भगवान शिव का पालकी से कराया गया नगर भ्रमण
लखीसराय। सलेमपुर में आयोजित तीन दिवसीय शिव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के दूसरे दिन बुधवार को भगवान श
लखीसराय। सलेमपुर में आयोजित तीन दिवसीय शिव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ के दूसरे दिन बुधवार को भगवान शिव को पालकी से नगर भ्रमण कराया गया।नगर भ्रमण के बाद मंदिर प्रांगण में प्रवचनकर्ता पं. रविशंकर जी ने भगवान शिव की महिमा पर आधारित कथा कही। उन्होंने कहा कि जिद मनुष्य का विवेक हर लेता है। माता सती जब भगवान शिव के रोकने के बाद भी नहीं मानी और अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ आयोजन में बिना निमंत्रण के ही चली गई। इस कारण मां सती को अपमान सहन नही हो पाया और मां ने योग अग्नि में जलकर अपने आप को भष्म कर ली। और तब मां के भष्म होने की खबर सुन कर भगवान शिव क्रोधित होकर राजा दक्ष प्रजापति को दंडित किया और यज्ञ भंग कर दिया। देवताओं ने भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव की स्तुति कर राजा दक्ष के यज्ञ को संपन्न कराया। इस अवसर पर रविशंकर जी ने प्रसंगवश काशी को शिव का धाम और मनुष्य को वहीं से मोक्ष की प्राप्ति होने की प्रसंग भी सुनाई। उन्होंने कहा कि एक बार काशी में शवयात्रा जा रही थी। शवयात्रा मे शामिल लोग राम नाम सत है कहते जा रहे थे। भगवान शिव को राम के नाम से बहुत प्रेम होने के कारण वे भी शव यात्रा में शामिल हो गए। शव के दाह संस्कार के बाद जब सभी लौट रहे थे तो कोई भी राम का नाम नहीं ले रहे थे। भगवान शिव को इस बात को लेकर आश्चर्य हुआ और वे लौटकर फिर श्मसान घाट पहुंच गए। वहां वे पूरे शरीर में भष्म लगाकर भगवान राम का नाम सुमिरन करने लगे और वहीं वे वास कर गए। यही वजह है कि काशी में संस्कार के बाद मृत आत्मा को भगवान शिव का सानिध्य मिलते रहता है और मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पहले आयोजित नगर भ्रमण में यजमान अमर कुमार, रोहित कुमार, निलेश कुमार, पूर्व मुखिया अजय कुमार ¨सह, विक्कू ¨सह सहित सैकड़ों महिला-पुरूष शामिल हुए।