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वार्ड सदस्य के घर में शौचालय नहीं, मिला ओडीएफ प्रमाण पत्र

मधेपुरा : बड़ी अजीब स्थिति है। सबकुछ मैनेज पर चलता है। हद तो यह है कि वार्ड सदस्य के घर

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 08:13 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 08:13 PM (IST)
वार्ड सदस्य के घर में शौचालय
नहीं, मिला ओडीएफ प्रमाण पत्र
वार्ड सदस्य के घर में शौचालय नहीं, मिला ओडीएफ प्रमाण पत्र

मधेपुरा : बड़ी अजीब स्थिति है। सबकुछ मैनेज पर चलता है। हद तो यह है कि वार्ड सदस्य के घर में भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है। जबकि वार्ड सदस्य ने ओडीएफ का प्रमाणपत्र ले लिया है। जिले के आला अधिकारी तक मामला पहुंचने के बाद जांच शुरू कर दी गई है। मामला लोक शिकायत में भी की गई है। मालूम हो कि घैलाढ़ प्रखंड के झिटकिया पंचायत के कई वार्ड में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है। लेकिन पंचायत ओडीएफ घोषित है। डीडीसी ने प्रमाणपत्र वितरित किया है। लेकिन जब जमीन हकीकत की जांच हुई तो मामला खुला। बिना शौचालय निर्माण के ही कई वार्डों को ओडीएफ घोषित किया गया है। सरकार का निर्देश है कि पंचायत सभी वार्ड सदस्य, आशा, जीविका सदस्य, सेविका व सहायिका के घर में सबसे पहले शौचालय का निर्माण जरूरी है। लेकिन झिटकिया पंचायत में इसका भी पालन नहीं हुआ है। बाबजूद इसके जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों ने नियम की अनदेखी कर प्रमाणपत्र वितरित कर दिया।

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शौचालय विहीन हैं वार्ड सदस्य

पंचायत के वार्ड तीन, वार्ड पांच एवं वार्ड नौ के वार्ड सदस्य श्याम सुंदर यादव, र¨वद्र कुमार एवं दुलारचंद ठाकुर के घरों में अब तक शौचालय निर्माण कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है। अब सवाल उठता है कि जब वार्ड सदस्य के घर खुद शौचालय विहिन है तो वार्ड के इन पहरेदारों ने कैसे पूरे वार्ड को शौच मुक्त बताते हुए पदाधिकारियों से ओडीएफ का प्रमाण पत्र भी प्राप्त कर लिया। जो गंभीर जांच का विषय है।

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सेविका, आशा व जीविका दीदीयों को भी नहीं है अपना शौचालय

ओडीएफ घोषित पंचायतों में कई आशा, सेविका व जीविका के दीदीयों को भी अब तक अपना शौचालय नहीं बन पाया है। वार्ड 10 की सेविका वंदना कुमारी, आशा रूणा देवी, जीविका विमला देवी, वार्ड 12 की जीविका दीदी जयमाला देवी के घर अब तक शौचालय निर्माण की नींव भी नहीं रखी गई है। जबकि इन कार्यकर्ताओं ने लोहिया स्वच्छ अभियान के तहत वार्ड में घूम घूम कर लोगों को शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनको भी शौचालय निर्माण के लिए इतनी राशि नहीं हो पा रही है कि खुद का शौचालय का निर्माण कर सके।

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वार्ड सदस्य को शौचालय निर्माण करना जरूरी होता है। अगर वार्ड सदस्य ने शौचालय का निर्माण नहीं किया है और प्रमाणपत्र ले लिया है तो मामला गंभीर है। उनके संज्ञान में मामला नहीं है। जबकि वार्ड सदस्य के अनुसंशा पर ही वार्ड को ओडीएफ होने का प्रमाणपत्र दिया गया है।

राघवेंद्र शर्मा

बीडीओ, घैलाढ़


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