Move to Jagran APP

रामनगर महेश में 113 वर्षो से हो रही दक्षिणेश्वर काली की पूजा

मधेपुरा। रामनगर महेश स्थित काली मंदिर में 113 वर्षों से दक्षिणेश्वर मां काली की पूजा की जात

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 09:49 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 09:49 PM (IST)
रामनगर महेश में 113 वर्षो से हो 
रही दक्षिणेश्वर काली की पूजा
रामनगर महेश में 113 वर्षो से हो रही दक्षिणेश्वर काली की पूजा

मधेपुरा। रामनगर महेश स्थित काली मंदिर में 113 वर्षों से दक्षिणेश्वर मां काली की पूजा की जाती है। दक्षिणेश्वर काली यह स्थान श्रद्धालुओं के असीम श्रद्धा व विश्वास का केंद्र बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना मां दक्षिणेश्वर काली पूरी करती है। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु दंड प्रणाम करते हुए माता के दरबार में पहुंचकर आशीर्वाद लेते है। मन्नत पूरी होने पर यहां श्रद्धालुओं के द्वारा बलि प्रदान किए जाने की प्रथा भी शुरू से रही है।

loksabha election banner

स्थानीय लोगों ने बताया कि 1905 ई. से लगातार यहां मां काली की पूजा की जा रही है। 113 वर्ष पूर्व स्थानीय जमींदार बाबू सोनेलाल झा ने मंदिर निर्माण के लिए भूमि आवंटित कर स्थानीय पंडित नंदलाल झा,पंडित छत्रधारी ठाकुर सहित अन्य ग्रामीणों के सहयोग से दक्षिणेश्वर काली को स्थापित किया गया था। उसी समय से ग्रामदेवी के रूप में शुरू की गयी पूजा-अर्चना की परंपरा अभी तक जारी है। काली मंदिर में सालों भर ¨पड की पूजा होती है। मंदिर के पुजारी ब्रह्मानंद ठाकुर बताते हैं कि काली पूजा में वर्षों से कांकड़ निवासी मूर्तिकार होरिल पंडित द्वारा हर वर्ष माता के भव्य प्रतिमा का निर्माण किया जाता था। परन्तु उनके स्वर्गवास के बाद उनके पुत्र चुतहरू पंडित द्वारा माता के प्रतिमा का निर्माण किया जाने लगा। वर्तमान में चुतहरु पंडित के बाद उनके पौत्र महादेव पंडित द्वारा मां काली के भव्य प्रतिमा के साथ-साथ जोगनी,भगजोगनी,महादेव, भगवन गणेश, भैरव देवी समेत अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा बनायी जाती है। उन्होंने कहा कि यहां सालो भर शाम में गांव की लडकियां और महिलाएं मंदिर में आकर संध्या आरती करती हैं। प्रत्येक मंगलवार को मंदिर में निर्मित मंच पर स्थानीय कीर्तन मंडली द्वारा भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। काली माता की महिमा के बारे में यह प्रसिद्धि है कि माता के दरबार में सच्चे मन से मांगने वालों की मनोकामना पूर्ण होती है। काली पूजा के अवसर पर तीन दिनों तक मां की पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान पंडित द्वारा निशा बलि दी जाति है। निशा बलि के उपरांत ग्रामीण सहित दूरदराज के श्रद्धालुओं द्वारा प्रथम दिन बलि प्रदान किये जाने कि परम्परा चली आ रही है। मान्यता है कि मां काली के दरबार में आस्था और श्रद्धा के साथ जो भी आते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। काली पूजा के अवसर पर यहां का दीपोत्सव मशहूर है। दीपोत्सव के अवसर पर ग्राम वासी अपने अपने कुल देवी के भगवती स्थान में पूजा कर वैदिक मंत्रोच्चार के बाद दीप ज्वलित कर उक्कापाती खेल के बाद मां काली के दरबार में पहुंचकर पूजा अर्चना के बाद आशीर्वाद प्राप्त करते है। इस अवसर दीपोत्सव के बाद तीन दिनों तक माता कि पूजा अर्चना और बलि प्रदान की किया जाता है। काली पूजा व मेला के आयोजन को सफल बनाने में आयोजन समिति के अध्यक्ष गिरिजानंद ठाकुर बच्चन,सचिव पंडित जयचंद्र झा,केदार प्रसाद साह, नारायण झा,इन्द्रनाथ झा,सुधीर ठाकुर,कैलाशपति झा, बिन्देश्वरी राय,बिमलचंद्र झा,कामोज मिश्र,देवेश झा सहित अन्य ग्रामीण जुटे हुए हैं7 वहीं मेला आयोजक विमलचन्द झा एवं अन्य सहयोगियों द्वारा मेला तैयारी में जुटे हुए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.