सत्याग्रह आंदोलन से स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े अनंत लाल कामत
19 जनवरी 1911 को जन्मे शिक्षा प्रेमी व स्वतंत्रता सेनानी अनंत लाल कामत के आज जन्म दिवस पर उनके गांव गरबा में उनके प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया जाएगा।
मधुबनी। (कपिलेश्वर साह) 19 जनवरी 1911 को जन्मे शिक्षा प्रेमी व स्वतंत्रता सेनानी अनंत लाल कामत के आज जन्म दिवस पर उनके गांव गरबा में उनके प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया जाएगा। घोघरडीहा प्रखंड के गरबा गांव निवासी हरिनंदन कामत व खजनी देवी के पुत्र अनंत लाल कामत का युवा अवस्था से ही शिक्षा के साथ-साथ देशभक्ति के प्रति झुकाव था। घोघरडीहा प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय, इनरबा एवं जागेश्वर स्थान, हुलासपट्टी स्थित विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद अनंत लाल कामत ने मध्य विद्यालय निर्मली से वर्ष 1927 में मिडिल परीक्षा उत्तीर्ण हुए। इसी बीच देश में आजादी की लड़ाई की धमक सुनाई पडने लगी थी। उन्होंने वर्ष 1930 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए नमक सत्याग्रह आंदोलन, वर्ष 1932 में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार आंदोलन में शामिल होने के साथ वर्ष 1934 के जनवरी में प्रलयंकारी बाढ और भूकंप में राजेन्द्र प्रसाद के साथ भूकंप राहत में अहम भूमिका अदा किया। वर्ष 1935 में वे जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य के रुप में चुने गए। इस पद पर 1942 तक बने रहे। इसी बीच 1940 में राष्ट्रीय कांग्रे का रामगढ़ में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में जिला प्रतिनिधि के रुप में शामिल हुए। 07 अगस्त 1942 में महात्मा गांधी की अध्यक्षता में मुंबई में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्ताव अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन की जानकारी मिलते ही वे इस आंदोलन में कूद पड़े।
झंझारपुर में छात्रों व आमजनों को संगठित कर झंझारपुर थाना पर उन्होंने तिरंगा भी फहराया। लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत करते हुए 17 अगस्त 1942 को फुलपरास थाना एवं अवर निबंधन कार्यालय के कागजात को नष्ट कर दिया। इसके बाद अनंत लाल कामत ने अपने साथियों के संग मिलकर रेल की पटरी और टेलीफोन सेवा को भी क्षति पहुंचाया। जिससे अनंत लाल कामत समेत इनके साथियों के विरूद्ध मुकदमा चलाया गया। अनंत लाल कामत आजादी का अलख जगाते हुए नौ माह तक नेपाल में शरण लिया। इसके बाद वापस घर लौटने पर उन्हें अंग्रेज पुलिस गिरफ्तार कर लिया। सात माह बाद 1943 में जमानत पर रिहा होकर फिर से स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गए। 26 जनवरी 1945 को जागेश्वर स्थान में अपने सहयोगियों के संग तिरंगा फहराने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिए गए। 1948 में वे जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। यह पार्टी आगे चलकर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी बना। इसके बाद वे फुलपरास विधान सभा क्षेत्र से 1967 में इस पार्टी से विधान सभा चुनाव में भी उतरे। लेकिन चुनाव हार गए। 1952 में आचार्य विनोवा भावे के भूदान-आंदोलन में भी सक्रिय रहे। वे सांगी पंचायत के निर्विरोध सरपंच भी चुने जा चुके हैं। कैवर्त समुदाय सहित समाज के सभी वर्गों में नई सोच के उद्देश्य से निरंतर वे समाज के विकास में लगे रहे। 15 जून 2002 को अपने गांव गरबा में उनका निधन हो गया। इनके नाम से संचालित अनंत जीवन ज्योति संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष इनकी जयंती व पुण्यतिथि समारोहपूर्वक मनाई जाती रही है।