खाद्य वस्तुओं की खरीदारी करने वालों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है। स्थानीय बाजार में खरीदारी कर रहे मंजू देवी ने बताया कि इस वर्ष होली में मंहगाई की मार से निजात मिल रहा हैं। किसी भी वस्तुओं के दरों में उछाल नही हैं। पिछलें वर्ष की मूल्य पर ही साम्रग्री मिल रहा हैं। वहीं रोहित कुमार ने बताया कि काजू सहित कुछ वस्तुओं पर जीएसटी के कारण इसके मूल्य में इजाफा हुआ हैं लेकिन वैसी वस्तुओं की आर्थिक रूप से कमजोर लोग कम ही खरीदारी करते हैं। होली पर बाजार का भाव - मैदा : 28 रुपए, प्रतिकिलो

- सुज्जी : 30 रुपए, प्रतिकिलो

- चीनी : 37 रुपए, प्रतिकिलो

- रिफायन : 95 रुपए, प्रतिकिलो

- सरसों तेल : 95 से 110 रुपए, प्रतिकिलो

- काजू : 800 से 1000 रुपए, प्रतिकिलो

- किसमिस : 300 से 400 रुपए, प्रतिकिलो

- घी : 450 रुपए, प्रतिकिलो

- खोया : 360 रुपए, प्रतिकिलो

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