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पीएचडी एडमिशन टेस्ट की कवायद शुरू, विवि ने विभागों को लिखा पत्र

मधेपुरा। दैनिक जागरण में बीएनएमयू में पांच वर्षों से नहीं हुई प्री-पीएचडी की परीक्षा शीर्षक

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 02:39 AM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 02:39 AM (IST)
पीएचडी एडमिशन टेस्ट की कवायद शुरू, विवि ने विभागों को लिखा पत्र
पीएचडी एडमिशन टेस्ट की कवायद शुरू, विवि ने विभागों को लिखा पत्र

मधेपुरा। दैनिक जागरण में बीएनएमयू में पांच वर्षों से नहीं हुई प्री-पीएचडी की परीक्षा शीर्षक से छपी खबर का संज्ञान लेते हुए बीएन मंडल विवि प्रशासन ने पीएचडी एडमिशन टेस्ट (पैट) कराने की कवायद शुरू कर दी है। शनिवार को विवि के कुलसचिव कर्नल नीरज कुमार की ओर से सभी पीजी विभागाध्यक्षों एवं विवि क्षेत्रांतर्गत प्रधानाचार्यो को जारी पत्र में एक सप्ताह के अंदर आवश्यक सूचना व विभागवार रिक्ति मांगी है।

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क्या है मामला शुक्रवार को जागरण में प्री-पीएचडी संबंधी खबर छपने के बाद विवि प्रशासन पूरे दिन इस बिदु पर हरकत में रहा। पीएचडी एडमिशन टेस्ट संबंधी प्रक्रिया शुरू करते हुए विभागाध्यक्षों एवं प्रधानाचार्यों से शिक्षकों का बायोडाटा मांगा गया है। पत्र में कुलसचिव ने विभागों एवं कॉलेज प्रधान को पत्र लिखा है कि राज्यपाल सचिवालय से शोध के लिए संशोधित परिनियम दिनांक 21 सितम्बर, 2018 की ओर से शोध कार्य के लिए नियमित नामांकन एवं वर्ग संचालन के निमित्त शोधार्थियों के सीट निर्धारण के बाबत पात्रता प्राप्त शोध निदेशक की संख्या के आधार पर रिक्तियों के लिए संबंधित विभागों को कड़ा पत्र प्रेषित किया गया है। विवि प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों एवं प्रधानाचार्यों को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि आपकी ओर से आवश्यक सूचना नहीं आने पर ही अभी तक पीएचडी एडमिशन टेस्ट नहीं हो पाया है और न ही शोधार्थियों के सीटों का ही निर्धारण हो पाया है।

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विवि प्रशासन की नाराजगी

पत्र में विवि प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों एवं प्रधानाचार्यों से कहा है कि इससे पूर्व भी 10 जुलाई, 2018 एवं 29 सितंबर, 2018 की ओर से पत्र भेजकर शिक्षकों का बायोडाटा मांगा गया था। शिक्षकों को आवंटित रिक्ति के अनुसार विज्ञापन निकाला जा सके। लेकिन अद्यतन संबंधित संस्थाओं ने इस ओर संज्ञान नहीं लिया है। विवि प्रशासन ने शुक्रवार को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि विभागाध्यक्ष एवं संबंधित प्रधानाचार्य राजभवन सचिवालय एवं विवि प्रशासन के आदेश को तबज्जो नहीं दे रही है। पत्र में विवि प्रशासन ने संबंधित को स्पष्ट हिदायत दी है कि अगर वे सात दिनों के अंदर अपेक्षित जबाब नहीं देते हैं तो विवि प्रशासन आवश्यक कानूनी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी।

--कोट

दैनिक जागरण में छपी खबर को संज्ञान में लेते हुए हमलोगों ने सभी संबंधित विभागाध्यक्षों और प्रधानाचार्यों को पत्र लिखा है। संबंधित संस्थाओं से रिक्ति आने के बाद पीएचडी एडमिशन टेस्ट की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी।

-डॉ. एमआइ रहमान

उप कुलसचिव (शैक्षणिक)


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