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अंधराठाढ़ी प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में मिली 5.19 लाख की गड़बड़ी

मधुबनी। जिला पदाधिकारी डॉ. निलेश रामचंद्र देवरे के आदेश पर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने अंधराठाढ़ी प्रखंड के विगत लोकसभा चुनाव के बिल में पांच लाख 19 हजार 190 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 11:17 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 11:17 PM (IST)
अंधराठाढ़ी प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में मिली 5.19 लाख की गड़बड़ी
अंधराठाढ़ी प्रखंड के लोकसभा चुनाव के बिल में मिली 5.19 लाख की गड़बड़ी

मधुबनी। जिला पदाधिकारी डॉ. निलेश रामचंद्र देवरे के आदेश पर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने अंधराठाढ़ी प्रखंड के विगत लोकसभा चुनाव के बिल में पांच लाख 19 हजार 190 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी है। गत लोकसभा चुनाव के दौरान अंधराठाढ़ी प्रखंड स्तर पर कराए गए कार्यों का विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अंधराठाढ़ी प्रखंड को भुगतान के लिए 26 लाख 76 हजार 322 रुपये का बिल सौंपा था। आपूर्तिकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए बिल की जांच कर अंधराठाढ़ी प्रखंड द्वारा 26 लाख चार हजार 162 रुपये का बिल पारित किया गया था। लेकिन, जब डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर जांच कराया तो बिल की राशि में 5.19 लाख रुपये की गड़बड़ी पाई गई। तीन सदस्यीय टीम ने जांच के दौरान अंधराठाढ़ी प्रखंड द्वारा पारित किए गए बिल में पांच लाख 19 हजार 190 रुपये की गड़बड़ी पकड़ी। जिस कारण तीन सदस्यीय जांच टीम द्वारा बिल के भुगतान के लिए केवल 20 लाख 84 हजार 972 रुपये की ही अनुशंसा की गई है। जबकि, प्रखंड स्तर पर 26 लाख चार हजार 162 रुपये का बिल पारित गया किया था। तीन सदस्यीय जांच दल ने अस्थाई विद्युतीकरण के बिल में एक लाख नौ हजार 920 रुपये, टेंट-सामियाना के बिल में तीन लाख 94 हजार 152 रुपये और स्टेशनरी के बिल में 15 हजार 118 रुपये की गड़बड़ी पकड़ते हुए बिल में इतनी राशि की कटौती कर दी है। तीन सदस्यीय जांच टीम में झंझारपुर के एसडीओ एवं डीसीएलआर व वरीय कोषागार पदाधिकारी शामिल थे। झंझारपुर के एसडीओ ने जांच रिपोर्ट अग्रेतर कार्रवाई के लिए जिला पदाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी को भेज दिया है।

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सरकारी राशि के दुरुपयोग का हुआ भरपूर प्रयास : तीन सदस्यीय जांच टीम ने डीएम को भेजे गए जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि गत लोकसभा निर्वाचन कार्यो के लिए समुचित कार्यादेश निर्गत नहीं किया गया था। निर्गत कार्यादेशों में विशिष्टता का अभाव था। इस कारण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अधिक दिनों और अधिक सामग्रियों का बिल प्रस्तुत किया गया। जिस कारण सरकारी राशि का दुर्विनियोग का मामला बना जो अनियमितता का द्योतक है। प्रखंड में मनमाने ढंग से सरकारी राशि का दुरुपयोग करने का भरपूर प्रयास किया गया। पूर्व के जांच के दौरान प्रखंड द्वारा जो अभिश्रव प्रस्तुत किया गया था उसकी राशि एवं वर्तमान जांच के दौरान प्रस्तुत अभिश्रव की राशि में काफी असमानताएं पाई गई है। वेंडर द्वारा टेंट-समियाना एवं अस्थाई विद्युत व्यवस्था मद में मनमाने तरीके से बिल प्रस्तुत किया गया और प्रखंड स्तर से भी उसे सही मानते हुए भुगतान के लिए अग्रेतर कार्रवाई किया गया जो सरकारी राशि के दुर्विनियोग का पूर्ण उदाहरण है। जिन-जिन स्थानों पर टेंट-समियाना या अस्थाई विद्युत व्यवस्था की गई थी, उसका वीडियोग्राफी नहीं कराया गया, जबकि निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान वीडियोग्राफर मौजूद रहा। प्रखंड स्तर से जिन-जिन सामान का क्रय किया गया था, वह सामान जिला क्रय समिति द्वारा चयनित वेंडर से क्रय नहीं किया गया था।


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