प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेल रहा संकोर्थू
संकोर्थू पंचायत का संकोर्थू गांव उदासीनता का दंश झेलने को मजबूर हैं ।
मधुबनी। संकोर्थू पंचायत का संकोर्थू गांव उदासीनता का दंश झेलने को मजबूर हैं । पंचायत का प्रतिनिधित्व पिछले डेढ़ दशक से एक दंपत्ति कर रहे हैं । दस वर्षों तक नसीम अहमद उर्फ नन्हें मुखिया रहे जबकी अभी उनकी पत्नी मुखिया हैं जो पहले पंचायत शिक्षिका थीं । लगभग 38 सौ आबादी वाले इस गांव में 1860 वोटर हैं । इस गांव में पंचायत के कुल चार वार्ड आते हैं । जिसमें तीन आंगनबाड़ी केन्द्र है । किसी को भी अपना भवन नहीं है । इस गांव में लगभग 58 प्रतिशत लोग साक्षर हैं । जिनमें से अब तक लगभग चार दर्जन लोग सरकारी सेवा दे चुके हैं । यहां लगभग 18.20 घंटे बिजली रहती हैं । जो पंडौल के लोहट फीडर से आती है । यहां लगभग पांच सौ बेरोजगार युवक रोजगार की तलाश में शहर से गांव तक भटक रहे हैं । संसाधनों की कमी के कारण शिक्षित हो या अशिक्षित मजदूरों को भी मजदूरी नहीं मिल पा रही है । गांव में एक मध्य विद्यालय जिसमें बिना समायोजन के माधोपुर का नवसृजित प्राथमिक विद्यालय चल रहा है । विद्यालय में संसाधनों की कमी और शिक्षकों की वजह से बच्चों को मेनू के हिसाब से ना तो एमडीएम मिल पा रहा है और ना ही सही ढ़ंग से पढ़ाई हो पा रही है । गांव में एक वित्तरहित हाई स्कूल है । जिसमें संसाधनों की कमी से पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है यहां के दर्जनों बच्चे उच्च विद्यालय शिक्षा के लिए तीन किमी दूर सरिसब पाही जाते हैं । संसाधन विहिन प्राथमिक व मध्य विद्यालय में पढ़ाई के नाम पर कागजी खाना पूर्ति हो रही है । गांव में तीन आंगनबाड़ी केन्द्र भी है जिसमें किसी को अपना भवन नहीं है । गांव की मुख्य सड़कों की हालत पहले से बेहतर । गली की छोटी छोटी सड़कें खराब रहने के कारण लोगों को दुकान बाजार तक जाने के लिए परेशानी होती है । गांव में पंचायत भवन है जो जर्जर है जिस कारण यहां पंचायत का झंडोत्तोलन भी नहीं होता । ग्राम कचहरी सरपंच अपने घर ही चलाते है । कचहरी के सामान भी उन्हीं के यहां रहता है । एक स्वास्थ्य केन्द्र भवन है जहां कभी कोई चिकित्सा कर्मी नहीं बैठते हैं ।