ग्रामीण इलाकों में फैल रहा कोरोना संक्रमण, स्वास्थ्य सेवाएं नाकाफी
मधुबनी। कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार ने अब कस्बाई शहरों एवं ग्रामीण इलाकों को भी अपनी चपेट में लेना प्रारंभ कर दिया है।
मधुबनी। कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार ने अब कस्बाई शहरों एवं ग्रामीण इलाकों को भी अपनी चपेट में लेना प्रारंभ कर दिया है। जिला के कई कस्बाई शहर एवं गांव इसकी जद में आ चुके हैं। लोगों में भय का माहौल बनने लगा है। शुरुआती दौर में ग्रामीण इलाके के लोग कोरोना संक्रमण के रोकथाम को लेकर सजग थे। बाहर से आने वाले लोगों के प्रवेश करने पर सजगता से उसे अलग-थलग करने की कवायद में जुटे रहते थे। वो दौर खत्म हो चुका है। लोग अब बाहर से आते भी नहीं, बल्कि अब तो रोजगार की तलाश में बाहर जाने लगे हैं। समय बीतने के साथ ही कोरोना वायरस अब ग्रामीण इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगी है, लेकिन इसके रोकथाम को लेकर जारी सरकारी कवायद नाकाफी दिख रही है। स्वास्थ्य सेवाओं की यह कमी लोगों के चिता का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। न कोई जांच की व्यवस्था, न ही कोई इलाज की व्यवस्था अब तक की जा सकी है।-------------------
लोगों को खुद ही रहना होगा सतर्क :
कोरोना संक्रमण के ग्रामीण इलाकों में दस्तक देने के बाद इससे बचने के लिए लोगों को खुद ही सतर्क रहना होगा। सरकार के स्तर पर ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है, जो लोगों में भरोसा पैदा कर सके। सरकार व्यापक प्रचार-प्रसार कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रही है। एसडीओ शंकर शरण ओमी से इस बाबत बात की गई तो उन्होंने हाथ खड़े करते हुए कहा कि ग्रामीण इलाके के लोग खुद अपने बचाव को लेकर सजग रहें। कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सरकार के स्तर पर सावधानियां बरतने को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया है। इससे अधिक क्या किया जा सकता है। इससे आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकारी व्यवस्था इस मामले में कितनी गंभीर है।
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स्वास्थ्य महकमा भी कागजी खानापूर्ति में लगा :
ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण को रोकने को लेकर स्वास्थ्य महकमा भी कागजी खानापूर्ति में लगा है।आशा के जिम्मे ग्रामीण इलाकों को सौंप दिया गया है। आशा अपने गांव में लोगों को कोरोना वायरस के बाबत जानकारी देकर संदेह होने पर अनुमंडल अस्पताल में जाकर जांच कराने की सलाह दे रही है। ऐसा कहना है चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कुमार रोनित का। लेकिन, जमीनी सच्चाई ऐसी नहीं है। लोग स्वयं संदेह होने पर जांच कराने पहुंच रहे हैं।
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ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह ठप :
जयनगर प्रखंड के 15 पंचायतों में सरकारी स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह ठप है। कहने को तो 16 स्वास्थ्य उपकेंद्र एवं दो अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन किसी का ताला भी नहीं खुलता। जबकि, सभी जगह चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों की कागजों पर तैनाती की गई है। सभी केंद्रों के नाम पर दवा भी आपूर्ति की जा रही है। लॉकडाउन में तो साप्ताहिक टीकाकरण भी बंद कर दिया गया है। इस स्थिति में यदि ग्रामीण इलाकों में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला, तो फिर भगवान ही मालिक हैं।
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पंचायत प्रतिनिधि भी उदासीन :
ग्रामीण इलाकों में सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे पंचायत प्रतिनिधि भी उदासीन बने हुए हैं। सरकार ने इन्हें मास्क और साबुन वितरण करने का जिम्मा सौंपा तो इसमें भी ये लोग अपनी कमाई खोजने लगे। अधिकांश पंचायतों में इतनी घटिया स्तर का मास्क का वितरण किया गया कि लोग इसका उपयोग करने से बेहतर फेंक देना ही समझा। मास्क और साबुन वितरण कार्य की खानापूर्ति कर पंचायत प्रतिनिधि भी चैन की मुद्रा में आ गए। जबकि, लोग और उम्मीदें पाल रखे हैं। लब्बोलुआब यह की कोरोना वायरस यदि ग्रामीण इलाकों में पैर पसारता है, तो त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। प्रखंड के कई पंचायतों में तो भारी बरसात के कारण आवागमन भी दुरूह बना हुआ है, ऐसे में बीमार होने पर शहरों कि ओर रुख करना भी वैतरणी पार करने जैसा है। --------------------------------