पहले कोरोना कहर, अब शादी पर बरसा मानसून
मधेपुरा। पहले कोरोना और अब मानसून ने शादी-विवाह पर ब्रेक लगा दिया है। जिले के चौसा और आलमनगर के करीब दो दर्जन गांवों में मानसून आने के साथ ही शादी-विवाह सहित अन्य कार्यक्रम पर ब्रेक लग गया है।
मधेपुरा। पहले कोरोना और अब मानसून ने शादी-विवाह पर ब्रेक लगा दिया है। जिले के चौसा और आलमनगर के करीब दो दर्जन गांवों में मानसून आने के साथ ही शादी-विवाह सहित अन्य कार्यक्रम पर ब्रेक लग गया है।
दो साल से कोरोना के कारण शादी-विवाह में दिक्कत हो रही है। वहीं, अप्रैल में लॉकडाउन लगने के बाद तो कार्यक्रम पर रोक सी लग गई। अब बारिश शुरू होने से रतवारा, खापुर, फुलौत सहित दो दर्जन गांवों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। नाव के सहारे लोग गांव पहुंच रहे हैं। ऐसे में इन गांवों में कार्यक्रम नहीं हो रहे है।
फुलौत के रतन कुमार ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मामलों व लाकडाउन के कारण उनकी शादी नहीं हो पाई थी। अब वह बारिश के कारण बाधित होगी। हर साल तीन माह तक शहनाई पर ब्रेक लग जाता है। खापुर के सुरेंद्र कुमार ने बताया कि उन्होंने परेशानी को देखते हुए बेटी के विवाह की तारीख नवंबर तक बढ़ा दी है। कारण कि बारिश में कोसी व सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है। ऐसे में गांवों का मुख्यालय से संपर्क भंग हो जाता है। चारों और पानी घिरने से यह इलाका टापू बन जाता है।
इन गांवों में होती है परेशानी आलमनगर के गंगापुर के बलहा बासा, झंडापुर, खरोआ बासा, कचहरी महादलित टोला, बैजु मरर टोला, स्पेनी, रतवारा पंचायत भवानीपुर बासा, ललिया बासा व खापुर पंचायत के पचवीरा टोला, शबरी नगर, पंडित बासा सहित कई गांव ऐसा है जहां अब तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। इन गांवों में नदी में पानी बढ़ने या अधिक बारिश होने के साथ ही रास्ता खराब हो जाता है। ग्रामीण शालीग्राम सिंह, भिखो सिंह, कारे यादव, पिटू सिंह, राजेंद्र शर्मा, रवि शर्मा, साहब शर्मा कहते हैं कि सड़क निर्माण के लिए अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाया गया है। लेकिन अब तक इस दिशा में पहल नहीं की गई।
नाव के सहारे आवाजाही करते हैं लोग आलमनगर व चौसा के कई गांवों के लोगों का संपर्क प्रखंड मुख्यालय से पानी बढ़ने के साथ ही टूट जाता है। चचरी पुल भी जलस्तर बढ़ने के साथ ही बह जाता है। ऐसे में नाव ही एक मात्र सहारा रहता है। कई बार दुर्घटना भी होती है। इस स्थिति में कोई भी कार्यक्रम करना मुश्किल होता है। इस कारण शादी-विवाह सहित अन्य कार्यक्रम पर रोक लग जाता है। लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि सिर्फ आश्वासन देते हैं, लेकिन इस दिशा में पहल नहीं किया जाता है।