शिक्षकों के अभाव में छात्रों का भविष्य बना अंधकारमय
मधेपुरा। प्रखंड का पुराना राजकीय उच्च विद्यालय बिहारीगंज को प्लस टू का दर्जा तो मिल गया हैं
मधेपुरा। प्रखंड का पुराना राजकीय उच्च विद्यालय, बिहारीगंज को प्लस टू का दर्जा तो मिल गया हैं, लेकिन भवन और शिक्षक के अभाव में छात्रों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है।
इस स्कूल की स्थापना देश की आजादी के समय वर्ष 1947 में हुई थी। इस स्कूल से शिक्षा ग्रहण कर दर्जनों छात्र बड़े-बड़े पदों पर कार्यरत हुए, लेकिन आज विद्यालय दशा और दिशा विपरीत हो गई है। उच्च विद्यालय में नौवीं व 10वीं कक्षा में कुल 337 छात्र नामांकित हैं। इसमें नौवी कक्षा में 190 छात्र और 10वीं में 147 छात्रों का नामांकन है। स्कूल की प्रोन्नति वर्ष 2020-21 में होने के बाद प्लस टू में कला संकाय में 27 व विज्ञान संकाय में 14 छात्रों का नामांकन हैं, लेकिन प्लस टू के लिए एक भी शिक्षक की बहाली नहीं होने से छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। इस विद्यालय का जब जायजा लिया, तो एक वर्ग कक्ष में नवमीं व दसवीं कक्षा कुल 25 छात्र पढ़ाई कर रहे थे। प्लस टू के एकमात्र छात्र एक वर्ग कक्ष में बैठे थे। छात्र का कहना था कि सरकारी स्तर पर प्लस टू चालू करा दिया गया है, लेकिन यहां कोई व्यवस्था नहीं है। नामांकन कराकर पछताना पड़ रहा हैं। कोचिग के सहारे तैयारी करना मजबूरी बनी हुई है।
हाई स्कूल में हिदी, अंग्रेजी और कंप्यूटर के नहीं हैं शिक्षक
राजकीय उच्च विद्यालय में प्रधानाध्यापक सहित 10 शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें अंग्रेजी के शुभंकर झा, गणित के नवीन कुमार, राजश्री टंडन, दिलीप कुमार, विज्ञान के अमित कुमार, समाजिक विज्ञान के मुकेश कुमार, दीपक कुमार, सारण सुमन एवं शारीरिक शिक्षक हरिश्चंद्र मंडल पदस्थापित हैं। अरूण कुमार चौधरी पुस्तकालय अध्यक्ष, रमेश कुमार रमण लिपिक और कुमारी सोनी रानी परिचारिका पद पर कार्यरत हैं। जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी और कंप्यूटर का शिक्षक नहीं रहने से अध्ययनरत छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है। वहीं कंप्यूटर शिक्षक के अभाव में विद्यालय का एक बंद पड़ा वर्ग कक्ष में रखा कंप्यूटर धूल फांक रहा है।
स्कूल की कुछ भूमि पर है अतिक्रमण
राजकीय उच्च विद्यालय को पांच एकड़ भूमि है। इसमें विद्यालय भवन के अलावा क्रीड़ा मैदान हैं। क्रीड़ा मैदान के कुछ भाग में स्थायी और अस्थायी अतिक्रमण रहने से छात्रों को खेल में परेशानी का सामना उठाना पड़ता है। विद्यालय के सामने वाली सड़क पर फुटकर दुकानदारों का अतिक्रमण रहने से कस्तूरबा विद्यालय के बालिकाओं को परेशानी होती है। स्कूल के सामने सड़क पर ऑटो लगाने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
लौहयुक्त पानी पीते हैं बच्चे हाई स्कूल में शुद्ध पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। स्कूल परिसर में छह चापाकल है। जिस चापाकल का लौहयुक्त पानी का सेवन करना बच्चों की मजबूरी बनीं हुई है। विद्यालय परिसर में पुराने माडल के छह शौचालय निर्मित हैं। बिजली की व्यवस्था सु²ढ़ है। विद्यालय में नौ वर्ग कक्ष हैं। इसमें चार वर्ग कक्ष में छात्रों की पढ़ाई कराई जाती है। एक-एक वर्ग कक्ष स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, कंप्यूटर व स्टोर रूम बना हुआ है। वर्ग कक्ष की कम हो जाने की वजह से छात्रों को पढ़ाई में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
स्कूल खुलने के बाद भी छात्रों के उत्साह में कमी
कोरोना संकट के दस माह बाद नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों की पढ़ाई शुरू होने होने के बावजूद छात्रों में उत्साह की कमी नजर आ रही हैं। हाई स्कूल में सिर्फ सात फीसदी बच्चों की उपस्थित बड़ी सवाल खड़ा कर रहा है। वहीं कोरोना गाइडलाइन के पालन का अभाव देखा जा रहा है। स्मार्ट क्लास का कक्ष बंद पड़ा हुआ है। पुस्तकालय और प्रयोगशाला की हालत दयनीय बनी हुई है। बताते चले कि बीते 14 मार्च 2020 से लाकडाउन के कारण सभी शिक्षण- संस्थान बंद पड़ा था। हाई स्कूल को चार जनवरी 2021 से खोलने की इजाजत मिली है। जहां कोरोना और विभागीय गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है।
कोट स्कूल में वर्ग कक्ष की कमी रहने की सूचना वरीय अधिकारी को दी गई है। विद्यालय की भूमि पर अतिक्रमण हटाए जाने के लिए अंचलाधिकारी और थानाध्यक्ष को आवेदन दिया गया है। इसके बावजूद किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही हैं। बरसात के समय कई जगहों पर छत से पानी टपकने के कारण परेशानी होती है। बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए अभिभावकों से संपर्क कर प्रयास किया जा रहा हैं। इसी वर्ष प्लस टू के पठन- पाठन की स्वीकृति मिली है। इसके लिए भवन और शिक्षकों की नियुक्ति आवश्यक है। शुद्ध पेयजल के लिए आरओ लगाया गया था। जो खराब हो गया हैं। पीएचइडी विभाग से नल लगाये जाने के लिए पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है।
चंद्रकिशोर सिंह, प्रधानाध्यापक
राजकीय उच्च विद्यालय, बिहारीगंज (मधेपुरा)