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देश को एकसूत्र में जोड़ती है ¨हदी : कुलपति

मधेपुरा। ¨हदी ¨हदुस्तान के हृदय की भाषा है। यह देश को एकसूत्र में जोड़ती है। ¨हदी के विक

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 07:07 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 07:07 PM (IST)
देश को एकसूत्र में जोड़ती है ¨हदी : कुलपति
देश को एकसूत्र में जोड़ती है ¨हदी : कुलपति

मधेपुरा। ¨हदी ¨हदुस्तान के हृदय की भाषा है। यह देश को एकसूत्र में जोड़ती है। ¨हदी के विकास के बिना ¨हदुस्तान के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। उक्त बातें कुलपति डॉ. अवध किशोर राय ने कही। वे शुक्रवार को स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में आयोजित ¨हदी दिवस समारोह के उद्घाटनकर्ता सह अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे। कुलपति ने कहा कि वैसे तो सभी भाषाओं का अपना-अपना महत्व है। लेकिन ¨हदी गंगा माता की तरह है। जैसे प्राय: सभी नदियां गंगा में मिलकर उसे समृद्ध करती हैं। वैसे ही भारत की सभी भाषाएं ¨हदी की समृद्धि में सहायक है। ¨हदी ही वह भाषा है, जो पूरे देश को एकता के सूत्र में जोड़ती है।

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कुलपति ने कहा कि ¨हदी हमारी सभ्यता-संस्कृति हमारी भावनाएं एवं संवेदनाएं से जुड़ी हुई है। हमारी संस्कृति को अच्छुण्ण रखने में ¨हदी की महत्वपूर्ण भूमिका है।

उनहोंने कहा कि ¨हदी हमारी आन, बान एवं शान है। हमें ¨हदी का अभिमान है। ¨हदी में लिखना-पढ़ना या बोलना शर्म की नहीं, बल्कि गर्व की बात है। हमें गर्व है कि ¨हदी हमारी राष्ट्रभाषा है।

कुलपति ने इस बात पर दु:ख प्रकट किया कि हम अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पढ़ाने में गर्व महसूस करते हैं। हमको लगता है कि हम अंग्रेजी बोलेंगे, तो हमारी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। ¨हदी से हम सब को आत्मीयता है। ¨हदी दिवस के बहाने हम अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। हम अपनी अंतरात्मा में झांकें। हम अपनी भाषा को सम्मान दिलाने में तभी सक्षम होंगे, जब हम अंदर से मजबूत होंगे।

इस अवसर पर प्रति कुलपति डॉ. फारूक ने कहा कि कोई भी भाषा सरकार के भरोसे आगे नहीं बढ़ सकती है। भाषा जनता की ताकत से बढ़ती है और ¨हदी भी जनता की ताकत से ही दुनियाभर में फैल रही है। उन्होंने कहा कि ¨हदी और उर्दू दोनों सगी बहनें हैं। दोनों के भेल से ही देश का विकास होगा। हमें किसी भी भाषा से वैर नहीं रखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर ¨चता व्यक्त की कि राजनीति कारणों से एक तरफ ¨हदी और उर्दू को लड़ाने की साजिश हो रही है और दूसरी तरफ ¨हदी के खिलाफ प्रांतीय भाषाओं में भी माहौल बनाया जा रहा है।

मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. नृपेन्द्र प्रसाद वर्मा ने कहा कि भारत में स्वाधीनता के पूर्व हिन्दी के प्रति प्रेम था। ¨हदी ने भारत की आजादी में महती भूमिका निभाई है। यदि ¨हदी नहीं होती, तो भारत को आजादी नहीं मिलती।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. सीताराम शर्भा ने की। इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में कुलपति ने मुख्य अतिथि को विश्वविद्यालय का अंगवस्त्रम भेंट किया।

इस अवसर पर सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. शिवमुनि यादव, डॉ. नरेश कुमार, डॉ. शिवबालक, डॉ. एचएलएस जौहरी, डॉ. आरकेपी रमण, डॉ. रामचंद्र मंडल, डॉ. रीता ¨सह, डॉ. मनोरंजन प्रसाद, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, डॉ. आनंद कुमार ¨सह, डॉ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।


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