लगातार 8वीं बार बेटी हुई तो मां-बाप ने कहा- नहीं पालेंगे, दे दिया NGO को
नवजात बच्ची को माता पिता ने पालने से इंकार कर दिया और उसे एनजीओ को सौंप दिया, क्योंकि बेटे की आस लगाए उनकी सात बेटियां थीं, जब आठवीं बार भी बेटी हुई तो उसे एनजीओ को दे दिया।
मधेपुरा [जेेएनएन]। कितना भी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का अभियान चला लिया जाये लेकिन आज भी समाज में बेटे के बिना दंपत्ति खुद को अधूरा समझ रहे हैं। पुत्र की आस में एक गरीब दंपत्ति को जब लगातार 8वीं बार पुत्री की प्राप्ति हुई तो उसे अनाथालय में छोड़ दिया।
लगातार आठवीं बार पुत्री के जन्म से परेशान माता-पिता ने बच्ची के पालन पोषण से इंकार कर दिया। रिक्शा चालक पिता ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए पुत्री को पालने में असमर्थता जताते हुए नवजात बच्ची को विशिष्ट दत्तक संस्थान को सौंप दिया। जन्म लेने के साथ ही बच्ची बेघर हो गयी। मामला प्रखंड क्षेत्र के जजहट सबैला पंचायत से जुड़ा है।
गुरुवार की रात्रि जजहट सबैला पंचायत के हरिलाल राम की पत्नी विभा देवी ने बेटी को जन्म दिया। इससे पहले से इन्हें सात पुत्री है। आठवीं पुत्री होने के बाद दंपत्ति परेशान हो गए। हरिलाल राम रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करते है। एक पुत्र की चाह में इन्हें लगातार सात पुत्रियां हो गयी।
सात पुत्री में से इन्होंने चार पुत्री की शादी भी कर दी है, फिर भी पुत्र की चाह इन्होंने नहीं छोड़ा। गुरुवार को जब गर्भवती पत्नी को हॉस्पिटल लाया तो पुत्र होने की आस लगाए थे। पुत्री होने का समाचार मिलते ही जैसे इसपर पहाड़ टूट पड़ा।
दंपत्ति ने बच्ची को पालने से इंकार कर दिया इसके बाद लोगों की सुझाव पर दुधमुंही बच्ची को वशिष्ट दत्तक संस्थान को सौप दिया गया। हॉस्पिटल में दंपत्ति को परेशान देख हॉस्पिटल कर्मियों ने बच्ची को विशिष्ट दत्तक संस्थान में सौपने को कहा। इसके बाद अस्पतालकर्मियों ने ही संस्थान में फ़ोन किया।
संस्थान से आए जिला समन्वयक सुधा कुमारी को बच्ची सौंप दी गई। समन्वयक ने बताया कि अगर 60 दिन के भीतर बच्ची के माता पिता अगर पुनः दावा कर सकते है तो ठीक नहीं तो इतने दिनों तक दावा नही किये जाने की स्थिति में चार से छह माह के बीच उपयुक्त व्यक्ति को बच्ची गोद दिया जा सकता है।
जब तक बच्ची को पुनः परिजन अथवा किसी को गोद नही दे दिया जाता है तब तक दत्तक संसथान बच्ची का लालन पोषण करेगी।