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दलालों के कब्जे में सरकारी अस्पताल, संस्थागत प्रसव प्रभावित

लखीसराय। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर सरकार संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए कई योजना

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 07:11 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 07:11 PM (IST)
दलालों के कब्जे में सरकारी अस्पताल, संस्थागत प्रसव प्रभावित
दलालों के कब्जे में सरकारी अस्पताल, संस्थागत प्रसव प्रभावित

लखीसराय। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर सरकार संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। परंतु जिले में कुकुरमुत्ते की तरह फैले निजी क्लीनिक संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की राह का रोड़ा साबित हो रही है। विभिन्न निजी क्लीनिक के संचालक अथवा दलाल सदर अस्पताल सहित जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में चक्कर लगाते रहते हैं। मानें तो जिले के सरकारी अस्पताल दलालों के कब्जे में हैं और इस कारण संस्थागत प्रसव प्रभावित हो रही है। निजी क्लीनिक के संचालक अथवा दलाल प्रसव पीड़िता के स्वजनों को संबंधित निजी क्लीनिक में प्रसव कराने की सारी व्यवस्था उपलब्ध रहने की बात बताकर बहला-फुसलाकर अपने यहां भर्ती करा रहे हैं। सदर अस्पताल में 24 घंटे दलाल चक्कर लगाते रहते हैं। इनका अस्पताल के अंदर तक लेनदेन के बल पर सेटिग है। एक दलाल तो सदर अस्पताल में कर्मचारी की तरह कार्य करते रहते हैं।

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मात्र 16 फीसद हासिल हुआ संस्थागत प्रसव का लक्ष्य

चालू वित्तीय वर्ष के छह माह बीत जाने के बाद भी जिले में निर्धारित वार्षिक लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 16 फीसद ही संस्थागत प्रसव हो पाया है। संस्थागत प्रसव कराने का वार्षिक लक्ष्य 29,428 एवं मासिक लक्ष्य 2,452 है परंतु पांच माह में मात्र 4,702 संस्थागत प्रसव कराया गया है। ससमय सरकारी एंबुलेंस के नहीं पहुंचने के कारण भी दूरदराज एवं जंगली-पहाड़ी क्षेत्र की अधिकांश प्रसव पीड़िता घर में ही प्रसव कराने को विवश होती हैं। ऐसे में निर्धारित लक्ष्य 29,428 का आंकड़ा पूरा करना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण है।

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बिना चिकित्सक के संचालित हो रहे अधिकांश निजी क्लीनिक

मरीजों की आंखों में धूल झोंकने के लिए जिले में अधिकांश निजी क्लीनिक के बोर्ड पर कई चिकित्सक का नाम अंकित है। जबकि वहां एक भी चिकित्सक नहीं रहते हैं। नर्स ही प्रसव पीड़िता का इलाज एवं प्रसव कराती है। सिजेरियन प्रसव की जरूरत पड़ने पर डाक्टर को बुलाया जाता है। नर्स से प्रसव कराने के कारण आए दिन विभिन्न निजी क्लीनिक में प्रसव पीड़िता, प्रसूता अथवा नवजात की मौत होती है। फिर हंगामा और सड़क जाम की घटना होती है।

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अस्पतालवार संस्थागत प्रसव का निर्धारित लक्ष्य व उपलब्धि

रेफरल अस्पताल बड़हिया

निर्धारित लक्ष्य - 3,797

उपलब्धि - 705

उपलब्धि फीसद - 19

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सीएचसी हलसी

निर्धारित लक्ष्य - 3,415

उपलब्धि - 585

उपलब्धि फीसद - 17

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सदर अस्पताल लखीसराय

निर्धारित लक्ष्य - 9,601

उपलब्धि - 1,412

उपलब्धि फीसद - 15

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पीएचसी पिपरिया

निर्धारित लक्ष्य - 1,570

उपलब्धि - 154

उपलब्धि फीसद - 10

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पीएचसी रामगढ़ चौक

निर्धारित लक्ष्य - 2,602

उपलब्धि - 398

उपलब्धि फीसद - 15

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सीएचसी सूर्यगढ़ा

निर्धारित लक्ष्य - 8,443

उपलब्धि - 1,448

उपलब्धि फीसद - 17

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संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए योजना

अस्पताल में प्रसव कराने वाली ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत 1,400 रुपये एवं प्रसव कराने के लिए अस्पताल लाने वाली आशा को 600 रुपये तथा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपये एवं आशा को 400 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। एंबुलेंस से गर्भवती महिला को प्रसव कराने के लिए अस्पताल पहुंचाने एवं प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को निश्शुल्क घर पहुंचाया जाता है। संबंधित क्षेत्र की एएनएम एवं आशा घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को चिह्नित कर समय-समय पर उसकी जांच कराती है।

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सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पताल प्रशासन को दलालों पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया गया है। सरकारी अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस नहीं लगाई जानी है। प्रसव पीड़िता को सरकारी अस्पताल से बहला-फुसलाकर निजी क्लीनिक ले जाने का प्रयास करने वाले व्यक्ति को चिह्नित कर उसके विरुद्ध मामला दर्ज कराया जाएगा। ऐसा पहले भी किया जा चुका है।

डा. डीके चौधरी, सिविल सर्जन, लखीसराय।


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