सावन माह में शिव की उपासना से भक्तों को मिलेंगे मनोंवांछित फल
मधेपुरा। रविवार से सावन मास शुरू हो रहा है। इस पवित्र महीने को हर घर में एक त्योहार की तरह मनाया जाएगा। इस परंपरा को लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं। भगवान शिव की पूजा करने का सबसे उत्तम सावन महीने को माना गया है। धर्म शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है।
मधेपुरा। रविवार से सावन मास शुरू हो रहा है। इस पवित्र महीने को हर घर में एक त्योहार की तरह मनाया जाएगा। इस परंपरा को लोग सदियों से निभाते चले आ रहे हैं। भगवान शिव की पूजा करने का सबसे उत्तम सावन महीने को माना गया है। धर्म शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है।
पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है। इसलिए सावन में लोग रूद्राभिषेक कराते हैं। सावन का महीना और सोमवार का दिन दोनों भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। जब सावन का महीना व सोमवार दोनों एक साथ हो तो सावन सोमवार का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। मान्यता है कि सावन सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से वह बहुत जल्द ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी पाप नष्ट कर मनोवांछित फल देते हैं।
सावन का मंगलवार माता पार्वती को रहता है समर्पित पंडित आचार्य दुर्गानंद झा उर्फ मालवी कहते हैं कि सावन महीने का मंगलवार माता पार्वती को समर्पित होता है। सावन के मंगलवार को मंगला गौरी अर्थात माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं मंगलागौरी का व्रत रखकर अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त करती हैं। सावन के मंगलवार को सुहागिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर शाम को मंगलागौरी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं या पढ़ती हैं। इससे मंगलागौरी प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्यवती होने और पुत्र प्राप्ति का वरदान देती हैं। सावन के प्रत्येक मंगलवार को सुहागिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से इस व्रत का अनुष्ठान करती हैं।
धन-दौलत, मान-सम्मान व पद-प्रतिष्ठा की होगी प्राप्ति
इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों के मनोरथ पूरा करते हैं। उन्हें धन-दौलत, मान-सम्मान व पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही सोमवार के व्रत का फल शीघ्र मिलता है। माना जाता है कि सावन मास में भगवान शंकर की पूजा से विवाह आदि में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। जिन पर शनि का दोष हो इनका शनि दोष खत्म हो जाता है।
शिव आराधना के लिए सावन का महीना है सबसे उत्तम
शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव अपने भक्तों को सभी समस्याओं को दूर करते हैं। जीवन में कोई परेशानी हो सोमवार का व्रत व पूजा करने से लाभ मिलता है। इसलिए शिवभक्त श्रद्धा व भक्ति के अनुसार शिव की उपासना करते हैं। सावन माह में शिव की भक्ति के महत्व का वर्णन वेदों में किया गया है। चारों ओर का वातावरण शिव भक्ति से ओत-प्रोत रहता है। सावन में सोमवार के व्रत का भी खास महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। सावन के महीने का शिव भक्तों को हमेशा इंतजार रहता है।
शिवभक्ति और आस्था का प्रतीक है सावन का महीना
पंडित आचार्य दुर्गानंद झा उर्फ मालवी के अनुसार सावन का यह माह शिवभक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है। श्रावण मास में आने वाले सोमवार के दिनों में भगवान शिवजी का व्रत व पूजन विशेष फलदायी होता है। श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस माह में प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। श्रावण मास के विषय में प्रसिद्ध एक पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण मास के सोमवार व्रत, जो व्यक्ति करता है उसकी सभी इछाएं पूर्ण होती है।
26 जुलाई को प्रथम सोमवार व 16 अगस्त को रखा जाएगा अंतिम सोमवारी व्रत सावन के महीने को श्रावण का मास भी कहते हैं। हिदू धर्म में सावन के सभी सोमवार का व्रत रखने का विधान है। साल 2021 के सावन के महीने में कुल चार सोमवार है। हिदू कैलेंडर के अनुसार सावन मास 25 जुलाई से शुरू होगा व 22 अगस्त को समाप्त होगा। इस दौरान कुल चार सोमवार है। इन प्रत्येक सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा की जाती है। 26 जुलाई को प्रथम सोमवार, दो अगस्त को द्वितीय, नौ अगस्त को तृतीय सोमवारी व 16 अगस्त को सावन महीने का चतुर्थ सोमवार व्रत रखा जाएगा।