पुल निर्माण का कोरा आश्वासन पाते रहे ग्रामीण
मधुबनी। बाबूबरही प्रखंड के मैनाडीह गांव के लोग अब समस्याओं के बीच जीने और खुश रहने की समझदारी सीख ली
मधुबनी। बाबूबरही प्रखंड के मैनाडीह गांव के लोग अब समस्याओं के बीच जीने और खुश रहने की समझदारी सीख ली है। ये कहना है एक हजार की आबादी वाले गांव के लोगों की। लेकिन सोनी नदी एवं इनकी बाढ़ की विभीषिका को झेलने वाले इस गांव के रामएकबाल ¨सह, अमरेन्द्र ¨सह, सत्यनारायण राउत, मटर राउत, राजलाल यादव, कुमार सदाय आदि का। टीस इसलिए कि इस नदी पर एक अदद पुल बनाने के लिए वोट का बहिष्कार किया। कई बार पदाधिकारियों एवं नेताओं को मांग पत्र सौंपा । ¨कतु सब के सब प्रयास विफल ही रहे। हां विभिन्न स्तरों से पुल निर्माण का कोरा आश्वासन मिलता रहा। यह है समस्या : गांव चारों ओर से कमला बलान एवं सोनी नदी से घिरा है। गांव से पूरब उत्तर सोनी नदी पर गांव में चंदे चिट्ठे एवं श्रमदान कर प्रति वर्ष चचरी का पुल बनाया जाता। ¨कतु पहली बार नदी में पानी भरने के साथ ही चचरी पुल बह जाती है। जिसका दर्द इनके कॉलेज में है। प्रतिवर्ष ऐसा ही होता है। अब शुरू होता है ¨जदगी से जद्दोजहद का सिलसिला। मिडिल स्कूल की पढ़ाई के लिए बाबूबरही जाने वाले अधिकांश बच्चों की पढ़ाई बंद। गांव वालों की तरकीब के बल कुछ बच्चे स्कूल तक पहुंच पाते हैं। बड़े हांडी को पकड़कर ये बच्चे तैर जाते। सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता इनके मां-बाप के कॉलेज पर क्या बितता होगा। गांव में स्वास्थ सेवा शून्य। सो लोग बीमार व गर्भवती को वर्षात में संबंधियों के यहां ठिकाना लगा देते। अकस्मात बीमारी की स्थिति में जान हथेली पर लेना पड़ता। विधानसभा व लोकसभा चुनाव में इन्हें 5 किमी की दूरी तय कर मुरहदी बड़की टोल जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि गत वर्ष अंचल प्रशासन द्वारा एक नाव मुहैया कराया गया था जो काफी कमजोर व खतरे से भरा था। जो टूट गया है। कहना है यहां के बेटे-बेटियों की शादि इस नदी के त्रासदी के कारण अच्छे परिवारों में नहीं हो पाता। नव बर वधू को पैदल ही किमी की दूरी तय करनी पड़ती। कहते हैं अधिकारी :
सीओ सतीश कुमार ने कहा कि गत वर्ष एक नाव मुहैया कराया गया था। इनकी मरम्मत कराई जा रही है। शीघ्र ग्रामीणों को उपलब्ध कराई जाएगी।