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हाय रे लाचारी, यहां मौत के बाद नहीं हो पा रहा दाह संस्कार

मधेपुरा। यहां गरीबी अब लोगों के सामाजिक व धार्मिक सरोकार के बीच बड़ी खाई बनती जा रह

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 06:51 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 06:51 PM (IST)
हाय रे लाचारी, यहां मौत के बाद
नहीं हो पा रहा दाह संस्कार
हाय रे लाचारी, यहां मौत के बाद नहीं हो पा रहा दाह संस्कार

मधेपुरा। यहां गरीबी अब लोगों के सामाजिक व धार्मिक सरोकार के बीच बड़ी खाई बनती जा रही है। यही कारण है कि लोग अपने परिजन को मरने के बाद उनका दाह संस्कार करने की बजाए शव को जमीन में गाड़कर धार्मिक क्रियाकलाप की खानापूर्ति कर रहे हैं।

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वह भी शमशानघाट या फिर किसी अन्य स्थान पर नहीं बल्कि अपने ही घर-आंगन में दफनाने को मजबूर हो रहे हैं।

कुमारखंड प्रखंड के लक्ष्मीपुर चंडीस्थान पंचायत के केवटगामा गांव के गरीबों यह लाचारी बन गई है। मंगलवार को जब सोहगिया देवी की मौत के ऐसा किया गया तो मामला को जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसके बाद प्रशासनिक हलचल तेज हुई। इसके बाद बुधवार को एसडीओ वृंदा लाल गांव पहुंचे। सीओ को सरकारी भूमि चिन्हित कर श्मशान घाट के लिए प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया।

जबकि इससे पूर्व कई महीनो से ऐसा होता आ रहा था। गरीब परिवारों की माली हालत ऐसी है कि चाहकर भी यह दाह संस्कार में रुपया खर्च नहीं कर पाते हैं। दाह संस्कार के खर्चे से बचने के लिए ही यहां के लोगों ने शवों को पहले नदी में फेंकना प्रारम्भ किया। लेकिन नदी में शव फेके जाने पर रोक लगाए जाने के बाद नदी किनारे ही दफनाने लगे। लेकिन अवैध कब्जाधारियों ने नदी किनारे भी शव को दफनाने से रोक लगा दिया।

इसके बाद घर आंगन में ही शवों को दफनाया जाने लगा।

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शव जलाने के लिए नहीं हैं पैसे

इस गांव में गरीबी का आलम यह है कि शव को जलाते नहीं पात हैं। लकड़ी खरीदने तक के पैसे नहीं हैं इनके पास। लाचार होकर अब इन लोगों ने शव को दफनाना शुरू कर दिया है। जबकि नदी किनारे दफनाने पर रोक लगाया गया है। मौत के बाद लोग घर के आस-पास या आंगन में ही शव को दफना देते हैं। बताते चले कि केवटगामा टोला में 265 परिवारों में से 230 परिवार एसटी-एससी समुदाय के ही है। इन परिवारों को बास के लिए तीन डिसमिल जमीन के अलावा कुछ भी उपलब्ध नहीं है। इसी बास के तीन डिसमिल जमीन में ही उनसबों को सारा कार्य करना पड़ता है।

------------------------इन्हें घरों में है दफनाया गया है शव

सोहगिया देवी से पूर्व दर्जन से अधिक लोगों को घर के पास दफनाया जा चूका है। पूर्व पंसस के पिता परमेश्वरी ऋषिदेव, मां कविया देवी, भाई भोगी ऋषिदेव और सास दुखनी देवी को अपने घर के सामने ही दफन किया गया है। इसी प्रकार 18 वर्षीय आनंद कुमार, बादैर ऋषिदेव, खट्टर ऋषिदेव, फुदिया देवी एवं सविया देवी के शव को आंगन में दफनाया गया है।

------------------------शमशान निर्माण के लिए सरकारी भूमि को चिन्हित करने का निर्देश सीओ को दिया गया है। जमीन मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

वृंदालाल

एसडीओ, मधेपुरा

------------------------केवटगामा की समस्याओं के समाधान को एसडीओ को भेजा गया है। उनके रिपोर्ट के बाद वहां के समस्या का निदान किया जाएगा। जमीन चिन्हित कर वहां शमशान का निर्माण किया जाएगा।

नवदीप शुक्ला,

डीएम, मधेपुरा


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