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अब विवि रोजगारपरक उच्च शिक्षा पर देगी जोर : कुलपति

मधेपुरा। शनिवार को बीएन मंडल विवि मुख्यालय अंतर्गत केन्द्रीय पुस्तकालय सभागार में कुलपति डॉ. अवध किश

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 05:47 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jun 2018 05:47 PM (IST)
अब विवि रोजगारपरक उच्च शिक्षा पर देगी जोर : कुलपति
अब विवि रोजगारपरक उच्च शिक्षा पर देगी जोर : कुलपति

मधेपुरा। शनिवार को बीएन मंडल विवि मुख्यालय अंतर्गत केन्द्रीय पुस्तकालय सभागार में कुलपति डॉ. अवध किशोर राय की अध्यक्षता में विद्वत परिषद् की बैठक संपन्न हुई। बैठक में पूर्व की बैठक 23 जनवरी, 2018 को संपुष्ट करते हुए कुल 14 एजेंडों पर विचार विमर्श कर निर्णय लिया गया। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पीएचडी रेगुलेशन 2004 तथा यूजीसी रेगुलेशन-2016 के तहत पांच ¨बदुओं के आधार पर प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया गया। ज्ञातव्य हो कि यूजीसी एवं पीएचडी रेगुलेशन के अनुसार पहला शर्त है कि शोधार्थी रेगुलर मोड में पीएचडी किये हों। दूसरा शर्त है कि पीएचडी थेसीस का मूल्यांकन दो वाह्य परीक्षकों के द्वारा किये गये हों। तीसरा शर्त है कि पीएचडी की मौखिकी परीक्षा खुले आधार पर लिये गये हों। चौथी शर्त है कि पीएचडी थेसीस से संबंधित दो शोध पत्र पत्रिका में छपे हों जिसमें से कम से कम एक रेफर्ड जर्नल में छपे हों तथा अंतिम शर्त है कि शोधार्थी का कम से कम दो शोध पेपर किसी स्तरीय सेमिनार में प्रस्तुत किये गये हो। बताते चलें कि उक्त शर्त के आधार पर बहुत ही कम शोधार्थी को प्रमाणपत्र मिल सका था। इस ¨बदु पर सर्वसम्मति फैसला लिया गया कि अगर पूर्व के पीएचडी धारक वर्तमान में भी सभी शत्र्तों को पूरा करते हैं तो उन्हें पीएचडी प्रमाणपत्र देय होंगे।

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रेगुलर मोड में होंगे पीएचडी: बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अगर किसी भी संस्थान में शोधर्थी नौकरी कर रहे हैं तो उन्हें पुरे दो वर्ष अध्ययन अवकाश लेकर ही पीएचडी करने होंगे। जो छात्र 2011-12 में प्री-पीएचडी क्वालीफाई किए लेकिन किसी कारणवश उनका रजिस्ट्रेशन पीएचडी के लिए नहीं हो सका तो वे किसी भी प्रकार से पीएचडी नहीं कर पाएंगे। अगर वो पीएचडी करना चाहेंगे तो उन्हें पुन: प्री-पीएचडी टेस्ट उत्तीर्ण करना होगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि अब जल्द ही बिहार राज्य सामान्य परिनियमानुसार प्री-पीएचडी टेस्ट आयोजित किये जाएगें। साथ ही निर्णय लिया गया कि जिन शोधार्थी का पीएचडी एवार्ड हो गया तो उन्हें 30 दिनों के अंदर संबंधित थेसीस को यूजीसी के इनफ्लीबनेट साईट पर अपलोड करने होंगे तब जाकर उनके थेसीस या शोध कार्य को मान्यता मिल सकेगा।

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पीजी विभागाध्यक्ष चलाएंगे वोकेशनल कोर्स: बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विवि के तमाम पीजी विभागाध्यक्ष अपने-अपने विषय से संबंधित रोजगार परक कोर्स चला सकते हैं। उन्हें कोर्स से संबंधित विस्तृत प्रतिवेदन विवि प्रशासन की ओर से गठित समिति के पास रखने होंगे। साथ ही सभी पीजी विभागाध्यक्ष अपने विषय से संबंधित 10 या इससे अधिक विषय विशेषज्ञों की सूची विवि प्रशासन के पास जमा कर चुके हैं। साथ ही निर्णय लिया गया कि अब ओरियेंटेशन एवं रिफ्रेसर कोर्स के लिए डीएल नहीं अपितु ऑन ड्यूटी समझे जायेंगे।

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छह नये विभागों का प्रस्ताव भेजा जाएगा सरकार के पास: बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्ष 2010 से ही विवि मुख्यालय में पीजी के अर्थशा‌र्स्थ, हिन्दी, अ्रग्रेजी, उर्दू, दर्शनशास्त्र एवं गणित चल रहे हैं। लेकिन अद्यतन उन्हें मान्यता नहीं मिली है। इस बाबत एक त्रिसदस्यीय पोस्ट क्रियेशन कमिटी बनाने का निर्णय लिया गया जिसके माध्यम से संबंधन एवं पदसृजन संबंधी प्रस्ताव राज्य सरकार में भेजे जाएंगे। बैठक का संचालन संयुक्त रूप से कुलसचिव डॉ. नरेन्द्र श्रीवास्तव एवं उप-कुलसचिव (शैक्षणिक) डॉ. एमआई रहमान ने किया तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रति-कुलपति कुलपति प्रो.(डॉ) फारूक अली ने किया। बैठक में मुख्य रूप से डीन डॉ. शिवमुणि यादव, डॉ. राणा जयराम ¨सह, डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी, विभागाध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार मिश्रा, डॉ. एनके झा, डॉ. विनय कुमार चौधरी, डॉ. आरकेपी रमण, डॉ. रामनरेश ¨सह, डॉ. पीएन ¨सह, डॉ. भवानंद झा, डॉ. कैलाश प्रसाद यादव, डॉ. एचएलएस जौहरी, डॉ. गणेश प्रसाद, प्रधानाचार्य डॉ. रेणु ¨सह, डॉ. राजीव सिन्हा, डॉ. किशोर कुमार, डॉ. केएस ओझा, मुकेश कुमार ¨सह, डॉ. चन्द्रशेखर यादव, डॉ. देवनारायण साह, प्रज्ञा प्रसाद, सहायक विमल कुमार सहित दर्जनों सदस्य मौजूद रहे।


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