Move to Jagran APP

भारत एक गुलदस्ता, सजे हुए हैं फूलों की तरह : रमेशचंद्र सिन्हा

संवाद सूत्र सिंहेश्वर (मधेपुरा) राष्ट्र मात्र एक भौगोलिक इकाई नहीं है और न ही यह सत्ता क

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 06:53 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 06:53 PM (IST)
भारत एक गुलदस्ता, सजे हुए हैं फूलों की तरह : रमेशचंद्र सिन्हा
भारत एक गुलदस्ता, सजे हुए हैं फूलों की तरह : रमेशचंद्र सिन्हा

संवाद सूत्र, सिंहेश्वर (मधेपुरा) : राष्ट्र मात्र एक भौगोलिक इकाई नहीं है और न ही यह सत्ता का एक केंद्र मात्र है, बल्कि राष्ट्र एक सांस्कृतिक व मूल्यात्मक इकाई है। यह इकाई राष्ट्र के सभी नागरिकों से मिलकर बनती है। राष्ट्र के सभी नागरिकों का आपस में भावनात्मक व आत्मिक लगाव होता है और यही लगाव राष्ट्रवाद का असली सूत्र है। उक्त बातें सुप्रसिद्ध दार्शनिक आइसीपीआर के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. रमेशचंद्र सिन्हा (नई दिल्ली) ने कही। वह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आयाम विषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित यह सेमिनार स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के तत्वावधान में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि भारत सदियों से एक सांस्कृतिक राष्ट्र है। यह एक खूबसूरत गुलदस्ते की तरह है, जिसमें विभिन्न धर्म, जाति व संप्रदाय के लोग फूलों की तरह सजे हुए हैं। बहुलता में एकता भारत की अद्भुत विशेषता है।

loksabha election banner

उन्होंने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र की अपनी-अपनी अस्मिता होती है। यह अस्मिता ही राष्ट्र की असली पहचान हैं। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में आनलाइन व्याख्यानों के साथ-साथ आफलाइन पत्र वाचन सत्र भी हुआ। इसकी अध्यक्षता डा. एमआइ रहमान ने की। समन्वयक की भूमिका शिक्षाशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डा. जावेद अहमद व डा. प्रियंका कुमारी ने किया। सत्र में विभिन्न वक्ताओं ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अलग-अलग आयामों पर अपने विचार व्यक्त किए। डा. कुमारी अर्चना ने दलित महिलाओं के लिए अंबेडकर की भूमिका, कृष्णदेव प्रसाद यादव ने पर्यावरणवाद व राष्ट्रवाद, चंदन कुमार ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।

स्वीटी सिन्हा ने व्यू आफ गांधी एंड अंबेडकर आन नेशनलिज्म एवं प्रिया कुमारी ने गांधी युग के पूर्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद विषय पर आलेख प्रस्तुत किया। डा. चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह ने सांस्कृतिक परम्परा में नागरिक राष्ट्रवाद स्वाति कुमारी ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और महिलाएं, डा. अशोक कुमार ने यूरोप में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद तथा डा. अंजना पाठक ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन विषय पर आलेख प्रस्तुत किया।

सेमिनार में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में आनलाइन व्याख्यानों के साथ-साथ आफलाइन पत्र वाचन सत्र भी हुआ। इसकी अध्यक्षता डा. एमआइ रहमान ने की। समन्वयक की भूमिका शिक्षाशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डा. जावेद अहमद व डा. प्रियंका कुमारी ने किया।

सेमिनार में डा. सीपी सिंह, अजय सिंह, अनिता गुप्ता, दिवाकर पासवान, डा. अरुण कुमार सिंह, डा. प्रमोद कुमार सिंह, जीता दुबे, हिमांशु शेखर, जितेंद्र द्विवेदी, जूही, किरण कुमारी, जानु कुमारी, कुसुम, मनोज कुमार वर्मा, मोनिका, सतीश कुमार निवेदिता कुमारी, पल्लवी, प्रज्ञा राय, रंजना वर्मा, रेणु ठाकुर, रुचि सिंह, रूपम कुमारी, पवन कुमार, शैलेश सूर्य, शिव चंदन झा, स्वाति कुमारी, संतोष, सोनी कुमारी, सुशील कुमार, सुनील,रेशम उत्तरा, विजय विशाल, विवेकानंद मिश्रा, यशराज, अजय आदि ने भाग लिया। सी. पी. सिंह, अजय सिंह, अनिता गुप्ता, दिवाकर पासवान, डॉ. अरुण कुमार सिंह, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, जीता दुबे, हिमांशु शेखर, जितेंद्र द्विवेदी, जूही, किरण कुमारी, जानु कुमारी, कुसुम, मनोज कुमार वर्मा, मोनिका, सतीश कुमार निवेदिता कुमारी, पल्लवी, प्रज्ञा राय, रंजना वर्मा, रेणु ठाकुर, रुचि सिंह, रूपम कुमारी, पवन कुमार, शैलेश सूर्य, शिव चंदन झा, स्वाति कुमारी, संतोष, सोनी कुमारी, सुशील कुमार, सुनील,रेशम उत्तरा, विजय विशाल, विवेकानंद मिश्रा, यशराज, अजय आदि ने भाग लिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.