गम्हरिया में कागज पर ही अपग्रेड हो गए विद्यालय
मधेपुरा। लोग तो सवाल पूछेंगे ही। आखिर योजना कागजों पर ही क्यों रह जाती है। जनप्रतिनिधियो
मधेपुरा। लोग तो सवाल पूछेंगे ही। आखिर योजना कागजों पर ही क्यों रह जाती है। जनप्रतिनिधियों की जिम्मेवारी यह नहीं है कि वे स्थिति का समय-समय पर आकलन करें।
चुनाव की डुगडुगी बजने के बाद नेताजी को जनता की याद आती है। जनता से सीधे मुंह बात नहीं करने वाले नेताजी का स्वभाव अचानक बदल जाता है। अपने आपको जनता का सबसे बड़ा हमदर्द जताने की कोशिश करते हैं, लेकिन जनता इस बार धोखे में नहीं आने वाली। नेताजी के चिकनी चुपड़ी बातों व आश्वासनों की झड़ी में नहीं आने वाले हैं। ऐसे में नेताजी की परेशानी बढ़ रही है। गम्हरिया में पुराने तीन उच्च विद्यालय हैं, जो अब कागज पर अपग्रेड तो हुआ है पर जमीन पर कोई कार्य नहीं हुआ है। विद्यालय में भवन नहीं है। छात्र-छात्राओं को बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में जनता तो सवालों की झड़ी लगाएंगे ही। प्रखंड की बात करें तो कई समस्याएं हैं। सड़क की स्थिति काफी खराब है। गम्हरिया से एकपड़हा की सड़क अभी तक नहीं बनी है। बारिश में लोगों को चलना दूभर हो जाता है। चुनाव सामने आई तो शिलान्यास किया गया, लेकिन क्या फायदा। शिलान्यास के बाद आचार संहिता के कारण काम रुका हुआ है। इधर अपराध में लगातार इजाफा से लोगों में डर का माहौल है। कोरोना का कहर अलग से, लेकिन नेताजी को चुनाव की पड़ी है।