महासमर.. नदियों की धारा बदलने की कवायद नहीं हो पाई सफल
50 मीटर तक खिसक चुकी है मुरलीगंज होकर गुजरने वाली बलुवाहा नदी ----------------------
50 मीटर तक खिसक चुकी है मुरलीगंज होकर गुजरने वाली बलुवाहा नदी
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09 सालों से नहीं हुई है गाद की उड़ाही
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नदियों में भर चुके गाद की सफाई बना चुनाव में बड़ा मुद्दा
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अर्जुन भगत, संवाद सूत्र, मुरलीगंज(मधेपुरा) : नदियों के करवट लेने से आबादी पर संकट बढ़ती जा रही है। मुरलीगंज होकर गुजरने वाली बलुवाहा नदी लगातार अपने जगह से खिसकती जा रही है। 50 मीटर तक नदी की धार खिसक चुकी है। वर्ष 2008 में आई प्रलयंकारी बाढ़ में नदियों में गाद भर गया था। उसके बाद से अब तक गाद की उड़ाही नहीं होने से नदी अपनी मुख्य धारा से दाईं ओर खिसक चुकी है। नदी की धारा बदलने से कटाव की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। नदी में गाद और मिट्टी की वजह से गहराई भी कम हो गई है। इस कारण प्रत्येक साल लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडराता है। इस ओर सरकार से लेकर जल संसाधन विभाग तक का रवैया सकारात्मक नहीं रहा। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में उदासीन बने रहे। इस चुनाव में नदियों की बदलती धारा का रुख मोड़ने का मुद्दा भी इस इलाके के मतदाताओं के बीच अहम है।
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गाद से नदियों का अस्तित्व खतरे में : क्षेत्र की समस्या को लेकर बड़ी बड़ी बात स्थानीय राजनेताओं के द्वारा की जाती है। लेकिन नदियों का रुख बदलने की वजह से उत्पन्न हुई समस्या यहां के लोगों के लिए गंभीर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नदियों में गाद जमा हो जाने से अस्तित्व पर खतरा बनता जा रहा है। इस कारण नदी अपनी मुख्य धारा को छोड़कर अन्य धाराओं में बहने लगती है। बरसात के मौसम में तो स्थिति भयावह हो जाती है। मालूम हो कि घाघरा, गंडक, बागमती, कमला, कोसी, महानंदा आदि नेपाल के विभिन्न भागों से होकर आती हैं। ये नदियां अपने बहाव के साथ अत्यधिक मात्रा में गाद लाती हैं। जिस कारण बहाव की गति में परिवर्तन होता है। इस वजह से विभिन्न स्थानों पर गाद जमा होता जा रहा है। कभी-कभी अत्यधिक गाद के एक स्थान पर जमा होने पर वहां गाद का शोल (टीला) बन जाता है। नदी के बहाव के बीच में शोल बन जाने से उसकी धारा विचलित होती हैं। जो तिरछे रूप में अधिक तेजी से पहुंचने के कारण बांध और नदी के किनारों पर कटाव का दबाव बनाती है।
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नदीयों से गाद की सफाई होना जरूरी : नदियों के तलहटी में गाद जमने से नदी की धारा बदल रही है। क्षेत्र के लोगों ने बताया कि गाद के कारण पानी बढ़ने से गांवों में प्रवेश कर जाता है। वहीं कटाव के कारण भी स्थिति खराब हो रही है। प्रत्येक साल नदी से गाद का सफाई होना आवश्यक है। मुरलीगंज के अमित यादव, संदीप कुमार, राजन कुमार ने बताया कि नदियां हमारे जीवन का आधार है। लेकिन यही नदियों कभी-कभी अपना रोद्र रूप दिखाती है। नदियों में लगातार गाद जमा होने से उसके पेट में पानी रखने की क्षमता खत्म हो रही है।
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इन गांवों में होती है परेशानी : प्रखंड के गंगापुर, रामपुर, दीनापट्टी, जोरगामा सहित एक दर्जन गांवों के लोगों को हर साल बरसात के दिनों में डर-डर कर रहना पड़ता है। कब पानी गांव में प्रवेश कर जाएगा। यह डर मन में हर समय रहता है। स्थानीय लोगों ने कहा इस गंभीर समस्या के प्रति स्थानीय राजनेता पूरी तरह से उदासीन बने हुए हैं। इन राजनेताओं की ओर से सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है।
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