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तालाब की जमीन पर दर्जनों दुकान-मकान

मधुबनी। तालाबों की बदहाली और उसके अतिक्रमण के दौर से जिले के अधिकांश सरकारी तालाब जूझ रहा है। बरसात बाद सूखे की मार झेलने वाले सरकारी तालाबों की बदहाली दूर करने में संबंधित विभाग अक्षम साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 10:45 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 06:40 AM (IST)
तालाब की जमीन पर दर्जनों दुकान-मकान
तालाब की जमीन पर दर्जनों दुकान-मकान

मधुबनी। तालाबों की बदहाली और उसके अतिक्रमण के दौर से जिले के अधिकांश सरकारी तालाब जूझ रहा है। बरसात बाद सूखे की मार झेलने वाले सरकारी तालाबों की बदहाली दूर करने में संबंधित विभाग अक्षम साबित हो रहा है। सालों भर लोगों का स्नान, मछली पालन व सिचाई सुविधा मुहैया कराने वाले तालाबों को सूखने से जल संकट की विकट समस्या उत्पन्न होने लगा है। मछली, मखाना उत्पादन के लिए प्रखंडवार मत्स्यजीवी सहयोग समिति को दिए गए 10 हजार 735 तालाबों में से करीब पांच हजार से अधिक तालाब जलकुंभी से भरा पड़ा रहता है। इन तालाबों में मछली पालन, मखाना उत्पादन मुश्किल भरा होता है। इस तरह के तालाबों का बड़ा हिस्सा अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चला गया है। वहीं जिला मत्स्य विभाग के तहत तालाबों के रखरखाव के लिए अपनायी गयी प्रक्रिया की गति धीमी होने से तालाबों को बचाने की मुहिम को बल नही मिल रहा है।

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तालाब की अतिक्रमित जमीन पर ज्वेलर्स, कपड़ा, रेडिमेड वस्त्र, दवा की प्रतिष्ठान संचालित करीब दो दशक पूर्व तक पवित्र जल से लोगों को शीतलता प्रदान करने वाला मधेपुर मुख्य बाजार के स्थित एक सरकरी तालाब का कोई अतापता नही चल रहा है। स्थानीय लोग इस तालाब की चर्चा शुरू होते ही उदास होते हुए कहते है कि मधेपुर बाजार के बीचोंबीच इस करीब छह बीघा वाले तालाब का अवशेष मात्र नजर आ रहा है। तालाब के शेष जमीन पर अतिक्रमण कर अनेकों भवन, मकान, दुकान बना लिया गया है। तालाब की अतिक्रमित जमीन पर ज्वेलर्स, कपड़ा, रेडीमेड वस्त्र, दवा की प्रतिष्ठान संचालित हो रहा है। इन प्रतिष्ठानों के पीछे तालाब की जमीन पर आवासीय मकान का निर्माण कर लिया गया है। लोगों द्वारा इस तालाब में गंदगी व नाले की दूषित पानी बहाए जाने से तालाब का धीरे-धीरे स्वरूप बदल गया। इसके अलावा दर्जनों फुटपाथी दुकानदारों ने भी तालाब की जमीन पर अपनी दुकान सजाते है। गंदगी से पटे अतिक्रमित इस तालाब को बचाने के लिए सरकारी स्तर पर समुचित संरक्षण नही मिलने से तालाब का नामोनिशान मिट सा गया है। एक दशक से तालाब के चारों ओर अतिक्रमण का दायरा बढ़ता ही चला गया लेकिन संबंधित विभाग की उदासीनता सामने आती रही। लोगों को कहना है कि तालाब को अतिक्रमण से मुक्त कराने के दिशा में अंचल अमीन द्वारा मापी कराया जाना चाहिए। अतिक्रमण के कारण लोगों की तालाब पर पहुंच नही हो रही है। जिससे इस तालाब पर अब छठ पूजा भी नही होती है। लोगों को कहना है कि इस अतिक्रमित तालाब को मुक्त कराकर सौंदर्यीकरण की योजना पर कार्य शुरू किया जाना चाहिए।

