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पैदावार बढ़ाने के लिए बेतहाशा उर्वरक का किया जा रहा इस्तेमाल

मधेपुरा। फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए जिले में किसान खेतों में उर्वरक का अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे खेतों की मृदा शक्ति खत्म होने की स्थिति में पहुंच चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 12:14 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 12:14 AM (IST)
पैदावार बढ़ाने के लिए बेतहाशा उर्वरक का किया जा रहा इस्तेमाल
पैदावार बढ़ाने के लिए बेतहाशा उर्वरक का किया जा रहा इस्तेमाल

मधेपुरा। फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए जिले में किसान खेतों में उर्वरक का अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे खेतों की मृदा शक्ति खत्म होने की स्थिति में पहुंच चुकी है। स्थिति यह है कि फसलों में उर्वरक डालने के साथ कीटनाशक का छीड़काव भी किसानों को करना पड़ रहा है। उर्वरक और कीटनाशक के इस्तेमाल की वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। वहीं, मनुष्य के लिए भी घातक साबित हो रहा है। किसानों की माने तो पैदावार बढ़ाने के लिए उर्वरक व कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि उर्वरक व कीटनाशक का प्रयोग बंद कर दें तो फसलों पैदावार पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगी। इसी वजह से मजबूरी उर्वरक व कीटनाशक का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। जीतापुर के किसान संजय कुमार,सुधीर यादव ने बताया कि धान, गेहूं व मक्का की फसल में पहले के मुकाबले अब उर्वरक की खपत दो-गुणा हो चुकी है। किसानों का कहना है उर्वरक के अधिक इस्तेमाल की वजह से पैदावार में भी वृद्धि हुई है।

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पर्यावरण को पहुंच रहा नुकसान उर्वरक के अत्यधिक इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को लेकर सहायक निदेशक पौधा संरक्षण संजीव कुमार तांती ने बताया कि उर्वरक व कीटनाशक के अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। फसलों के मित्र कीट भी उर्वरक के इस्तेमाल से नष्ट हो रहें हैं। यही वजह है कि खेतों की मृदा शक्ति कम होती जा रही है।

जैविक खेती करने से हिचक रहे किसान जिले में जैविक खाद का इस्तेमाल कर खेती करने का चलन नहीं है। किसान जैविक खाद के इस्तेमाल से हिचक रहें हैं। कृषि विभाग के द्वारा किसानों को इसके लिए लगातार जागरूक भी किया जा रहा है, लेकिन किसान की दिलचस्पी जैविक खाद के प्रति नहीं दिख रही है।

धान की खेती होगी में 9536 एमटी उर्वरक की खफत जिले में 75 हजार हैक्टेयर में इस बार धान की खेती हो रही है। धान की खेती में यूरिया, डीएपी व पोटास को मिलाकर कुल 9536 एमटी उर्वरक के

खपत होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, जिले में 5515 एमटी यूरिया, 2428 एमटी डीएपी व 1593 एमटी पोटास की खपत होगी। कोट उर्वरक के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी के बंजर होने के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है। हाल के वर्षों में किसानों ने उर्वरक का इस्तेमाल अधिक कर दिया है। रासायनिक खाद की जगह किसानों को जैविक खाद अपनाने के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है। अत्यधिक रासायनिक खाद के इस्तेमाल से होने वाली फसल लोगों को बीमार बना सकता है। -राजन बालन, जिला कृषि पदाधिकारी, मधेपुरा


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