30 वर्ष बाद भी नहीं बन सका वकालतखाना
जयनगर को अनुमंडल बने लगभग 30 वर्ष बीत जाने के बाद भी अनुमंडल को उपलब्ध होने वाली सुविधाओं के नहीं होने से अनुमंडलवासी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
मधुबनी। जयनगर को अनुमंडल बने लगभग 30 वर्ष बीत जाने के बाद भी अनुमंडल को उपलब्ध होने वाली सुविधाओं के नहीं होने से अनुमंडलवासी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। वर्ष 1991 में बिहार के तत्कालीन भूमि सुधार एवं राजस्वमंत्री ने जयनगर अनुमंडल का उद्घाटन किया था। जयनगर अनुमंडल तो बन गया। लेकिन, अभी तक यहां वकीलों के लिए वकालतखाना नहीं है। वकालतखाना के लिए न तो उनकी अपनी जमीन है न ही अपना भवन। प्रखंड कार्यालय जयनगर के भूमि पर एक अस्थायी दलाननुमा भवन में वकालतखाना चलाया जा रहा है। इस दलाननुमा भवन का निर्माण वित्तीय वर्ष 1996-97 में तत्कालीन विधायक ने करवाया था। तभी से इसी भवन में जयनगर का अनुमंडल वकालत खाना चलाया जा रहा है। इस वकालतखाना में मूलभूत सुविधाओं का नितांत अभाव है। यहां न अधिवक्ताओं और न ही फरियादियों के बैठने के लिए पर्याप्त जगह है। यही नहीं पेयजल, शौचालय आदि की भी सुविधा नहीं है। जयनगर अनुमंडल में अभी तक कोषागार, जेल, ज्यूडिशियरी आदि नहीं है। जयनगर के अनुमंडल बनने के बावजूद एक अनुमंडल की भौतिक एवं आधारभूत सुविधाओं के नहीं होने से लोगों में असंतोष का भाव है। इस बीच कई चुनाव आए-गए किसी भी राजनेता ने इसका महत्व नहीं समझा। इस बार के चुनाव में लोग इसे बड़ा मुद्दा के रूप में उठाने की सोच रहे हैं। वोट मांगने आने वाले नेताओं से इसका हिसाब मांगने की सोच रहे हैं।
ओम प्रकाश सिंह, पवित्र नारायण झा, कुमार राणा प्रताप सिंह, दिलीप कुमार झा, राजेश कुमार, रामसुख नायक, चन्देश्वर प्रसाद, कृष्णकुमार सिंह आदि अधिवक्तओं ने कहा कि कई सरकारें आयी और गई। लेकिन जयनगर अनुमंडल में व्यवहार न्यायालय नहीं बनने से जयनगर के लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
जयनगर अनुमंडल वकालतखाना की जमीन व भवन के अभाव के बाबत पूछे जाने पर अंचलाधिकारी जयनगर संतोष कुमार ने बताया कि वकालतखाना के लिए जमीन अधिग्रहण करने के बाबत जिला पदाधिकारी के पास प्रस्ताव भेजा गया है। जमीन उपलब्ध हो जाने पर शीघ्र ही वकालतखाना के लिए भवन का निर्माण कराया जाएगा।
जो भी हो जयनगर को अनुमंडल बने इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद जयनगर अभी तक असुविधा का दंश झेल रहा है। जयनगर अनुमंडल के लोगों को अनुमंडल से प्राप्त होने वाली अधिकतर सुविधाओं के लिए जिला मुख्यालय जाने की विवशता है।