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कभी बुनकरों की कारीगरी के लिए मशहूर था उदाकिशुनगंज, अब खाने के लाले

विनोद विनीत, उदाकिशुनगंज(मधेपुरा): सरकार की उदासीनता के कारण अनुमंडल क्षेत्र में काम क

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Dec 2017 02:59 AM (IST)Updated: Mon, 04 Dec 2017 02:59 AM (IST)
कभी बुनकरों की कारीगरी के लिए मशहूर था उदाकिशुनगंज, अब खाने के लाले
कभी बुनकरों की कारीगरी के लिए मशहूर था उदाकिशुनगंज, अब खाने के लाले

विनोद विनीत, उदाकिशुनगंज(मधेपुरा): सरकार की उदासीनता के कारण अनुमंडल क्षेत्र में काम करने वाले बनुकरों की स्थिति अब दयनीय हो चुकी है। सरकारी उपेक्षा के कारण यहां के बुनकर अब यह कार्य छोड़ने को मजबूर हैं। मालूम हो कि यहां के बनुकरों के कारिगरी की चर्चा काफी दूर दूर तक हुआ करती थी। दो दशक पूर्व तक बिहार के बाहर भी यहां से समान जाया करता था। लेकिन वक्त बदलने के साथ ही यहां के बनुकरों की चमक भी फीकी पड़ने लगी। अभी आलम यह है कि बुनकरों ने काम से मुंह फेर लिया। बुनकरों की मानें तो सरकारी मदद मिले तो फिर से काम शुरू कर सकते है।

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1967 आधा दर्जन बुनकर समिति करती थी काम :

1967 में क्षेत्र में करीब आधे दर्जन बुनकर समिति कार्य करती थी। इन समिति से सैकड़ों की संख्या में बनुकर जुड़े हुए थे। इनमें मुख्य रूप से मंजौरा, रामपुर, पुरैनी और बिहारीगंज की समिति कार्य करती थी। इन समिति का केंद्र पूरे जिले में फैला हुआ था। उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में शुरुआती दौर में महज 223 सदस्य ही हुआ करता था। कुछ वर्षों में इसकी संख्या बढ़ी। समितियां का अलग अलग कार्य क्षेत्र हुआ करता था। समिति के माध्यम से बुनकरों द्वारा खादी वस्त्र धोती गमछा लूंगी चादर मच्छरदानी तौलिया आदि तैयार की जाती थी। तैयार वस्त्र खादी भंडार कॉरपोरेशन एवं कॉपरेटिव सरकारी संस्थाओं में सप्लाई किया जाता था।

बुनकरों की संख्या :

गांव संख्या

मंजौरा 159

तिरासी 53

कुमारपुर 36

रहुआ 128

रामपुर 193

घोषई 90

चौसा पश्चिमी 07

चौसा पूर्वी 13

नरदह कोठी 30

अच्छे उत्पादन के लिए चर्चित था यह इलाका :

ट्रायसम योजना के तहत सुंदर एवं कलात्मक कपड़ों के उत्पादन के लिए क्षेत्र चर्चित रहा है। यद्यपि बुनकरों को ऋण भी नहीं मिला था। दो दशक में यहां के बनुकर का कारोबार पूरी तरह से प्रभावित हो गया।

खादी भंडार पर बुनकरों का है लाखों बकाया :

बिहारीगंज और पुरैनी खादी भंडार पर बुनकरो का अब भी लाखों रुपये का बकाया है। बनुकर अपने बकाए राशि के लिए खादी ग्राम उद्योग से जुड़े बड़े अधिकारी तक शिकायत कर चुके हैं। लेकिन इन बुनकरों का भुगतान नहीं हो पाया है।

सरकारी सहायता नदारद :

बुनकरों को सरकारी सहायता नहीं मिला। जिस कारण बुनकरों की हालत खराब होती चली गई। बुनकरों का कहना है कि सरकारी सहायता मिलती तो आगे बढ़ने का मौका मिलता। पैसा, बाजार और सूत के अभाव में हस्तकरघा ठप पड़ गया है।

- बुनकर के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा रही है। सरकारी प्रावधान के मुताबिक बुनकरों को सहायता उपलब्ध कराया जाएगा।

एसजेड हसन

एसडीएम

उदाकिशुनगंज, मधेपुरा


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