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झंझारपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में 8.34 लाख की गड़बड़ी

मधुबनी। जिला पदाधिकारी द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने झंझारपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में आठ लाख 34 हजार 193 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 11:47 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 11:47 PM (IST)
झंझारपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में 8.34 लाख की गड़बड़ी
झंझारपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में 8.34 लाख की गड़बड़ी

मधुबनी। जिला पदाधिकारी द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने झंझारपुर प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में आठ लाख 34 हजार 193 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी है। गत लोकसभा चुनाव के दौरान झंझारपुर प्रखंड स्तर पर कराए गए कार्यो का विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं द्वारा झंझारपुर प्रखंड को भुगतान के लिए 35 लाख 75 हजार 298 रुपये का बिल सौंपा था। आपूर्तिकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए बिल की जांच कर झंझारपुर प्रखंड द्वारा 33 लाख 51 हजार 478 रुपये का बिल पारित किया गया। लेकिन, जब डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच कराया तो बिल की राशि में 8.34 लाख रुपये की गड़बड़ी पाई गई। तीन सदस्यीय टीम ने जांच के दौरान झंझारपुर प्रखंड द्वारा पारित किए गए बिल में भी आठ लाख 34 हजार 193 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी। जिस कारण तीन सदस्यीय जांच टीम द्वारा बिल के भुगतान के लिए केवल 25 लाख 17 हजार 285 रुपये की ही अनुशंसा की गई है। जबकि, आपूर्तिकर्ताओं ने भुगतान के लिए झंझारपुर प्रखंड को 35 लाख 75 हजार 298 रुपये का बिल सौंपा था और झंझारपुर प्रखंड द्वारा भुगतान के लिए आपूर्तिकर्ताओं के 33 लाख 51 हजार 478 रुपये का बिल पारित किया था। तीन सदस्यीय जांच दल ने स्टेशनरी के बिल में 51 हजार 253 रुपये, भोजन-अल्पाहार के बिल में 31 हजार 653 रुपये, अस्थाई विद्युतीकरण के बिल में एक लाख 41 हजार 950 रुपये और टेंट एवं सामियाना के बिल में छह लाख नौ हजार 337 रुपये की गड़बड़ी पकड़ते हुए बिल में इतनी राशि की कटौती कर दी है। तीन सदस्यीय जांच टीम में झंझारपुर के एसडीओ एवं डीसीएलआर व वरीय कोषागार पदाधिकारी शामिल थे। झंझारपुर के एसडीओ ने जांच रिपोर्ट अग्रेतर कार्रवाई के लिए जिला पदाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी को भेज दिया है।

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वित्तीय अनियमितता उजागर : तीन सदस्यीय जांच टीम ने डीएम को भेजे गए जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि गत लोकसभा निर्वाचन कार्यो के लिए समुचित कार्यादेश निर्गत नहीं किया गया था। निर्गत कार्यादेशों में विशिष्टता का अभाव था। इस कारण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अधिक दिनों और अधिक सामग्रियों का बिल प्रस्तुत किया गया। जिस कारण सरकारी राशि का दुर्विनियोग का मामला बना जो अनियमितता का द्योतक है। वेंडर द्वारा टेंट, समियाना एवं अस्थाई विद्युत व्यवस्था मद में मनमाने तरीके से बिल प्रस्तुत किया गया और प्रखंड स्तर से भी उसे सही मानते हुए भुगतान के लिए अग्रेतर कार्रवाई किया गया जो सरकारी राशि के दुर्विनियोग का पूर्ण उदाहरण है।


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