21 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का हुआ समापन
मधेपुरा। बीएनएमयू के केंद्रीय पुस्तकालय में पांडुलिपि एवं लिपिविज्ञान पर आयोजित 21 दिवसीय राष्ट्र
मधेपुरा। बीएनएमयू के केंद्रीय पुस्तकालय में पांडुलिपि एवं लिपिविज्ञान पर आयोजित 21 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन गुरूवार को हो गया। समापन सत्र की अध्यक्षता कुलपति डॉ. एके राय ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कोसी क्षेत्र की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत काफी समृद्ध रही है। हम इस क्षेत्र की विरासत को संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयासरत हैं। कुलपति ने कहा कि इस कार्यशाला से इस क्षेत्र में एक जनजागरण आया है। इस क्षेत्र की जनता भी पांडुलिपियों के संरक्षण के प्रति जागरूक हुई है। कुलपति बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों से 2003 में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की शुरुआत की। इससे देश में पांडुलिपियों के संरक्षण एवं उससे संबंधित शोध के क्षेत्र में एक क्रांति आई। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आगे बीएनएमयू में एक तीस दिवसीय एडवांस कोर्स संचालित होगा और एक मेनुस्क्रिप्ट रिसोर्स सेंटर की स्थापना होगी।
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कोसी क्षेत्र में हमेशा ज्ञान का हुआ है विकास :
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने कहा कि सभी भाषाएं एवं लिपियां मानवता की धरोहर हैं। भाषाओं एवं लिपियों को किसी जाति, धर्म या राष्ट्र की सीमाओं में नहीं बांधना चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. धर्मवीर ¨सह ने कहा कि विदेशियों ने यह दुष्प्रचार किया कि भारत एक राष्ट्र नहीं है। लेकिन हमारी पांडुलिपियां यह साबित करती हैं कि भारत सदियों से एक राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि कोसी क्षेत्र ने कभी भी युद्ध को महत्व नहीं दिया। यह शांत क्षेत्र रहा है और ज्ञान का विकास हुआ। अतिथियों का स्वागत कार्यशाला के समन्वयक सह मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने किया। पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर ने कार्यशाला की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की। संचालन इवेंट मैनेजर पृथ्वीराज यदुवंशी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन केन्द्रीय पुस्तकालय के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. अशोक कुमार ने की। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। इस अवसर पर ¨सडिकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान, महावीर मंदिर, पटना के पब्लिकेशन एवं रिसर्च ऑफिसर भावनाथ झा, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के पूर्व निदेशक डॉ. बसंत कुमार चौधरी, सिनेट सदस्य डॉ. रामनरेश ¨सह, डॉ. आरकेपी रमण, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. मोहित कुमार घोष, डॉ. ललन प्रसाद अद्री, डॉ. एमआई रहमान आदि उपस्थित थे।
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