ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन से खतरे में नवजात
मधेपुरा मधेपुरा में बर्थ स्पेसिया नवजातों के लिए कहर बन गई है। पिछले पांच महीने में इस कार
मधेपुरा : मधेपुरा में बर्थ स्पेसिया नवजातों के लिए कहर बन गई है। पिछले पांच महीने में इस कारण एक दर्जन नवजातों की मौत हो चुकी है। चिकित्सकों का मानना है कि प्रसव के दौरान महिला को दर्द बढ़ाने के लिए ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन दिया जाता है। इस कारण से नवजातों पर खतरा बढ़ता है। सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में बर्थ स्पेसिया से ग्रस्त 12 नवजातों की मौत पांच माह में इलाज के दौरान हुई है। वैसे तो इलाज के दौरान पांच माह में 22 नवजात शिशुओं की मौत हुई है, लेकिन बाकी मौतों का कारण दूसरा बताया जा रहा है। जिले के कई अस्पतालों में महिला चिकित्सक के नहीं रहने से एएनएम व जीएनएम के सहारे प्रसव होता है। इस दौरान दर्द बढ़ाने के लिए प्रतिबंधित ऑक्सीटॉक्सिन नामक सूई दी जाती है। इससे नवजात के सिर पर दबाव बढ़ता है और वह बर्थ स्पेसिया नामक बीमारी से ग्रस्त हो जाता है। ऐसे में जन्म लेने के काफी देर बाद तक नवजात की सांस और धड़कन नहीं चलती है। इसका मुख्य कारण चिकित्सक की देखरेख में डिलीवरी नहीं होना है। प्रसव के दौरान समय से प्रसूता अस्पताल पहुंच जाए व महिला चिकित्सक की देखरेख में समय पर प्रसव हो तो इससे बचा जा सकता है। जिले के कई सरकारी अस्पतालों में महिला चिकित्सक पदस्थापित नहीं है। ऐसे में गर्ववती का प्रसव एएनएम व जीएनएम के सहारे ही होता है। वैसे तो यह इंजेक्शन प्रतिबंधित है, लेकिन चिकित्सक के पुर्जे पर यह मिल जाता है। ग्रामीण इलाकों में इन इंजेक्शनों का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। यहां कोई रोक-टोक भी नहीं है।
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केस स्टडी एक
जिले के सीमावर्ती इलाकेकिशनपुर वार्ड संख्या छह के चंदन राम की पत्नी रूबी देवी का 20 मई को प्रसव हुआ। उनकी बच्ची की मौत बर्थ स्पेसिया से हो गई। केस स्टडी दो
सौरबाजार के विशला सादा की पत्नी बबीता देवी ने 17 मई को बच्चे को जन्म दिया था। उनका पुत्र भी बर्थ स्पेसिया नामक बीमारी से ग्रस्त पाया गया। इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई। केस स्टडी तीन
जिले के तुलसीबाड़ी वार्ड संख्या नौ के विकाश कुमार की पत्नी सविता देवी को 17 मई को बच्ची हुई थी। बच्ची की मौत बर्थ स्पेसिया नामक बीमारी से हो गई।
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लापरवाही की वजह से जन्म लेने वाले नवजात शिशु बर्थ स्पेसिया रोग के शिकार होते हैं। प्रसूता प्रसव के लिए समय से अस्पताल पहुंच जाए व महिला चिकित्सक की देख-रेख में समय से प्रसव हो तो नवजात को बर्थ स्पेसिया रोग से बचाया जा सकता है। वहीं दर्द बढ़ाने के लिए बिना चिकित्सक की सलाह के सूई का इस्तेमाल भी खतरनाक है।
- डॉ. यश शर्मा
शिशु रोग विशेषज्ञ
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अस्पताल प्रशासन का बर्थ स्पेसिया से नवजात शिशु की होने वाली मौतों को कम करने का लगातार प्रयास जारी है। प्रसूता प्रसव के लिए समय से अस्पताल पहुंच महिला चिकित्सक की सलाह और संपर्क में रहकर प्रसव करवाए तो नवजात को बर्थ स्पेसिया रोग से बचाया जा सकता है।
डॉ. डीपी गुप्ता
शिशु रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक
उपाधीक्षक
सदर अस्पताल, मधेपुरा