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संसाधन विहीन स्कूल पीटते स्मार्ट क्लास का ¨ढढोरा

प्राइवेट स्कूलों का संचालन विभागीय कसौटी पर खड़ा नहीं उतरने के बाद भी धड़ल्ले से खोले जा रहे स्कूलों के प्रति विभागीय उदासीन सामने आ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 11:08 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:08 PM (IST)
संसाधन विहीन स्कूल पीटते स्मार्ट क्लास का ¨ढढोरा
संसाधन विहीन स्कूल पीटते स्मार्ट क्लास का ¨ढढोरा

मधुबनी। प्राइवेट स्कूलों का संचालन विभागीय कसौटी पर खड़ा नहीं उतरने के बाद भी धड़ल्ले से खोले जा रहे स्कूलों के प्रति विभागीय उदासीन सामने आ रहा है। कंप्यूटर शिक्षा व स्मार्ट क्लास के नाम की ¨ढढोरा पिटने वाले संसाधन विहीन स्कूलों के बच्चों के हित की अनदेखी करते हुए संचालकों की नजर बच्चों के परिजनों के जेब पर होती है। खेल मैदान, समुचित भवन व शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में देखा जाता है। बच्चों के लिए स्कूल द्वारा महंगे पुस्तकों के अलावा अन्य आर्थिक वहन के जूझना पड़ता है। बच्चों के परिजनों पर डाल दिया जाता शिक्षण व वाहन चार्ज का बोझ प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन, शिक्षण काफी महंगे होने के कारण मध्यम वर्ग के लोग चाह कर भी अपने बच्चों को ऐसे स्कूलों में नहीं पढ़ा पाते हैं। शहरी क्षेत्र व इससे सटे ग्रामीण क्षेत्रों में करीब दो दर्जन ऐसे प्राइवेट स्कूलों का संचालन हो रहा है जिसमें एडमिशन के नाम पर मोटी रकम की मांग की जाती है। इसके अलावा शिक्षण व वाहन चार्ज का बोझ बच्चों के परिजनों पर डाल दिया जाता है। एडमिशन के दिनों में प्राइवेट स्कूलों के संचालकों की मनमानी भी सामने आते रहे हैं। देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के नाम पर प्राइवेट स्कूलों का व्यापार जोर पकड़ता जा रहा है। जीर्णशीर्ण हालात में कुछ कमरों में संचालित अनेक प्राइवेट स्कूलों में बेहतर शिक्षा के आकर्षक बोड देखने को मिल जाता है। लेकिन ऐसे स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता का कोई खयाल नहीं होता। अनेकों प्राइवेट स्कूलों में कुशल शिक्षक का अभाव भी होता है। बच्चों पर मंडराता रहता खतरा दूरभाष पर कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष बालाजी मिश्रा ने बताया कि प्राइवेट स्कूल का संचालकों की मनमानी के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन शुरु करने की जरूरत है। कदम-कदम पर चलाए जा रहे प्राइवेट स्कूल में सरकारी प्रावधानों का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है। लाइसेंस की अनदेखी कर रहे प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बच्चों के लिए निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। प्राइवेट स्कूल संचालकों द्वारा एडमिशन के नाम पर बच्चों के परिजनों से की जा रहीं मोटी रकम की जांच कर दोषियो पर कार्रवाई किया जाना चाहिए। जिले में संचालित अनेक प्राइवेट स्कूलों की जर्जर छत होने से बच्चों पर खतरा मंडराता रहता है। इधर मधुबनी शहर स्थित एक प्राइवेट स्कूल के डायरेक्टर रंजीत कुमार कहते हैं कि प्राइवेट स्कूल का संचालन अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बच्चों के परिजन शिक्षण शुल्क ससमय भुगतान नहीं कर पाते हैं। बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के खयाल से प्राइवेट स्कूलों का संचालन घाटे का सौदा साबित हो रहा है।

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