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खुटौना के बंगाली टोला स्थित एक सरकारी तालाब का अतिक्रमण जारी खुटौना प्रखंड के लौकहा के बंगाली टोला स्थित एक सरकारी तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। करीब 9 बीघा वाले इस तालाब की करीब तीन बीधा जमीन पर एक दर्जन से अधिक स्थानीय लोगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। जंगल-झाड़ वाले इस तालाब का अतिक्रमण का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। तालाब पर अतिक्रमण को लेकर कई दफे स्थानीय लोगों द्वारा अंचल प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया जाता रहा है। लेकिन तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने के दिशा में कोई कार्रवाई की सूचना नही है। चहारदिवारी व घाट विहीन अतिक्रमण और जंगल-झाड़ के कारण तालाब का वजूद मिटता जा रहा है। तालाब की उड़ाही नही होने से वर्षा जल का समुचित संचय नही हो पाता है। तालाबों की गहराई बढ़ाकर वर्षा जल को बचाने का प्रयास किया जाना चाहिए। अंचल प्रशासन की उदासीनता के कारण प्रखंड के अनेक तालाब की स्थिति मरनासन्न हो गई है।

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लक्ष्मीपुर तालाब को जीवित करने के लिए लोग लालायित, नही मिल रहा प्रशासन का सहयोग खुटौना प्रखंड के मझौरा पंचायत के लक्ष्मीपुर गांव स्थित एक सरकारी तालाब की दो दशक से उपेक्षा से इसकी पहचान समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। चहुंओर अतिक्रमण के कारण यह तालाब का जल दूषित हो गया है। जलकुंभी और गंदगी से भरे इस तालाब के अस्तित्व पर ग्रहण लग गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तालाब को जीवित करने के लिए लोग लालायित तो है लेकिन शासन-प्रशासन की सहयोग नही मिल रहा है। तालाब के जीर्णोद्धार की दिशा में आवश्यक पहल शुरू किया जाना चाहिए। तालाब के अतिक्रमण के प्रति प्रखंड प्रशासन उदासीन बना है। तालाब को फिर से जीवित करने के दिशा में सरकारी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। इस बदहाल तालाब का जीर्णोद्धार कार्य स्थानीय लोगों के मदद से पूरा किया जा सकता है। भिडा के बगैर लोगों को तालाब के समुचित लाभ से वंचित होना पड़ रहा हैं।

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बसुआरा गांव के सूर्या तालाब में भिडा और घाट की कमी रहिका प्रखंड के बसुआरा गांव स्थित सूर्या तालाब के चहुंओर भिडा व घाट का अभाव बना है। करीब एक बीघा वाले इस तालाब की जमीन पर अतिक्रमण की शिकायत सामने आती रही है। गांव के दुर्गानंद मंडल ने बताया कि जलकुंभी और गंदगी से पटे इस तालाब के जीर्णाेद्धार की योजना अब तक नहीं बनाई जा सकी है। इस तालाब को जीवित करने की जरूरत है। गर्मी के दिनों में यह तालाब सूखने के करीब पहुंच जाता है। पशुपालकों के समक्ष पशुओं के पीने के पानी के लिए कठिनाई होने लगती है। बसुआरा पंचायत के अन्य सरकारी तालाबों की हालत खराब बनी है।

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'जिले के सरकारी तालाबों पर विभाग की नजर बनी हुई है। सरकार के दिशा-निर्देश के आलोक में सरकारी तालाबों की रखरखाव के लिए विभाग पूरी तरह मुस्तैद है। तालाबों के अतिक्रमण की शिकायतों को गंभीरता से निपटारा किया जाता है। तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराने की प्रक्रिया चल रही है।'

- सूर्य प्रकाश राम, जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी


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