दो साथियों के साथ देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिया भगत सिंह ने
लखीसराय। मंगलवार को चानन प्रखंड क्षेत्र के मध्य विद्यालय लाखोचक में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 114वी
लखीसराय। मंगलवार को चानन प्रखंड क्षेत्र के मध्य विद्यालय लाखोचक में शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 114वीं जयंती विद्यालय के बाल संसद व मीना मंच के तत्वावधान में मनाई गई। अध्यक्षता शिक्षिका संगीता कुमारी ने की जबकि संचालन बाल संसद की शिक्षा मंत्री सह मीना मंच मंत्री अन्नु कुमारी ने किया। इस अवसर संस्कृत शिक्षक पीयूष कुमार झा ने कहा कि भगत सिंह महान क्रांतिकारी थे। उन्होंने बचपन की ही एक घटना में बंदूकें बो रहा हूं कहकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। 1919 के अमृतसर के जलियांवालाबाग हत्याकांड का इनपर व्यापक असर पड़ा था। इसके बाद इन्होंने क्रांतिकारी साथियों की सहायता से अंग्रेजी सरकार की नींद उड़ा दी। साइमन कमीशन के विरोध में आंदोलन में लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला उन्होंने पुलिस अफसर सांड्रस की हत्या करके लिया। 1929 में दिल्ली की केंद्रीय असेंबली में बम फेंककर ये अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ इंकलाब जिदाबाद व साम्राज्यवाद का नाश हो नारा लगाकर युवाओं को जगाने का कार्य किया। जब इनको फांसी की सजा हुई तो सब इनकी सजा को माफ करवाने का प्रयास करने लगे मगर उन्होंने कभी नहीं चाहा कि मेरी फांसी रूके। 23 मार्च 1931 को मात्र 24 वर्ष की उम्र में ये अपने साथी राजगुरु व सुखदेव के साथ हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर झूल गए। इससे पूर्व विद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भगत सिंह के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। मेरा रंग दे बसंती चोला व दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत मेरी मिट्टी से भी खुशबू ए वतन आएगी गीत का सामूहिक गान किया गया। इस अवसर पर शिक्षिका सीता भारती, महेश कुमार, मीरा कुमारी, रिकू कुमारी, बाल संसद के सभी सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन वंदेमातरम के सामूहिक गान से किया गया।