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प्रसूता की हो चुकी थी मौत, गंभीर बताकर कर किया रेफर

लखीसराय। कुछ वर्ष पहले मेडिकल माफियागिरी पर अक्षय कुमार की एक फिल्म आई थी- गब्बर। इस फि

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 08:03 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 06:10 AM (IST)
प्रसूता की हो चुकी थी मौत, गंभीर बताकर कर किया रेफर
प्रसूता की हो चुकी थी मौत, गंभीर बताकर कर किया रेफर

लखीसराय। कुछ वर्ष पहले मेडिकल माफियागिरी पर अक्षय कुमार की एक फिल्म आई थी- गब्बर। इस फिल्म में अक्षय एक मृतक को प्राइवेट अस्पताल ले जाते हैं और प्राइवेट अस्पताल वाले फिर शव को गंभीर मरीज बताकर परिजन से धन उगाही करने लगते हैं। ठीक इस फिल्म से मिलता-जुलता वाकया लखीसराय में रविवार देर शाम हुआ। यहां एसपी आवास से थोड़ी दूर लखीसराय-रामगढ़चौक पथ स्थित लता सेवा सदन निजी नर्सिग होम में पटना जिला के भदौर थाना क्षेत्र के भदौर निवासी संतोष कुमार राम की पत्नी 'प्रसूता' नीतू कुमारी की मौत हो जाती है। क्लीनिक वाले यह जानने के बाद भी शव को गंभीर रूप से बीमार बताते हैं और शव को ही बेहतर इलाज के लिए अपनी एंबुलेंस से जमुई रेफर भेज देते हैं। चूंकि यह रुपहला पर्दा नहीं वास्तविकता थी सो क्लीनिक एंबुलेंस चालक इसे फिल्म के मेडिकल माफिया के गुर्गे की तरह शव को गंभीर बताने का ढोंग अंत तक नहीं कर पाया और जमुई के पुष्पांजलि अस्पताल शव को उतारने के बाद भाग गया। इधर पुष्पांजलि अस्पताल के डॉक्टरो ने बहुत देर पहले ही महिला की मौत हो जाने की बात कही तो परिजनों का क्रोध उबल पड़ा। परिजन शव को लेकर सोमवार की सुबह फिर लखीसराय के लता सेवा सदन नर्सिंग होम आए और शव को बाहर रखकर जमकर हंगामा किया। शव को दुबारा आया देख लता सेवा सदन के संचालक एवं कर्मी क्लीनिक में इलाजरत तीन मरीजों को अंदर ही छोड़ ताला लगाकर फरार हो गए।

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चूंकि दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करने वाले प्रसूता के परिजनों में परिजनों में कोई फिल्मी हीरो था नहीं और न ही समाज का कोई हीरो उनके साथ खड़ा हुआ तो हंगामा करती उनकी आवाज धीरे-धीरे कमजोर पड़ती गई। बांकी उन्हें शांत कराने के अनुमंडल पदाधिकारी मुरली प्रसाद सिंह एवं कबैया थानाध्यक्ष राजीव कुमार के नेतृत्व में पुलिस पहुंची। वास्तविक दुनिया की उसी घिसी-पिटी सच्चाई की तरह अधिकारियों ने पीड़ित परिवार को दोषी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन देकर मामला शांत कराया। हां यहां एसडीओ के आदेश पर पुलिस ने लता सेवा सदन का ताला तोड़कर उसमें इलाजरत तीन मरीजों को बाहर निकालकर सदर अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद लता सेवा सदन को सील कर दिया गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

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ऑपरेशन का लिया था 30 हजार, खून चढ़ाने का 13 हजार

मृतक प्रसूता नीतू देवी की देवरानी खुशबू देवी ने बताया कि मृतका के पति दिल्ली में रहकर मजदूरी करते हैं। नीतू देवी अपनी एक पुत्री के साथ पुरानी बाजार स्थित महिला विद्या मंदिर के समीप किराए के मकान में रहती थीं। शुक्रवार की शाम प्रसव पीड़ा होने पर नीतू देवी को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। शनिवार की शाम सदर अस्पताल की नर्स निलीमा सिन्हा ने उसे लता सेवा सदन ले जाने की सलाह दी। वहां अस्पताल संचालक ने तीस हजार रुपये जमा करने को कहा गया। तत्काल 25 हजार रुपये जमा कराने के बाद ऑपरेशन करके प्रसव कराया गया। बच्चा स्वस्थ है। रविवार को दो यूनिट खून का तेरह हजार रुपये लेकर खून चढ़ाया गया। खून चढ़ाते ही प्रसूता की हालत बिगड़ने लगी तथा वह शांत हो गई। इसके बाद भी उसे रेफर कर एंबुलेंस से जमुई भेज दिया गया।


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