हिदी साहित्य में नई आंचलिक विधा के सृजनकर्ता थे फणीश्वरनाथ रेणु
लखीसराय। हिदी साहित्य में आंचलिक विधा को जन्म देने वाले साहित्यकार फणीश्वरनाथ की जन्म शताब्द
लखीसराय। हिदी साहित्य में आंचलिक विधा को जन्म देने वाले साहित्यकार फणीश्वरनाथ की जन्म शताब्दी गुरुवार को मनाई गई। रेहुआ रोड स्थित लाल इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित समारोह की अध्यक्षता विद्यालय के डायरेक्टर मुकेश कुमार ने की। मौके पर स्कूल के शिक्षकों के साथ बच्चों ने फणीश्वरनाथ रेणु की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। स्कूल के अध्यक्ष आरपी शर्मा ने कहा कि आंचलिक कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु ने हिदी साहित्य में नई आंचलिक विधा का सृजन किया। उनकी लोकप्रिय रचनाओं मैला आंचल, परती परिकथा, मारे गए गुलफाम, रसप्रिया, ठेस, पंचलाईट, संवदिया व लाल पान की बेगम जैसी अनेक रचनाएं हैं। रेणु ने बिहार के कोसी के इलाके में बोली जाने वाली ठेठ गांव-जवार वाली भाषा को शब्दों में पिरोकर हिदी साहित्य के जरिए विश्व मानस पटल पर ख्याति अर्जित की। आज उनके सृजित विधा पर देश के हिदी प्रेमियों को गर्व है। शिक्षक उमेश कुमार ने कहा कि रेणु ने साहित्य सृजन के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। उनकी रचना मारे गए गुलफाम पर तीसरी कसम फिल्म बनी। हिदी शिक्षक धीरज कुमार ने कहा कि रेणु का नाम हिदी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद और अंग्रेजी साहित्य के कथाकार विलियम वर्ड्सवर्थ की लेखनी के समतुल्य माना जाता है। छात्र प्रत्यूष कश्यप ने फणीश्वरनाथ रेणु की आकर्षक तस्वीर स्केच किया। समारोह को शिक्षक राजीव कुमार, अभिजीत कुमार, मौसम कुमारी, प्रियंका कुमारी, निशांचु भारती, शुभम कुमार, शिवम राज, अभिषेक कुमार, स्वेता कुमारी, शिवानी कुमारी, अनामिका कुमारी, बेबी कुमारी, गोपाल कुमार व उद्देश्य कुमार ने संबोधित किया।