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कृमि मुक्ति अभियान शुरू, बच्चों को खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल टेबलेट

मधुबनी । बच्चों को कुपोषण से निजात और रक्त कमी की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर गुरुवार को कृमि मुक्ति अभियान की शुरुआत की गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 11:45 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 11:45 PM (IST)
कृमि मुक्ति अभियान शुरू, बच्चों को खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल टेबलेट
कृमि मुक्ति अभियान शुरू, बच्चों को खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल टेबलेट

मधुबनी । बच्चों को कुपोषण से निजात और रक्त कमी की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर गुरुवार को कृमि मुक्ति अभियान की शुरुआत की गई। अभियान के तहत जिले के 3681 विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र जाने वाले बच्चों के अलावा विद्यालय नहीं जाने वाले बच्चों को दवा खिलाई जाएगी। जिले को 25 लाख 50 हजार 591 एल्बेंडाजोल टेबलेट जिले को आवंटित किया गया है। गुरुवार से प्रारंभ यह अभियान 21 सितंबर तक चलाया जाएगा। खाली पेट नहीं खिलाई जाएगी एल्बेंडाजोल की दवा :

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सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया दवा का सेवन पर बच्चों में पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान जैसी शिकायत होने पर घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा। इस दौरान बच्चों को आराम करना चाहिए। इस तरह की शिकायत स्वत: ठीक हो जाएगा। गंभीर बीमारी का इलाज चल रहे या नियमित रूप से दवा का सेवन करने तथा सर्दी ,खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ से पीड़ित बच्चों को यह दवा नहीं खिलाई जाएगी। बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा खाली पेट में नहीं खिलाई जाएगी। एक से दो साल तक के बच्चों को आधा टेबलेट व उससे अधिक उम्र के बच्चों को एक टेबलेट खिलाई जाएगी।विद्यालयों में दोपहर के भोजन के बाद बच्चों को कृमि नाशक दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा एवं शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। बच्चों में बाधित हो जाता शारीरिक व बौद्धिक विकास :

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसके विश्वकर्मा ने बताया कि आंगनबाड़ी जाने वाले एक से पांच वर्ष तक के बच्चों तथा स्कूल जाने वाले छह वर्ष 19 वर्ष तक के बच्चों तथा स्कूल विद्यालय नहीं जाने वाले बच्चों को आशा कार्यकर्ताओं गृह भ्रमण कर एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। बच्चों में कृमि संक्रमण अस्वच्छता तथा दूषित मिट्टी के संपर्क में आने से होती है। कृमि संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर तथा हीमोग्लोबिन स्तर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों में शारीरिक व बौद्धिक विकास बाधित हो जाता है। दवा के सेवन से वंचित बच्चों को चिह्नित कर उन्हें विद्यालयों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लाकर दवा खिलाई जाएगी।


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