बीएनएमयू में आइटीआइ कंपनी का कांट्रेक्ट रद्द होना आंदोलन की सफलता : डॉ. जवाहर
मधेपुरा। विश्वविद्यालय में कार्यरत यूएमआइएस कंपनी आइटीआइ में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अराजकता के
मधेपुरा। विश्वविद्यालय में कार्यरत यूएमआइएस कंपनी आइटीआइ में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अराजकता के खिलाफ दिए गए आवेदन पर कुलपति डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने त्वरित कार्रवाई की और कुलाधिपति को पूरे मामले की सच्चाई से अवगत कराया। इसके बाद कुलाधिपति ने नया कांट्रेक्टर करने का आदेश दिया है। यह आंदोलन की जीत है। यह बात सिडिकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान ने प्रेस बयान जारी कर कही। उन्होंने कहा कि बीएनएमयू कोसी प्रमंडल में अवस्थित है, जो गरीब, दलित- महादलित, शोषित-पीड़ित, पिछड़ों का क्षेत्र है। यूएमआइएस कंपनी आइटीआइ ने हमारे विद्यार्थियों एवं अभिभावकों का आर्थिक एवं मानसिक दोहन किया। विद्यार्थियों से पंजीयन के नाम पर तीन सौ रुपये लिए गए और कॉलेज विषय चेंज करने के नाम पर भी काफी पैसा लूटा गया। अब नए कुलपति से उम्मीद है कि वे एक सौ से कम रुपए में नया कांट्रेक्ट करें और विद्यार्थियों से पंजीयन शुक्ल के रूप में मात्र 50-60 रूपए लिया जाए।
उन्होंने कहा है कि यूएमआइएस कंपनी आइटीआइ का नया कांट्रेक्ट रद्द होना आंदोलन की आंशिक सफलता है। अभी इसकी पूरी कार्य-प्रणाली, उसके संबंध में वित्तीय परामर्शी की आपत्ति, इसको एक्सटेंशन देने में तत्कालीन कुलपति एवं तत्कालीन प्रति कुलपति की भूमिका की उच्चस्तरीय जांच बाकि है। यूएमआइएस का कांट्रेक्ट आइटीआइ कंपनी से किया गया है, जिसने किसी दूसरे को पेटी कांट्रेक्ट दे दिया है। ऐसे में यह कांट्रेक्ट फर्जी माना जाना चाहिए। तत्कालीन कुलपति डॉ. अवध किशोर राय एवं तत्कालीन प्रति कुलपति डॉ. फारूक अली ने गुपचुप तरीके से अपने आवास पर एक साजिश की तरह कांट्रेक्ट को अंजाम दिया था। साथ ही कार्य संतोषजनक नही होने के बावजूद आइटीआइ कंपनी को लगभग एक करोड़ पंद्रह लाख रूपये भुगतान कर दिया गया। ऐसी आशंका है कि इसमें काफी लेनदेन हुआ है। यूएमआइएस की वर्तमान कंपनी ने जिन कामों को नहीं किया है, उससे संबंधित राशि भी भुगतान कर दी गई है। अत: राशि की रिकवरी होनी चाहिए।