कनैल गांव में विकास नहीं, वादे झूठे साबित
लोकसभा चुनाव की सरगर्मी मौसम के बढ़ते ताप के साथ बढ़ रही है।
मधुबनी। लोकसभा चुनाव की सरगर्मी मौसम के बढ़ते ताप के साथ बढ़ रही है। मधुबनी लोकसभा में जैसे-जैसे नामांकन का क्रम आगे बढ़ रहा है। लोग चुनाव को लेकर कयास लगाना शुरू कर दिया है। बढ़ती सरगर्मी के बीच लोग चौक चौराहों, खलिहानों, सुबह शाम दरवाजे पर होने वाली बैठकों में विभिन्न समस्याओं को लेकर चर्चा करने में लग गए हैं। जिसमें विकास पर सर्वाधिक चर्चा लोग कर रहे है। ऐसा ही एक गांव रहिका प्रखंड के नाजीरपुर पंचायत में है। नाम है कनैल। जहां आज तक विकास की रोशनी नहीं पहुंच सकी है। जीववत्सा नदी के किनारे बसे इस गांव को राजनेतओं ने अभी तक विकास से वंचित रखा है। सिर्फ वादे कर भूलने का काम किया है। उपेक्षा का आलम यह है कि यहां एक दुरूस्त सड़क भी नहीं है। रपट सुनील कुमार मिश्र की।
--------------- पूरी तरह से उपक्षित है यह गांव
नाजीरपुर पंचायत का कनैल गांव अब तक पूरी तरह सें उपेक्षित रहा है। यहां एक अदद सड़क की भी व्यवस्था नहीं। गांव की गलियां भी उबड़-खाबड़ हैं। ऐसे में लोगों को आवागमन में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव गांव के बाहर से ही दिखने लगता है। मधुबनी-नाजिरपुर सड़क यादव टोला से जब आप गांव की ओर वर्षों पुराने खड़ंजा सड़क से गांव की ओर चलेंगे तो वाहन डगमग करने लगेगा। बराबर अब गिरे तब गिरे की स्थिति में रहेंगे। गांव में प्रवेश करते ही मिलता है वर्षों से बंद पड़ा पीएचसी। महादलित टोला की हालत तो और भी खराब। यह किसानों की बस्ती है। इसी गांव में ही प्रख्यात शिक्षाविद् एवं जिले का गौरव रिजनल सेकेंड्री स्कूल के निदेशक रामश्रृगार पांडेय का घर भी है। लेकिन, उनके घर तक भी जाने के लिए बेहतर सड़क नहीं है। पंचायत स्तर पर भी इस गांव को जो विकास होना चाहिए नहीं हो सका है। हां कहीं-कहीं कुछ सौ मीटर में पीसीसी जरूर हुआ दिखा। लेकिन, अन्य सड़कों की हालत बद से बदतर है। शिक्षा के लिए एकमात्र उत्क्रमित मध्य विद्यालय जिसे छात्र अनुपात में भवन नहीं। यह गांव जीववत्सा नदी से पोषित है। लेकिन उस पर 125 वर्ष पूर्व लोहा की समाजसेवी मसोमात ने एक पुल बनवाया था जो अब ध्वस्त हो चुका है। इस कारण दरभंगा-जयनगर एन से जुड़ाव भी ठप हो गया है। ग्रामीणों की बात मानें तो गांव की इस दशा के लिए शासन-प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। विकास नहीं होने से तंग आकर इस बार चुनाव में लोगों ने जनप्रतिनिधियों को सबक सीखने का मन बनाया है। -------------- इस गांव की समस्या जानने के लिए हम जब गांव की गलियों को पार कर महंथ रामसुदिष्ट ठाकुर के दरवाजे पर पहुंचे तो देखा वहां करीब 20 की संख्या में लोग जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं चुनावी चर्चा में मशगूल थे। सभी राजनेताओं को कोस रहे थे। जहां हम भी उनकी बात सुनने के लिए बैठ गए। वहीं बैठे भगवान पांडे ने कहा सर पानी पीजिए और एक गिलास पानी हाथ में थमा दिया। गर्मी तेज थी। इस स्वागत से मिथिला की परंपरा के गांवों में जीवित होने का अहसास हुआ। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह गांव ऐतिहासिक है। इस गांव से होकर एक प्राचीन सड़क है जो राजनगर से वाया कनैल, लोहा, नागदह-अरेर होते हुए बेनीपट्टी की ओर जाती है। जो प्राचीन सड़कों में एक है। इससे होकर मधुबनी के रास्ते जाने से आधा से भी कम समय लगता है। लेकिन, इस सड़क पर यातायात नहीं होने के कारण ठप है। विनोदा नंद झा कह रहे थे कि 125 वर्ष पूर्व लोहा के मसोमात शशि चौधराइन ने गांव के पश्चिम जीवछ नदी पर अपने खर्चे से एक पुल का निर्माण कर यातायात को सुगम बनाया था जो ध्वस्त हो चुका है। किसी तरह चचरी बिछाकर ग्रामीण पैदल आवागमन करते हैं। यह सड़क लोहा से जुड़ती है। हस्तक्षेप करते हुए रमेश कुमार मिश्र ने कहा कि बिडंबना यह है कि पुल से पश्चिम कदम पेड़ है जहां बेनीपट्टी की सीमा खत्म होती है वहां तक सड़क बनाकर छोड़ दिया गया। वहां से ग्रामीण कुछ दूर कच्ची व फिर कष्टदायी बन चुकी खड़ंजा सड़क से गांव आते हैं। सीतारात, शिवचंद्र राम, राम अशीष मुखिया ने कहा कि एक सड़क गांव के प्रवेश स्थल से सौराठ की ओर जाती है। इसे सौराठ की ओर से कनैल सीमा तक लाकर छोड़ दिया गया। नरसिंह मुखिया, हरेराम कार्जी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जैसे लगता है हम भारत के नक्शे में नहीं हैं। आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने गांव के विकास की सुध नहीं ली। बरसात में कोई बीमार हो जाए तो परेशानी बढ़ जाती है। किशोरी मंडल ने कहा कि हद भ गेलै। हमर गाम के वोट त सबके चाही लेकिन विकास नै। वोट के समय में खुबे वादा करै छै आ वोट समाप्त के बाद दर्शनों दुर्लभ। बिजली का जर्जर तार, पांच स्टेट बोरिग में एक का किसी तरह काम करना हमारी समस्या है जिसका निदान नहीं हो सका है। हस्तक्षेप करते हुए सुखदेव मंडल एवं किशोरी मंडल ने कहा कि इसलिए इस बार जनप्रतिनिधियों को सबक सीखना हैं। कुमारी रमा व ज्योति कुमारी ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि वो दिन याद आता है। जब यहां के अस्पताल में रोज चिकित्सक आते थे। बंध्याकरण आपरेशन में महिलाओं की भीड़ लगी रहती थी। सामान्य बीमारी में महिलाओं का यहीं पर इलाज हो जाता था। लेकिन अब वर्षों से बंद है।