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एक कमरे में पढ़ते हैं विद्यालय के 1040 छात्र-छात्राएं

मधुबनी। सरकार की लापरवाही और शिक्षा विभाग के उदासीनता के कारण बेनीपंट्टी स्थित सीता मुरलीधर प्लस टू उच्च विद्यालय बसैठ बदहाली की दौर से गुजर रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Jun 2019 10:50 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 06:40 AM (IST)
एक कमरे में पढ़ते हैं विद्यालय के 1040 छात्र-छात्राएं
एक कमरे में पढ़ते हैं विद्यालय के 1040 छात्र-छात्राएं

मधुबनी। सरकार की लापरवाही और शिक्षा विभाग के उदासीनता के कारण बेनीपंट्टी स्थित सीता मुरलीधर प्लस टू उच्च विद्यालय बसैठ बदहाली की दौर से गुजर रही है। उच्च विद्यालय में संसाधन का घोर अभाव है वहीं सरकारी बद इंतजामी का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। यहां कुल 1040 छात्र-छात्राएं हैं। शिक्षकों की संख्या 15 है। एक कमरे में एक हजार 40 छात्र-छात्राएं पढ़ने को विवश हैं। विद्यालय की स्थापना 1951 ई0 में हुई। सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय को 2008 ई. में प्लस टू का दर्जा मिला वहीं वर्ष 2009 में प्लस टू विद्यालय भवन के निर्माण के लिए 39 लाख 50 हजार रूपये आवंटित किए गए लेकिन भवन निर्माण कार्य ससमय नहीं होने के कारण 2011 में विद्यालय भवन के नाम पर आवंटित राशि वापस चली गयी। यह है समस्या

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सीता मुरलीधर प्लस टू उच्च विद्यालय बसैठ में संसाधन का घोर अभाव है। प्लस टू उच्च विद्यालय के पास कमरों की भारी कमी है। वहीं 1 कमरे में बैठकर 1040 छात्र-छात्राएं पढ़ने को विवश हैं। जबकि उच्च विद्यालय के पूर्व के बने एक दर्जन कमरे क्षतिग्रस्त व जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। विद्यालय के पास पांच बीघा का विशाल भूखंड है। शौचालय की हालत बद से बदतर है, छात्रावास ध्वस्त है, कंप्यूटर शिक्षा नहीं है, चापाकल एक है जो बराबर खराब ही रहता है। शिक्षकों का अभाव

सीता मुरलीधर प्लस टू उच्च विद्यालय में अंग्रेजी विषय का शिक्षक नहीं रहने से छात्र-छात्राओं को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है वही आदेशपाल दो है जबकि क्लर्क का अभाव है।

कमरों की कमी

सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय बसैठ में बारह कमरे में दस कमरे क्षतिग्रस्त है। जिस कारण से एक कमरे में वर्ग का संचालन होता है तथा दूसरे में कार्यालय है। बरसात के दिनों छतों से पानी टपकने के कारण पठन-पाठन प्रभावित होता है। कहतीं है प्रभारी एचएम

एचएम गजाला याशमीन कहतीं है कि विद्यालय के समस्याओं के संबंध में कई बार शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को पत्राचार किया गया लेकिन समस्या जस की तस है वहीं संसाधन के अभाव में परेशानी का दंश झेलना पर रहा है। विद्यालय में कमरों का भारी अभाव है।


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