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नहीं हो रहा उच्चैठ सिद्ध पीठ का विकास

कालिदास की याद संजोए मिथिलांचल का सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान शक्ति की उपासना के लिए श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 11:00 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 11:00 PM (IST)
नहीं हो रहा उच्चैठ सिद्ध पीठ का विकास
नहीं हो रहा उच्चैठ सिद्ध पीठ का विकास

मधुबनी। कालिदास की याद संजोए मिथिलांचल का सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान शक्ति की उपासना के लिए श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अपनी ऐतिहासिक व पौराणिक पृष्टिभूमि के लिए चर्चित उच्चैठ स्थित दुर्गा भगवती का दर्शन करने बिहार, नेपाल, बंगाल के अलावा देश के अन्य भागों से भी भक्तगण प्रतिदिन आते ही रहते है। खासकर शारदीय नवरात्र में मां की पूजा-अर्चना के लिए लाखों की संख्या में भक्तगण आते हैं।

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अनुमंडल मुख्यालय बेनीपट्टी से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर उच्चैठ गांव में सिद्धपीठ भगवती विराजमान हैं। थुम्हानी नदी के किनारे अवस्थित उच्चैठ गांव व उच्चैठ वासिनी दूर्गा मंदिर के बगल उतर-पूरब में सरोबर और सरोबर के पूरब श्मशान होना तथा काली, कालिया, काली मिश्र को ज्ञान की प्राप्ति के बाद कालीदास बनने की प्राचीन जनश्रुतियों है। काले शिलाखंड पर जो मूर्ति अंकित है उनमें देवी चार भुजा वाली है जिनके बाएं दो हाथों में कमल फूल और गदा तथा उसके नीचे बजरंग वली की मूर्ति, दाहिने दोनों हाथों में चक्र और त्रिशूल एवं उसके नीचे काली की मूर्ति फिर उसके नीचे मछली का चिन्ह व बाएं पांव में चक्र का चिन्ह अंकित है। ¨सह के उपर कमलासन में विराजमान लेकिन मस्तक कटा हुआ है तथा इनमें महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की सम्मलित शक्ति होने का प्रमाण मिलता है। मां दुर्गा की ढाई फीट वाले कलात्मक प्रतिमा भक्तों के लिए मनभावन बना हुआ है। मैया के दरबार में भक्तों को दिव्य अनुभूति व आलौकिक शांति मिलती है साथ ही सच्चे मन से आने वाले भक्त सिद्धपीठ की दरबार से खाली हाथ नहीं लौटता है। मिथिलांचल का पौराणिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को धारण किए सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान में आर्शीवाद की बरसात होती है। अबतक नही मिली है पर्यटन स्थल की दर्जा-

सिद्धपीद्ध उच्चैठ भगवती स्थान को अबतक पर्यटन स्थल का दर्जा नही मिल सका है। जबकि सिद्धपीठ स्थल को विकसित किए जाने की जरूरत है। अधिकांश जमीन अतिक्रमित

सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान के 22 एकड़ से अधिक जमीन है। जिसे स्थानीय लोगों द्वारा अधिकांशत: जमीन को अतिक्रमित कर लिया गया है। जबकि अतिक्रमित भूमि को खाली कराए जाने के प्रति सजगता नहीं दिखाई जा रही है। कहते हैं सीओ बेनीपट्टी के सीओ पुरेन्द्र कुमार ¨सह ने बताया कि कई बार जमीन अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी किया गया है जहां जल्द ही अतिक्रमण खाली कराए जाने की दिशा में काम हो रहा है।


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