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दिव्य अनुभूति व अलौकिक शांति मिलती

अनुमंडल मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर परसौना पंचायत के जरैल गांव स्थित कालिक ा व दुर्गा भगवती स्थान में दिव्य अनुभूति व अलौकिक शांति मिलती है।

By Edited By: Published: Wed, 05 Oct 2016 09:47 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2016 09:47 PM (IST)
दिव्य अनुभूति व अलौकिक शांति मिलती

मधुबनी। अनुमंडल मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी पर परसौना पंचायत के जरैल गांव स्थित कालिका व दुर्गा भगवती स्थान में दिव्य अनुभूति व आलौकिक शांति मिलती है। सच्चे मन से आने वाले भक्त खाली हाथ नही लौटते हैं। कालिका भगवती के दरबार में आशीर्वाद की बरसात होती है। जरैल गांव में कालिका भगवती स्थान की स्थापना सैकड़ों वर्ष पूर्व हुई थी। कालिका भगवती स्थान जरैल में सैकड़ों वर्षों से शारदीय नवरात्रा धूमधाम से मनाया जा रहा है। माता कालिका भगवती की सुबह चार बजे व रात्रि आठ बजे आरती होती है। इस स्थान की महता है कि माता कालिका भगवती के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं के हर दुख दूर हो जाती है।

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ढाई फीट के काले रंग के दिव्य शिलाखंड पर कालिका भगवती शेर पर सवार है भगवती चार भुजा वाली है हाथ में चक्र व त्रिशूल है। शारदीय नवरात्र में जरैल कालिका भगवती स्थान श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनकर रह गया है। शारदीय नवरात्र में यहां मैया की सुबह साढ़े चार बजे तथा रात्रि आठ बजे भव्य रूप से आरती होती है। मैया के दरबार में आरती व श्रृंगार देखने के लिए अगल-बगल के ग्रामीण महिला एवं पुरुषों की भीड़ उमड़ पड़ती है। साथ ही महिलाएं व पुरुष भगवती परक गीतों का गायन करतीं रहती है जहां यह ²ष्टि मनोहारी होता है। जरैल स्थित मां कालिका भगवती शक्तिपीठ के रूप में चर्चित है। साथ ही शारदीय नवरात्र में मैया की दरबार की एक अलग महत्व है।

क्या कहते हैं पुजारी

मंदिर के पुजारी हेमकांत झा तथा उग्रदेव झा ने बताया कि हमारे पूर्वज ग्यारह पीढ़ी से मैया की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। जरैल गांव में प्राचीन काल से अवस्थित मां कालिका भगवती के दरबार में मन से रखी गई मुरादें पूरी होती है। मां के प्रति भक्तों में इतनी श्रद्धा व भक्ति एवं विश्वास है कि प्रदेश सहित पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां आकर सालों भर पूजा-अर्चना करते हैं। इस स्थान की अतिप्राचीन इतिहास है जबकि मां कालिका दुर्गा भगवती की भव्य रूप से श्रृंगार व पूजा होती है। वर्ष 1980 से 1983 तक लगातार तीन वर्षों तक जरैल गांव में असमय महीनों तक अगलगी की घटना घटती रहती थी जिसमें करोड़ों रुपये की परिसंपति व जान-माल का नुकसान हुआ। आर्थिक, शैक्षणिक, भू-संपति सामाजिक सहित हर ²ष्टिकोण से संवृद्ध ग्रामवासियों को इसका निदान नहीं दिख रहा था। जहां ग्रामीण लोगों में बेचैनी, बेबशी और लाचारी छा गई। दाने-दाने को लोग मोहताज होने लगे। ग्रामीण ने कलना बाबा प्रवहंश को जरैल गांव बुलाया उनके कहने पर ही ग्रामीणों मां कालिका भगवती सहित शेषसायी विष्णु व महादेव की व्यापक पैमाने पर पूजा-अर्चना शुरू की जहां गांव में उपद्रव बंद हो गया और लगातार गांव की विकास होने लगी। तत्कालिन दरभंगा महराज महराजा कामेश्वर ¨सह भी मां कालिका दुर्गा भगवती के दरबार पूजा-अर्चना करने आए थे।

ग्रामीण जनसहयोग से बना है भव्य मंदिर

जरैल गांव में कालिका भगवती दुर्गा की मंदिर स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया गया है। जहां मंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जबकि शारदीय नवरात्रा विधि विधान व पंडितों के मंत्रोचारण के साथ की जाती है। साथ ही मंदिर परिसर के साफ-सफाई पर विशेष बल दिया जाता है। माता के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

मैया के दरबार में सिन्दूर व नारियल चढ़ाने की है प्रथा

माता कालिका दुर्गा भगवती के दरबार में श्रद्धालुओं द्वारा नारियल व सिन्दूर चढ़ाए जाने की प्रथा आस्था की प्रतीक बन गई है। नवरात्रा के निशा पूजा के दिन व रात भगवती के दरबार में 56 प्रकार की भोग लगती है। मां की भव्य रूप से श्रृंगार होती है। कहा जाता है कि मैया को चढ़ाए गए सिन्दूर का उपयोग करने से महिलाएं सदा सुहागिन रहती हैं।

नवरात्र के अवसर पर देवी भागवत का आयोजन

जरैल कालिका भगवती के दरबार में शारदीय नवरात्र के अवसर पर दरभंगा के प्रसिद्ध विद्वान डा. जयशंकर झा द्वारा श्रीमद देवी भागवत कथा कहीं जा रही है जहां भारी संख्या में श्रद्धालु देवी भागवत कथा के रस में डूबकी लगा रहे हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार झा ने बताया कि पूजा समिति में रंजीत रंजन उर्फ बब्लू, पूर्व मुखिया अजय कुमार को सचिव बनाया गया है जबकि सिद्धार्थ शंकर व श्रीपति मिश्र को कोषाध्यक्ष एवं नलनी रंजन उर्फ रूपन झा महासचिव, शशि झा, विक्की झा. कन्हैया झा सहित कई सदस्य बनाए गए हैं। पूजा के दौरान चार दिन मैथिली कार्यक्रम, देवी जागरण, डा. जयशंकर झा द्वारा देवी भागवत का आयोजन किया गया है। जबकि ग्रामीण लोगों द्वारा कालिका भगवती के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं को पूजा समिति के सदस्यों द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है।


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