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बना तो दिए 11 क्वारंटाइन सेंटर, मगर रहने तक की व्यवस्था नहीं

मधुबनी। कोरोना वायरस से लोगों के बचाव के लिए सरकार जी तोड़ प्रयास कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 11:06 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 11:06 PM (IST)
बना तो दिए 11 क्वारंटाइन सेंटर, मगर रहने तक की व्यवस्था नहीं
बना तो दिए 11 क्वारंटाइन सेंटर, मगर रहने तक की व्यवस्था नहीं

मधुबनी। कोरोना वायरस से लोगों के बचाव के लिए सरकार जी तोड़ प्रयास कर रही है। संपूर्ण देश को लॉकडाउन करने के बाद विदेश एवं परदेश से आने वाले लोगों को घर नहीं भेज कर उन्हें क्वारंटाइन में रखने के लिए सरकारी स्तर पर पंचायत में ही व्यवस्था करने की योजना चलाई गई है। इसके तहत झंझारपुर प्रखंड क्षेत्र के 11 पंचायतों के विद्यालय को चिह्नित कर उसे क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया। इस योजना की वास्तविक स्थिति के लिए जागरण ने बुधवार को पड़ताल की। जो सच सामने आया वह यह कि यहां बस नाम का ही सेंटर है। काम का कुछ भी नहीं।

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सुबह 11 बजे हम पहुंचते हैं झंझारपुर नगर पंचायत क्षेत्र के रामकृष्ण मवि। स्कूल का मुख्य द्वार खुला हुआ था। वहां मौजूद स्कूल की रसोइया लीला देवी ने बताया कि उन्हें प्रधानाध्यापक ललित कुमार चौधरी ने मेन गेट के साथ ही कुछ कमरों को खोल कर रखने का आदेश दिया था। प्रधानाध्यापक के बारे में बताया कि वे अभी अवकाश पर हैं। कभी-कभी वे भी यहां आते रहते हैं। इसके बाद स्कूल के कमरों का जायजा लिया। कमरे में बेंच आदि रखे हुए थे। किसी भी कमरे को देखने से पता नहीं चलता था कि यहां लोगों को रखने की व्यवस्था के बारे में सोचा भी गया है। धूल और गंदगी से भरे कमरों में बेतरतीब रखे गए बेंच और टेबल। मोबाइल फोन से पूछे जाने पर प्रधानाध्यापक ललित कुमार चौैधरी ने बताया कि उन्हें बीडीओ साहब द्वारा दो कमरा खोल कर रखने का आदेश दिया गया है। यहां अभी तक किसी भी बाहरी व्यक्ति को नहीं रखा गया है। खाना और बेड की व्यवस्था यहां रहने वाले लोगों के परिजनों को ही करने का निर्देश दिया गया है।

यहां से चलकर हम पहुंचते हैं प्रखंड के दूसरे सेंटर सुखेत पंचायत के उमवि सुखेत पर। यहां सभी कमरों पर ताला लटका हुआ था। बगल में मौजूद स्कूल की रसाइया विमला देवी ने बताया कि कुछ कमरों की चाबी उनके पास है। अभी तक इस सेंटर पर एक भी व्यक्ति का आगमन नहीं हुआ है। पानी के लिए चापाकल एवं किचन की व्यवस्था है। बेड उपलब्ध नहीं है। लोगों के आने के बाद व्यवस्था करनी है। इस स्कूल के प्रधानाध्यापक अमरेश नंदन पासवान से संपर्क करने का प्रयास किया गया। मगर, मोबाइल बंद मिला।

यहां के बाद चनौरागंज पंचायत के मवि चनौरागंज सेंटर पर हमने दस्तक दी। इस केंद्र का एकमात्र कमरा खुल थी। वह भी धूल और गंदगी से भरा पड़ा। स्कूल के प्रांगण में कुछ गाय और बकरी मिलीं। स्कूल के प्रधानाध्यापक कृष्ण कुमार महराज से संपर्क किया। उन्होंने स्कूल पर पहुंचकर बताया कि स्कूल के कुछ कमरों को खोल कर रखने का निर्देश दिया गया है। जब यहां लोग रहने के लिए आएंगे तो अन्य व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि ऐसे सेंटर पर रहने से ज्यादा सुरक्षित अपने घर में रहना है।

यहां के बाद पिरौलिया पंचायत का रुख किया। वहां बनाए गए मवि खड़ौआ सेंटर का जायजा लिया। इस सेंटर पर स्कूल के प्रधानाध्यापक सुनिल कुमार दास सहायक शिक्षक के साथ मौजूद थे। उन्होंने रजिस्टर दिखाते हुए बताया कि उनके सेंटर पर बीते 25 मार्च को बाहर से आने वाले छह लोग पहुंचे थे। उसी दिन मेडिकल टीम द्वारा उन सभी की स्क्रीनिग कर घर में ही क्वारंटाइन रहने के लिए भेज दिया गया था। व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि दो कमरों की सफाई कर उसमें चट्टी बिछा दी गई है। यहां बिजली के साथ ही पीने के पानी के लिए चापाकल की व्यवस्था है। कमोवेश यही हाल प्रखंड क्षेत्र में बनाए गए अन्य क्वारंटाइन सेंटरों का भी है।

इधर, प्रखंड क्षेत्र में बनाए गए 11 क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर बीडीओ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि इन सेंटरों पर लोगों के पहुंचने के बाद ही व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में किसी भी सेंटर पर बाहर से आने वाले एक भी व्यक्ति को नहीं रखा गया है। सवाल यह उठता है कि व्यवस्था विहीन इन क्वारंटाइन सेंटर पर कौन रहना पसंद करेगा। जहां ना तो बेड की व्यवस्था है और न ही खाना की व्यवस्था। यहां तक कि कुछ सेंटर पर रात में रहने के लिए बिजली की व्यवस्था नहीं है।


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