जलकुंभी से भरे पैंनपीबी तालाब के चहुंओर अतिक्रमण की होड़
मधुबनी। तालाबों को जीवित करने के लिए लोग लालायित तो है लेकिन शासन-प्रशासन की असहयोग से यह संभव नही हो रहा हैं। वर्षा जल संचय के लिए तालाबों की बदहाली को दूर करने में सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है।
मधुबनी। तालाबों को जीवित करने के लिए लोग लालायित तो है लेकिन शासन-प्रशासन की असहयोग से यह संभव नही हो रहा हैं। वर्षा जल संचय के लिए तालाबों की बदहाली को दूर करने में सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है। विभागीय जानकारी मुताबिक जिले में तालाबों की संख्या 10 हजार से अधिक है। सैरात में शामिल अधिकांश तालाब मछली, मखाना उत्पादन के लिए जिले के विभिन्न मत्स्यजीवी सहयोग समिति को दिया गया है। इनमें आधा से अधिक तालाबों का अतिक्रमण तथा जलकुंभी से पटे रहने से मछली व मखाना उत्पादन भी प्रभावित होने के साथ जल संकट गहड़ाता जा रहा है। अतिक्रमित तालाबों का मछुआ सोसायटी लेने से कतराने लगे है। अनेक सरकारी तालाबों का बड़ा हिस्सा अतिक्रमणकारियों के कब्जे में देखा जा रहा है। ऐसे तालाबों से आम लोगों को कोई लाभ नही मिल रहा है और ना ही जल संचय हो रहा है। वहीं लोगों को छठ पूजा के लिए जल वाले तालाबों की तलाश जारी रहता है। अतिक्रमित तालाबों को मुक्त कराने के दिशा में ठोस कार्रवाई नही होने से अतिक्रमकारियों का मनोबल बढ़ चला गया। अतिक्रमण से दर्जनों तालाबों की पहचान अब समाप्त होने के करीब पहुंच गया है।
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अतिक्रमण से पैंनपीबी तालाब के अस्तित्व पर सवाल घोघरडीहा प्रखंड के सुदई रतौली पंचायत के बेलमोहन गांव स्थित पैंनपीबी तालाब जीर्णोद्धार की आस लगाए है। इस तालाब में जंगल-झाड़ होने से बरसात के दिनों में थोड़ी-बहुत तालाब की प्यास तो बूझती है लेकिन तालाब में वर्षा जल का संरक्षण नही हो रहा है। अतिक्रमणकारियों ने इस तालाब के अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर दिया है। एक दशक पूर्व तक इस तालाब की काफी अहमियत थी। जंगल-झाड़ व जलकुंभी भरे इस तालाब के चहुंओर अतिक्रमण की होड़ लगी है। पैंनपीबी सहित प्रखंड के दर्जनों तालाबों का अतिक्रमण के कारण उसका दायरा सिमटता जा रहा हैं। तालाबों व उसके भिडे का अतिक्रमण का जंजाल भी फैलता जा रहा है। इस सरकारी तालाब के जमीन पर घर बनते जा रहे हैं। तालाबों को नही बचाया जा सका तो आने वाले वर्षों में तालाबों को ढ़ूढ़ना भी मुश्किल होगा।
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दूषित जल वाले लिरही तालाब को चहुंओर गंदगी, जंगलझाड़ और अतिक्रमण की समस्या सरकारी स्तर पर रखरखाव की उदासीनता तालाबों की हालत बदतर होती जा रही है। घोघरडीहा प्रखंड के सुदईरतौली पंचायत के बेलमोहन गांव स्थित लिरही तालाब का दूषित होता जल और इसके चहुंओर गंदगी, जंगलझाड़ और अतिक्रमण की समस्या तालाब की प्रतिष्ठा पर आंच पहुंचा रहा है। इस तालाब किनारे फेकें जाने वाला गंदगी से जल को दूषित कर रहा हैं। इस तालाब के किनारे अतिक्रमण का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। इस तालाबों के चहुंओर अतिक्रमण के कारण यह तालाब आम लोगों को तालाब के लाभ से वंचित होना पड़ रहा हैं। अतिक्रमणकारियों के कब्जे से तालाब के बड़ा हिस्सा को मुक्त कराने के दिशा में कोई कार्रवाई नही हो रही है। तालाब के अतिक्रमण से स्नान और पशुओं को पेयजल के लिए परेशानी हो रही है। अतिक्रमणकारियों द्वारा अपने घरों का दूषित पानी और शौचालय का मलमूत्र तालाब में बहाए जाने से तालाब की स्वच्छता को बहाल रखना मुश्किल हो रहा है।
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धनखेाईर गांव के दुर्गा स्थान परिसर स्थित तालाब के चहुंओर जंगलझाड़ घोघरडीहा प्रखंड के धनखेाईर गांव के दुर्गा स्थान परिसर स्थित तालाब के चहुंओर जंगलझाड़ उग आए है। बरसात के दिनों में इस तालाब में वर्षा जल का संचय तो हो रहा है लेकिन भिडा और घाट का अभाव बना हैं। इस तालाब की स्वच्छता बहाल रखने में दिक्कत आ रही है। धनखेाईर गांव के लोगों का कहना है कि इस तालाब के जल की स्वच्छता बहाल करने के साथ तालाब के भिडा और घाट निर्माण के दिशा में विभागीय कार्रवाई को बल दिया जाना चाहिए। पूर्व में तालाब में घाट का निर्माण की रूपरेखा तय की गई थी लेकिन कुछ लोगों के विरोध किए जाने से तालाब में घाट निर्माण नही हो सका। लोगों ने बताया कि धनखेाईर गांव में वर्षों पूर्व 18 तालाब था। जो अब नजर नही आ रहा है। धनखेाईर गांव के शेष दो तालाब के सौदर्यीकरण के दिशा में संबंधित विभाग को समुचित प्रयास करना चाहिए। भुतही बलान नदी के गर्भ में बसे धनखेाईर गांव के नजर नही आ रहे डेढ़ दर्जन तालाबों को जीवित करने से बाढ़ के कहर से बचा जा सकता है।